IEW 2025 का सफल समापन, बना दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक ऊर्जा मंच, दुनिया ने माना भारत का लोहा
India Energy Week 2025: कार्यक्रम का मकसद ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव, आपूर्ति की सुरक्षा और तकनीकी नवाचार में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना था.

India Energy Week 2025: राजधानी दिल्ली में द्वारका के यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में चार दिनों तक चले 'इंडिया एनर्जी वीक 2025' का आज सफलतापूर्वक समापन हो गया. कार्यक्रम के समापन के मौके पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक ऊर्जा मंच बन गया है. 2023 में शुरू हुए इंडिया एनर्जी वीक कार्यक्रम का यह तीसरा संस्करण था. इस आयोजन ने मजबूत वैश्विक भागीदारी को आकर्षित किया है, जो वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है.
'इंडिया एनर्जी वीक 2025' का मकसद वैश्विक मंच पर देश में होने वाले पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारियां साझा करना था. कतर, संयुक्त अरब अमीरात और कई अन्य पेट्रोलियम उत्पादक देशों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. कार्यक्रम के आयोजन के बाद देश के ऊर्जा बाजार पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.
India Energy Week 2025 – Landmark Highlights
— IndiaEnergyWeek (@IndiaEnergyWeek) February 14, 2025
India Energy Week 2025 has been a dynamic platform for innovation, collaboration and sustainable progress in the energy sector.
Game-Changing Innovations – Cutting-edge technologies in renewables, smart grids and energy efficiency… pic.twitter.com/KK6srSG62b
प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को दिया बढ़ावा
कार्यक्रम का मुख्य मकसद देशों के बीच सहयोग बढ़ाना, नीतियों पर चर्चा करना और सभी घरों के लिए साफ, सस्ती और आसान खाना पकाने की ऊर्जा उपलब्ध कराना था. साथ ही इसने प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा दिया.
इंडियन एनर्जी वीक 1 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ था और इसमें कई मंत्रियों और ऊर्जा से जुड़ी तमाम कंपनियों सीईओ ने भाग लिया. यह प्रदर्शनी स्थल और सत्रों की संख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऊर्जा कार्यक्रम बन गया है.
वैश्विक सहयोग को मिलेगा बढ़ावा
इस कार्यक्रम में 20 से ज्यादा विदेशी ऊर्जा मंत्री, 90 से ज्यादा सीईओ और 120 देशों के 70 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. कार्यक्रम का मकसद ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव, आपूर्ति की सुरक्षा और तकनीकी नवाचार में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना था.
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Source: IOCL






















