Happy Teachers Day 2021: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिनके नाम पर मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानें उनसे जुड़ी 5 खास बातें
Happy Teachers Day 2021:देशभर में आज धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. आज ही के दिन देश के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था.
देशभर में आज धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. आज ही के दिन देश के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था. पूरे देश में 1962 से उनके जन्मदिवस के मौके पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. बचपन से ही किताबों के शौकीन राधाकृष्णन स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे. उन्होंने विवेकानंद को अपना आदर्श माना था.
उनका मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए. वह शिक्षकों का बहुत सम्मान करते थे. आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे जो शायद आपको नहीं पता होगी.
माना जाता है महान दार्शनिक
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया था. वह दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर भी थे. अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने बतौर प्रोफेसर अपना कार्य शुरू किया. वह मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज और बाद में मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर बने. उन्हें भारत के अबतक के इतिहास का सबसे महान दार्शनिक भी माना जाता है.
16 साल की उम्र में हुआ विवाह
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मात्र 16 साल की उम्र में विवाह हो गया. उनकी पत्नी की उस वक्त उनसे उम्र में छह वर्ष छोटी थी और शादी के वक्त उनकी उम्र महज 10 साल की थी. उनके पत्नी का नाम सिवाकामू था. शादी के पांच साल के बाद उनके घर एक बेटी का बी जन्म हुआ.
देश के पहले उपराष्ट्रपति बने
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आजादी के बाद 1952 में वह देश के पहले उपराष्ट्रपति बने. उपराष्ट्रपति के पद के बाद वह 1962 में देश के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यरत रहें.
यूनेस्को में किया प्रतिनिधित्व
भारत की आजादी के बाद डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन ने 1949 से 1952 तक देश का प्रतिनधित्व यूनेस्को में किया. वह इस वक्त सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी रहे थे. भारत की आजादी के बाद वह संविधान सभा के भी सदस्य रहे.
1954 में मिला भारत रत्न
देश के लिए शानदार काम करने के लिए डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन को वर्ष 1954 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया. भारत रत्न प्राप्त करने के बाद ही वह देश के राष्ट्रपति बने थे. अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद वह मद्रास जाकर रहने लगे थे.
17 अप्रैल 1975 को लंबी बीमारी के कारण राधाकृष्णन का निधन हो गया. रणोपरांत मार्च 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा ‘टेम्पलटन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था.
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