असम में ट्रैक पर 7 हाथियों की मौत के बाद रेलवे का अहम फैसला, AI-आधारित सिस्टम की मदद से उठाया बड़ा कदम
Indian Railways: रेलवे ने रेलवे ट्रैक पर हाथी समेत अन्य वन्यजीवों की टकराकर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अत्याधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने का फैसला किया है.

असम के होजाई जिले में शनिवार (20 दिसंबर, 2025) की सुबह सैरंग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन से हाथियों का एक झुंड टकरा गया था, जिसमें 7 हाथियों की मौत हो गई थी. इस घटना के 4 दिन बाद, इससे सबक लेते हुए अब रेलवे वन्यजीवों के ट्रेन से टकराव की घटना को कम करने के मकसद से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लेने जा रहा है.
रेलवे ने रेलवे ट्रैक पर हाथी समेत अन्य वन्यजीवों की टकराकर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अत्याधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसके तहत रेलवे की तरफ से डिस्ट्रिब्यूटेड एकॉस्टिक सिस्टम (DAS) पर आधारित AI-इनेबल्ड इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (IDS) को तैनात किया गया है, जो रेलवे पटरियों के आसपास हाथियों या फिर अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी का पता लगाकर समय रहते लोको पायलट को अलर्ट जारी करता है.
पूर्वोत्तर रेलवे में परियोजना का पायलट फेज में हो रहा इस्तेमाल
पूर्वोत्तर रेलवे में इस परियोजना का पायलट फेज चल रहा है. इस AI-आधारित इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम (IDS) को सबसे पहले पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (Northeast Frontier Railway) के 141 रूट किलोमीटर क्षेत्र में लागू किया गया है. जिसका मकसद हाथियों के साथ होने वाली टक्कर की घटनाओं को रोकना है और इस सिस्टम के सफल संचालन और पॉजिटिव परिणामों के बाद रेलवे ने इसे और विस्तार देने का भी फैसला लिया है.
रेलवे ने फैसला किया है कि अब इस सिस्टम को बढ़ाकर 1,122 रूट किलोमीटर तक का विस्तार दिया जाएगा. पायलट परियोजना की सफलता के आधार पर रेलवे ने 981 रूट किलोमीटर के लिए नए टेंडर भी जारी कर दिए हैं. इसके साथ ही AI-आधारित इस सुरक्षा प्रणाली का कुल कवरेज बढ़कर 1,122 रूट किलोमीटर तक पहुंच जाएगा.
आखिर कैसे काम करता है यह सिस्टम?
दरअसल, यह सिस्टम रेलवे ट्रैक के आसपास होने वाली गतिविधियों पर नजर रखती है और हाथियों की आवाज व वाइब्रेशन को पहचानकर तुरंत अलर्ट जारी करती है. इसके अलावा, AI-आधारित कैमरों और सेंसर की मदद से लोको पायलटों को आधा किलोमीटर पहले ही चेतावनी मिल जाती है. साथ ही स्टेशन मास्टर और कंट्रोल रूम को रियल-टाइम अलर्ट भी भेजा जाता है. जिससे समय रहते ट्रेन की गति कम करने या रोकने जैसे एहतियाती कदम उठाए जा सकते हैं.
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