धार्मिक स्थलों के विकास के लिए सरकार कर रही बड़ा काम! प्रसाद योजना भी लॉन्च, लोकसभा में दी जानकारी
PRASAD Scheme: केंद्र सरकार के मुताबिक, उसकी योजना के तहत देश भर में कई प्रमुख तीर्थस्थलों को विकसित किया जा रहा है जिसमें देश के बड़े तीर्थस्थल शामिल हैं.

Religious Places Devolopment: केंद्र सरकार देशभर में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन योजना’ (PRASHAD) के तहत बड़े स्तर पर काम कर रही है और इसके तहत राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रमुख तीर्थस्थलों और विरासत स्थलों के विकास के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है.
आज लोकसभा में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सवाल के जवाब में लिखित जानकारी दी कि देश भर में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने धार्मिक स्थलों को आधुनिक बनाने के लिए केंद्र सरकार अब तक 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 1 हजार 594 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च चुकी है. साथ ही 47 परियोजनाएं चला रही है.
अयोध्या में बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या
केंद्रीय मंत्री ने जवाब में यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद धार्मिक पर्यटन में भारी वृद्धि दर्ज की गई है जहां से 2020 में अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 60 लाख थी, तो साल 2024 में यह 27 गुना बढ़ कर 16.4 करोड़ हो गई है.
इन तीर्थस्थलों को किया जा रहा विकसित
केंद्र सरकार के मुताबिक, उसकी योजना के तहत देश भर में कई प्रमुख तीर्थस्थलों को विकसित किया जा रहा है जिसमें उत्तराखंड में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम. उत्तर प्रदेश में वाराणसी और मथुरा-वृंदावन तीर्थक्षेत्र सहित गुजरात में द्वारका और सोमनाथ, राजस्थान में पुष्कर और अजमेर, तमिलनाडु में कांचीपुरम और वेलंकन्नी, पश्चिम बंगाल में बेलूर मठ और असम में कामाख्या मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थलों को केंद्र सरकार आधुनिक सुविधाओं से लैस कर रही है.
प्रसाद योजना लागू करने के पीछे क्या है सरकार का मकसद?
प्रसाद (PRASAD) योजना को लागू करने के पीछे केंद्र सरकार देश में मकसद देश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाना था साथ ही आस्था से जुड़े स्थलों को संरक्षित करना था जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ साथ लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही आने वाले वर्षों में सरकार इस योजना को और विस्तार देने की योजना बना रही है ताकि भारत के धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके और भारत के धार्मिक स्थानों और शहरों का विकास हो सके.
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Source: IOCL























