कार में अकेले बैठे शख्स के लिए मास्क लगाना जरूरी? 'अवैध' चालान काटने की HC में सुनवाई
एक मामले में दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि इस साल अप्रैल के महीने से ही गाड़ी चलाने के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य किया जा चुका है. दिल्ली सरकार का कहना था कि यह नियम अभी भी लागू है.

देश और दुनिया में कोरोना वायरस का कहर जारी है. हर दिन कोरोना वायरस के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है. वहीं देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए कई नए नियम-कायदे भी बनाए गए हैं. इन्हीं नियमों में से एक मास्क लगाना भी है. देश में कई राज्यों में मास्क लगाना अनिवार्य किया जा चुका है और मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना भी वसूल किया जा रहा है. लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना काल में कार में अकेले बैठे शख्स के लिए भी मास्क लगाना अनिवार्य है?
दरअसल, एक मामले में दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि इस साल अप्रैल के महीने से ही गाड़ी चलाने के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य किया जा चुका है. दिल्ली सरकार का कहना था कि यह नियम अभी भी लागू है. दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस नवीन चावला की ओर से सुनवाई की जा रही थी. इस सुनवाई के दौरान ही दिल्ली सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई.
बता दें कि हाल ही में एक वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में दावा किया गया था कि दिल्ली पुलिस ने गाड़ी में मास्क नहीं पहनने के कारण 9 सितंबर को उनका 500 रुपये का चालान काटा था. वकील का नाम सौरभ शर्मा है और याचिका में सौरभ ने दावा किया कि मास्क न पहनने का चालान काटे जाने के वक्त वह गाड़ी में अकेले थे.
वहीं इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सौरभ शर्मा के वकील जेपी वर्गीस ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली आपदा-प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने 4 अप्रैल को आदेश जारी किया था. जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इसमें कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति कार में अकेला हो तो उसे मास्क लगाना जरूरी नहीं है. हालांकि इस मामले में मंत्रालय की तरफ से वकील फरमान अली माग्रे ने पूरी जानकारी के लिए कोर्ट से दो हफ्तों का समय मांगा है.
दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने इस मामले में वकील को 7 जनवरी तक का समय दिया है. साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि उन्हें इससे ज्यादा वक्त नहीं दिया जाएगा. अपनी याचिका में सौरभ ने कहा कि जिस अधिकारी ने चालान जारी किया, वह निजी कार में अकेले यात्रा करने के दौरान मास्क लगाने की अनिवार्यता से जुड़ा कोई लिखित आदेश नहीं दिखा सके. वहीं चालान पर इस संबंध में लिखने का अनुरोध किया तो अधिकारी ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने विरोध के साथ 'अवैध' जुर्माना अदा किया.
10 लाख रुपये का मुआवजा इस मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बिना किसी कानून या अधिसूचना के प्राइवेट वाहन में अकेले ड्राइविंग के दौरान मास्क पहनने को अनिवार्य करते हुए जुर्माना लगाया गया है. यह अवैध और मनमाना है. वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से चालान को खारिज करने, जुर्माने में वसूली गई 500 रुपये की राशि लौटाने की मांग की गई है. इसके साथ ही मानसिक उत्पीड़न के कारण 10 लाख रुपये का मुआवजा दिलाए जाने की मांग भी की गई है.
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Source: IOCL























