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मिलिंद सोमन के विम ब्लैक वाले विज्ञापन पर विवाद या मजाक कितना उचित?

विम के नए विज्ञापन में विम लिक्विड की पैकेजिंग काले रंग की बोतल में की गई है और बताया गया है कि यह विशेष तौर पर पुरुषों के लिए है. इस ऐड को जिम में शूट किया गया है.

सोशल मीडिया पर विम बार का एक नया विज्ञापन जमकर ट्रोल हो रहा है. कुछ लोग इस इसमें बोले गए शब्दों से नाराज हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन लैंगिक असमानता और भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है. 

भारत में विज्ञापन, फोटो शूट, फिल्में हो या कोई वेब सीरीज को लेकर विवाद होना नई बात नहीं है. कभी शर्टलेस फोटो के कारण रणवीर सिंह ट्रोल होते हैं तो कभी रावण के रूप में नजर आए सैफ अली खान को ट्रोल किया जाता है. 

इसी क्रम में अब एक नया विज्ञापन जोड़ दिया गया है. हाल ही में रिलीज हुआ यह विज्ञापन हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के विम प्रोडक्ट का है. इस कंपनी ने बाजार में विम बार एक नया बोतल लॉन्च किया है. इस बोतल का रंग काला है और इसका नाम दिया गया है ब्लैक विम. इस प्रोडक्ट के विज्ञापन में इसके बारे में बताते हुए जिन वाक्यों का इस्तेमाल किया गया है लोगों को उस पंक्ति से आपत्ति है.


मिलिंद सोमन के विम ब्लैक वाले विज्ञापन पर विवाद या मजाक कितना उचित?(फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)

विज्ञापन में क्या दिखाया गया है?

विज्ञापन में विम लिक्विड की पैकेजिंग काले रंग की बोतल में की गई है और बताया गया है कि यह विशेष तौर पर पुरुषों के लिए है. इस ऐड को जिम में शूट किया गया है. जहां एक लड़का एक लड़की से कहता है कि आज वह बहुत थक गया है क्योंकि उसने शाम को बर्तन धोया. तभी जाने माने मॉडल मिलिंद सोमन आते हैं और उसे 'विम ब्लैक' से बर्तन धोने की सलाह देते हैं.

डिश वाश के विज्ञापन में मिलिंद सोमन कहते नजर आ रहे हैं 'हेयर इज विम ब्लैक फॉर मेन.. पुरुषों के लिए विम ब्लैक, इजी टू क्लीन, मोर टू ब्रैग'' जिसका मतलब है, 'ये रहा मर्दों के लिए विम ब्लैक'. अब विज्ञापन में इस तरह के शब्द का इस्तेमाल करने से लोग नाराज हैं और कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इस ऐड को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. कुछ लोगों ने हिंदुस्तान यूनिलीवर से सवाल पूछा कि पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता का संदेश देते हुए पुरुषों के लिए एक अलग पैक बनाने की आवश्यकता है? 

ट्रोलर्स ने मॉडल मिलिंद सोमन को भी एक 'सेक्सिस्ट' विज्ञापन में नजर आने और ऐसे आइडिया का समर्थन करने के लिए जमकर ट्रोल कर दिया. 

विम ने क्या कहा


मिलिंद सोमन के विम ब्लैक वाले विज्ञापन पर विवाद या मजाक कितना उचित?

लगातार आ रही नकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद विम बार ने इंस्टाग्राम पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि, "हम ब्लैक पैक के बारे में गंभीर नहीं हैं, लेकिन हम पुरुषों के घर के कामों के बारे में बहुत गंभीर हैं!" इसके अलावा एक और पोस्ट में विम ने सपष्टीकरण देते हुए कहा, 'घर के काम पुरुषों के भी काम हैं और घर के काम करके उन्हें डींग मारने का कोई अधिकार नहीं मिल जाता.'

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब विम ने अपने किसी प्रोडक्ट के विज्ञापन में यह दिखाने की कोशिश की है कि घर के काम करना सिर्फ महिलाओं का काम नहीं है. साल 2020 में विम ने एक विज्ञापन में क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग को बर्तन धोते दिखाया था. वहीं 2021 में एक विज्ञापन में विम के एक विज्ञापन की टैग लाइन थी, 'जरिया बदलो, देखो बर्तन से आगे'.

विज्ञापन बनाते समय बहुत बातों का रखना पड़ता है ध्यान 

मुंबई के एक विज्ञापन एजेंसी में काम कर रहे राजेश कहते हैं, 'चाहे विज्ञापन बड़े प्रोडक्ट का बन रहा हो या छोटे, हमें बहुत सारी बातों का ख्याल रखना पड़ता है. हमें ध्यान रखना पड़ता है कि हमारे द्वारा लिखे स्क्रिप्ट से किसी समुदाय विशेष की भावना आहत ना हो जाए. इसके अलावा हमें ध्यान रखना पड़ता है कि हमारे विज्ञापन के माध्यम से किसी तरह की सामाजिक कुरितियों को बढ़ावा ना मिले.' 

उन्होंने मिलिंद सोमन के इस विज्ञापन को लेकर हो रहे विरोध पर कहा, 'इस विज्ञापन को देखने से ऐसा लग रहा है जैसे काला रंग मर्दों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. ताकि मर्दों को बर्तन धोने में भी उनकी मर्दानगी का एहसास होता रहे. हालांकि कंपनी ने काले रंग की बोतल मजाक बोला है लेकिन कई बार हम अंजाने में ही भेदभाव जैसी कुरितियों को बढ़ावा दे देते हैं.


मिलिंद सोमन के विम ब्लैक वाले विज्ञापन पर विवाद या मजाक कितना उचित?(फोटो क्रेडिट- ट्विटर)

वहीं एनजीओ में काम कर रहीं और लैंगिक समानता पर बोलती-लिखतीं आ रही महिमा प्रसाद कहतीं हैं कि हमारे समाज में हमेशा से ही काले, नीले जैसे गहरे रंग को पुरुषों का रंग बताया गया है. वहीं पीले, गुलाबी, लाल जैसे रंग लड़कियों को दे दिए गए हैं. ऐसे में इस विज्ञापन में इस्तेमाल किए गए शब्द और इसके काले रंग से लग रहा है जैसै यगह इस प्रोडक्ट को मर्दों के लिए बनाया गया है. अब सवाल ये है कि मर्दों को बर्तन धुलवानें के लिए नया प्रोडक्ट बनाया जाए तो इससे बड़े लैंगिक असमानता का उदाहरण क्या हो सकता है. 

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