भारत कराएगा पड़ोसी श्रीलंका के सैनिकों को तीर्थयात्रा
पहली बार हो रहे इस प्रयास में भारतीय वायुसेना का एक सी-17 विमान 24 जून को 160 श्रीलंकाई मेहमानों (श्रीलंका की तीनों सेनाओं के सभी रैंक प्रतिनिधित्व व उनके परिजनों) को कोलंबो से लेकर बोधगया आएगा.

नई दिल्लीः पड़ोसी मुल्कों के साथ सैन्य कूटनीति की अनोखी पहल में भारत श्रीलंकाई सैनिकों और उनके परिवारों को बोध गया दर्शन कराएगा. पहली बार हो रहे इस प्रयास में भारतीय वायुसेना का एक सी-17 विमान 24 जून को 160 श्रीलंकाई मेहमानों (श्रीलंका की तीनों सेनाओं के सभी रैंक प्रतिनिधित्व व उनके परिजनों) को कोलंबो से लेकर बोधगया आएगा. यह दल बौद्ध तीर्थस्थल बोध गया के साथ ही गया स्थित भारतीय सेना की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी को भी देखेगा. अगले दिन भारतीय वायुसेना के विमान से 25 जून ही वापस स्वदेश लौटेगा.
भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनन्द के अनुसार सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के हालिया श्रीलंका दौरे में इस पर चर्चा हुई थी. श्रीलंका ने भारतीय सेना प्रमुख की तरफ से आई इस पेशकश पर काफी उत्साह दिखाया था. जनरल रावत की तरफ से आए इस प्रस्ताव का रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने न केवल समर्थन किया बल्कि इस पर मंत्रालय के मंजूरी की मुहर लगाकर अमल का रास्ता भी साफ कर दिया.
कर्नल आंनद ने बताया कि निर्धारित योजना के अनुसार 24 मई को भारतीय वायुसेना का एक सी-17 विमान श्रीलंका जाएगा. वहां श्रीलंका सेना के सैनिकों और उनके परिवार जनों समेत 160 लोगों को लेकर भारत आएगा. यह दल 25 जून को बोध गया दर्शन करेगा और साथ ही OTA(ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी) भी देखेगा. अगले दिन भारतीय सी17 विमान श्रीलंकाई मेहमानों को वापस कोलंबो ले जाएगा.
सैन्य कूटनीति की इस पहल के भारत और श्रीलंका के बीच विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी. हालांकि देखना होगा कि इस पहल को लेकर तमिलनाडु की सियासत से क्या प्रतिक्रिया आती है. मत्वपूर्ण है कि 2013 में श्रीलंका के सैन्य अधिकारियों के भारत में प्रशिक्षण को लेकर विवाद का बवंडर उठा था. राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने इस मामले पर उस वक्त की यूपीए सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई थी. वही राज्य में उग्र विरोध प्रदर्शन भी नहीं हुए थे. बहरहाल 2013 से 2018 के बीच केंद्र में सरकार की तस्वीर बदल चुकी है तो वहीं पुरचिथलाइवी जे जयललिता भी अब दुनिया में नहीं हैं.
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