अमेरिका के साथ अनोखे 'आईस्टार' सिस्टम पर काम कर रहा है भारत, एयर स्ट्राइक के बाद सबूत इकठ्ठा करने में मिलेगी मदद
साल 2019 में भारतीय वायुसेना ने जब पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी तो हमले के बाद की कोई तस्वीर या फिर वीडियो सामने नहीं आया था.
नई दिल्ली: बालाकोट एयर स्ट्राइक के करीब ढाई साल बाद भारतीय वायुसेना जंग के मैदान से जुड़ी जानकारी को पूरी तरह से इकठ्ठा करने के लिए अमेरिका के साथ खास इंटेलीजेंस और रेकोनाइसेंस 'आईस्टार' सिस्टम पर काम कर रहा है. वायुसेना प्रमुख ने मंगलवार को इस बार में खुलासा किया है.
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने एक सवाल के जवाब में संक्षिप्त बयान देते हुए कहा कि अमेरिका के साथ भारत का जो डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशियेटिव (डीटीटीआई) करार है, उसके तहत दोनों देश अब आईस्टार यानि इंटेलीजेंस, सर्विलांस टारगेटिंग एंड रेकोनाइसेंस पर काम कर रहे हैं.
एयर स्ट्राइक के बाद सबूत इकठ्ठा करने में मिलेगी मदद
इस आईस्टार सिस्टम के जरिए वायुसेना पूरी रणभूमि पर न केवल नजर रख सकेगी बल्कि जंग के बाद के हालात की जानकारी भी इकठ्ठा कर सकेगी. यानि अगर किसी को जंग या फिर किसी एयर स्ट्राइक या फिर ऑपरेशन से जुड़ा सबूत चाहिए होगा तो वो भी इस 'सिस्टम ऑफ द सिस्टम' से मिल सकेगा. डीआरडीओ भी इस तरह के सिस्टम पर काम रहा है.
माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना के एयर बोर्न अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (एवैक्स) और नेत्रा सिस्टम की तरह ही किसी विमान पर लगाया जाएगा. इन दोनों टोही विमान को भारतीय वायुसेना कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की तरह इस्तेमाल करती है. लेकिन, ये दोनों सिस्टम (एवैक्स-फालकन और नेत्रा) सिर्फ एयर-स्पेस की सर्विलांस और निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इनसे सबूत इकठ्ठा नहीं किए जा सकते हैं.
आपको बता दें कि साल 2019 में भारतीय वायुसेना ने जब पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी तो हमले के बाद की कोई तस्वीर या फिर वीडियो सामने नहीं आया था.
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