एक्सप्लोरर

इस भयंकर बारिश को हल्के में न लें, ये इंसानी गलतियों का पहला नतीजा है?

पिछले दो-तीन दिनों से देश के कई हिस्सों में भारी बारिश का कहर जारी है. देश के अलग-अलग हिस्सों में कई लोगों की जान जा चुकी है. सवाल ये है कि ऐसी बारिश क्यों हो रही है.

उत्तर प्रदेश में बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की वजह से अब तक 34 लोगों की मौत चुकी  है. उत्तर भारत के कई हिस्सों में रविवार को मुसलाधार बारिश और भूस्खलन के चलते अलग-अलग घटनाओं में 50 से ज्यादा मौतों की खबर है. राष्ट्रीय राजधानी में 1982 के बाद से जुलाई में एक दिन में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है.  2013 की उत्तराखंड आपदा के बाद एक भी साल ऐसा नहीं रहा है जब कम से कम एक बार खतरनाक बारिश नहीं हुई है. हर साल बड़े पैमाने पर बारिश से बाढ़, विनाश और ज्यादातर मामलों में भारी नुकसान तो होता ही है, लोगों की जान भी जाती है.

इस साल भी पिछले दो दिनों में कश्मीर, चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, गुड़गांव, केरल, असम, बिहार और कई अन्य राज्यों में भारी बारिश की घटनाएं हुई हैं. कई जगहों पर बारिश और बाढ़ का कहर अब भी जारी है.  

ये ठीक उसी तरह की घटनाएं हैं जिनकी चेतावनी वैज्ञानिक कई सालों से देते रहे हैं. वैज्ञानिक पिछले कई साल से इस बात को लेकर सावधान करते रहे हैं कि आने वाले समय में मौसम में अचानक बदलाव (अचानक बादल या अचानक धूप) का सामना करना पड़ेगा. उत्तरी भारत में फिलहाल हो रही भारी बारिश इसी प्रवृत्ति का एक हिस्सा है. 20 से 25 सालों में भले ही यह अब तक की सबसे भारी बारिश है लेकिन लगातार और मुसलाधार बारिश पहली बार नहीं हो रही है. पिछले कई सालों में देश के कई राज्यों ने खतरनाक और लगातार बारिश का सामना किया है.  


इस भयंकर बारिश को हल्के में न लें, ये इंसानी गलतियों का पहला नतीजा है?

अलग-अलग राज्य झेल चुके हैं भारी बारिश की मार

बेंगलुरु में हर साल बाढ़ इसलिए आती है क्योंकि यहां भारी बारिश के साथ पानी के प्रवाह को बहाने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं है. 

2014 में श्रीनगर में खतरनाक बाढ़ आई. उस साल सितंबर में केवल चार दिनों में इतनी खतरनाक बारिश हुई कि झेलम नदी में बाढ़ आ गयी.

केरल में हर साल खतरनाक बारिश होती है. 2018 में इस बारिश ने बड़े पैमान पर खतरा पैदा कर दिया था. उत्तराखंड आपदा भी इस तरह के खतरे का सबसे डरावना उदाहरण है. इसके बाद से लगातार देश हर साल भारी बारिश की मार झेल रहा है, हालांकि वैज्ञनािक ये चेतावनी दे चुके हैं कि आने वाले सालों में गर्मी के साथ भारी बारिश की घटनाएं बढ़ेंगी. विशेषज्ञों का कहना है कि देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की घटनाओं की संख्या में वृद्धि सीधे जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है. 

राज्य मौतें
उत्तर प्रदेश 34
हिमाचल प्रदेश 7
उत्तराखंड 6
जम्मू-कश्मीर 4
पंजाब  3
राजस्थान 1
दिल्ली 1
कुल 56

मालूम हो कि 10 जुलाई को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मु और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब. हरियाणा, राजस्थान में भारी बारिश होने की आशंका है. वहीं 11 जुलाई को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश होने की आशंका है. 

खतरनाक बारिश की मार सिर्फ भारत ही नहीं दूसरे देश भी झेल रहे हैं. पश्चिम जापान में मुसलाधार बारिश की वजह से भूस्खलन हुआ. जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन लोग लापता हैं. बता दें कि वहां अधिकारियों ने ज्यादा भूस्खलन और बाढ़ के खतरे को देखते हुए हजारों लोगों से अपने घरों को छोड़ने को कहा था.

दूसरी तरफ पाकिस्तान में भी अगले 24 से 48 घंटे में गरज के साथ भारी बारिश हो सकती है. सवाल ये है कि आखिर इस बारिश और जलवायु परिवर्तन का क्या कनेक्शन है. क्या जलवायु परिवर्तन के अलावा इंसान भी इस बारिश के लिए जिम्मेदार हैं. 

अप्रैल में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने आगामी मानसून के लिए दो महत्वपूर्ण पूर्वानुमान लगाए. एक अल नीनो की स्थिति - जिसमें समुद्र की सतह के पानी का असामान्य गर्म होना कम वर्षा का कारण बन सकता था. भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक मानसून के दौरान अल-नीनो के विकसित होने की संभावना थी. दूसरा इन स्थितियों के बावजूद मानसून "सामान्य" रहेगा, जिसमें दक्षिण प्रायद्वीप में ज्यादा बारिश होने की उम्मीद लगाई गई. वहीं उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य या सामान्य से कम बारिश की उम्मीद जताई गई. 

हालांकि जून के अंत तक जमीन पर स्थिति इन पूर्वानुमानों से बहुत अलग दिखी. बारिश का भौगोलिक वितरण पूर्वानुमान के विपरीत था. उत्तर-पश्चिम भारत में जून में 42% ज्यादा वर्षा देखी गई, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से 45% कम वर्षा हुई, साथ ही मध्य भारत में 6% की कमी और पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में 18% की कमी दर्ज की गई. अभी उत्तर भारत में  उत्तर भारत में मुसलाधार बारिश का दौर जारी है. 

क्या बिपरजॉय तूफान इस बारिश के लिए जिम्मेदार

जून में जिस तरह की गर्मी थी उसे देखकर नहीं लग रहा था कि इतनी तेज बारिश होगी. आईएमडी के मुताबिक जून में ही भारी बारिश होने के अनुमान था लेकिन अरब सागर में चक्रवात बिपारजॉय के बनने के कारण लंबी अवधि का पूर्वानुमान गड़बड़ा गया. जून की शुरुआत में अरब सागर में चक्रवात के तेज होने के साथ ही नमी को अपने साथ ले गया जो मानसून को मजबूत कर सकता था. नतीजतन 11 जून को मानसून नहीं आ सका. बता दें कि मानसून के  सामान्य आगमन की तारीख 11 जून है. 

19 जून को चक्रवात खत्म हो गया, लेकिन इसके अवशेष उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बचे थे. इस वजह से बंगाल की खाड़ी में मानसूनी हवाएं आईं. जिससे दिल्ली में खूब बारिश हुई. 

वैज्ञानिक इसकी वजह जलवायु परिवर्तन को बता रहे हैं. द स्कॉर्ल में छपी खबर के मुताबिक पृथ्वी वैज्ञानिक और मैरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रघु मुर्तुगुडे ने कहा, "अरब सागर जनवरी से गर्म हो रहा था और मौजूदा हो रही बारिश अब तक की सबसे लंबी अवधी तक होने वाली बारिश बन गई है.  जलवायु परिवर्तन के कारण बिपारजॉय जैसी मौसम की घटनाएं बढ़ रही हैं. ये मानसून को प्रभावित कर रहे हैं. 

दो हवाओं के टकराने से हो रही बारिश

द स्कॉर्ल में छपी खबर के मुताबिक इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के क्लिनिकल एसोसिएट प्रोफेसर (रिसर्च) और रिसर्च डायरेक्टर अंजल प्रकाश ने कहा, "जलवायु परिवर्तन ने पारंपरिक मानसून पैटर्न को खत्म कर दिया गया है, जिससे तापमान, हवा की नमी और हवा के पैटर्न में बदलाव आया है. उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश के बीच मची तबाही का जिम्मेदार हवाएं हैं. पहला मानसूनी हवाओं और दूसरा पश्चिमी विक्षोभ में होने वाला बदलाव'.

केदारनाथ में साल 2013 में आई आपदा का कारण भी इसी को बताया गया. एक्सपर्ट्स ने भी इसे लेकर चेतावनी दी है. जिसमें कहा गया है कि लगातार क्लाइमेट चेंज हो रहा है और धरती गर्म हो रही है. जिससे दुनियाभर में तय सीमा से अधिक बारिश और बाढ़ की हालत बन सकती है. 

द स्कॉर्ल की खबर के मुताबिक इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट के लेखक प्रकाश ने कहा कि हवाएं के परिवर्तनों ने पारंपरिक मानसून पैटर्न को खत्म कर दिया. कुछ महीनों में मानसून के पैटर्न का सटीक पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण बना दिया है. इससे इन आपदाओं के लिए पहले से तैयार रहना और खतरे को कम करना और चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. 

विशेषज्ञ उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पिछले दो दिनों से आई विनाशकारी बाढ़ को दो हवाओं के 'खतरनाक' मिलन से जोड़कर देख रहे हैं. उनका मानना है कि मानसूनी हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ के मिलन से फिर वैसे हालात बन रहे हैं जैसे 2013 में उत्तराखंड आई बाढ़ के समय बने थे.

जानकारों के मुताबिक हवाएं के इस तरह के मिलन से गर्म होती दुनिया में बहुत ज्यादा बारिश और बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है. इन्हीं हवाओं के मिलन से उत्तर भारत खासकर हिमाचल प्रदेश के मनाली में खतरे के निशान से ऊपर बहने वाली नदियों में भंयकर तबाही आई हुई है.

पिछले दो दिनों से उत्तर भारत में दो तरह की मौसम प्रणालियां सक्रिय हैं. 

आउटलुक में छपी खबर के मुताबिक आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र  ने कहा 'पश्चिमी विक्षोभ की वजह से राजस्थान से उत्तरी अरब सागर तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई थी. वहीं, मानसून की मजबूत स्थिति के कारण बंगाल की खाड़ी से हवाएं भी उत्तर की ओर पहुंच रही थीं. इन दोनों प्रणालियों का संगम हुआ, और शनिवार को जम्मू-कश्मीर और रविवार को हिमाचल प्रदेश के आसपास इसका असर देखने को मिला. इन क्षेत्रों को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से नमी मिली, जिसके परिणामस्वरूप बहुत भारी बारिश हुई'. 

उन्होंने कहा कि दो मौसम प्रणालियों के बीच इस तरह का मिलन असामान्य नहीं है. ये मिलन खासतौर से उत्तर-पश्चिम भारत की पहाड़ियों में चरम मौसम की घटनाओं से जुड़ी हुई है. 

2013 के मध्य जून में एक पश्चिमी विक्षोभ ने बंगाल की खाड़ी से आने वाले कम दबाव की वजह से उत्तर की ओर नमी सोख ली. इसके परिणामस्वरूप न केवल मानसून रिकॉर्ड समय (16 जून तक) में पूरे देश में पहुंच गया, बल्कि केदारनाथ में बादल फटने जैसी घटना हुई. 

आपस में क्यों मिलती हैं ये हवाएं 

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के कीरन एमआर हंट ने हाल ही में भारत में दो हवाओं के खतरनाक मिलन को लेकर एक रिसर्च लिखा था, उनके मुताबिक इन संगमों की वजह लगातार बढ़ती गर्मी है, उन्होंने ये भी लिखा था कि आने वाले समय में गर्मी की मार झेल रहे देशों में हवाओं का ये मिलन देखने को मिल सकता है.  इससे अचानक भारी बारिश का खतरा भी पैदा होगा. क्योंकि ये हवाएं पहाड़ियों से टकराती हैं और बहुत तेजी से ऊपर उठती हैं जिससे भारी बारिश होती है'.

तो क्या इसे रोक नहीं सकते

हंट ने रिसर्च  में लिखा था कि ' यह कहना मुश्किल है कि (इस तरह का मिलन) आवृत्ति ऊपर जाएगी या नीचे जाएगी , क्योंकि इसकी कोई स्पष्ट प्रवृत्ति नहीं है.  हालांकि, हम काफी हद तक निश्चित हो सकते हैं कि ये जब ये मिलन होता है तो अत्यधिक वर्षा और भयानक बाढ़ जरूर आते हैं.

भारी बारिश के लिए इंसान कितना जिम्मेदार 

वैज्ञानिकों का मानना है कि मानव जनित ग्लोबल वार्मिंग इसके लिए जिम्मेदार है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जलवायु परिवर्तन जल चक्र की वाष्पीकरण प्रक्रिया को सुपरचार्ज कर रहा है. इससे बारिश का पैटर्न गड़बड़ा रहा है. 

वैज्ञानिक के मुताबिक जैसे ही हवा गर्म होती है, जल वाष्प ज्यादा होता है. यानी मिट्टी, पौधों, महासागरों और जलमार्गों से अधिक पानी वाष्पित हो जाता है - यह वाष्प बन जाता है. अतिरिक्त जल वाष्प का मतलब है कि भारी बारिश के लिए पानी तैयार हो रहा है.  

 

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

नितिन नबीन दूसरे सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष, खरगे सबसे बुजुर्ग; सबसे कम उम्र के किस नेता के पास पार्टी की कमान?
नितिन नबीन दूसरे सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष, खरगे सबसे बुजुर्ग; सबसे कम उम्र के किस नेता के पास पार्टी की कमान?
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर संजय सरावगी की पहली प्रतिक्रिया, 'पार्टी मां के समान'
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर संजय सरावगी की पहली प्रतिक्रिया, 'पार्टी मां के समान'
'देवता को एक मिनट भी विश्राम नहीं करने देते और धनी लोग तो..., श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन की टाइमिंग पर बोले CJI सूर्यकांत
'देवता को विश्राम नहीं करने देते', श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन की टाइमिंग पर बोले CJI सूर्यकांत
'धुरंधर' के ब्लॉकबस्टर होने पर इमोशनल हुए रणवीर सिंह, पोस्ट शेयर कर कही दिल की बात
'धुरंधर' के ब्लॉकबस्टर होने पर इमोशनल हुए रणवीर सिंह, कही दिल की बात

वीडियोज

Gold Investors Alert! अब पुराने Gold से भी कमाएं Passive Income | Gold Leasing Explained
Vodafone Idea में तूफानी तेजी! AGR Moratorium की खबर से शेयर 52-Week High पर| Paisa Live
Indian Stock Market गिरा! FPI Selling, Global Weakness का असर | Paisa Live
India@2047 Entrepreneurship Conclave: इंडिगो मिस मैनेजमेंट पर ये बोलकर राघव ने किस पर साधा तंज?
India@2047 Entrepreneurship Conclave: जाने कैसे होगा 'MY भारत' प्लेफॉर्म से युवाओं का विकास !

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
नितिन नबीन दूसरे सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष, खरगे सबसे बुजुर्ग; सबसे कम उम्र के किस नेता के पास पार्टी की कमान?
नितिन नबीन दूसरे सबसे युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष, खरगे सबसे बुजुर्ग; सबसे कम उम्र के किस नेता के पास पार्टी की कमान?
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर संजय सरावगी की पहली प्रतिक्रिया, 'पार्टी मां के समान'
प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर संजय सरावगी की पहली प्रतिक्रिया, 'पार्टी मां के समान'
'देवता को एक मिनट भी विश्राम नहीं करने देते और धनी लोग तो..., श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन की टाइमिंग पर बोले CJI सूर्यकांत
'देवता को विश्राम नहीं करने देते', श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन की टाइमिंग पर बोले CJI सूर्यकांत
'धुरंधर' के ब्लॉकबस्टर होने पर इमोशनल हुए रणवीर सिंह, पोस्ट शेयर कर कही दिल की बात
'धुरंधर' के ब्लॉकबस्टर होने पर इमोशनल हुए रणवीर सिंह, कही दिल की बात
अकेले कर दिया टीम इंडिया का काम तमाम, अब ICC ने इस प्लेयर को दिया इनाम; शेफाली वर्मा को भी खास सम्मान
अकेले कर दिया टीम इंडिया का काम तमाम, अब ICC ने इस प्लेयर को दिया इनाम; शेफाली वर्मा को भी खास सम्मान
मार्च से पहले पीएफ से यूपीआई होगा लिंक, ATM से निकलेगा पैसा; जानें कैसे आसान हो जाएगा प्रोसेस
मार्च से पहले पीएफ से यूपीआई होगा लिंक, ATM से निकलेगा पैसा; जानें कैसे आसान हो जाएगा प्रोसेस
बिहार BSSC Inter Level 2025: फीस जमा करने की डेडलाइन आज, 18 दिसंबर तक कर सकते हैं फाइनल आवेदन
बिहार BSSC Inter Level 2025: फीस जमा करने की डेडलाइन आज, 18 दिसंबर तक कर सकते हैं फाइनल आवेदन
Video: शादी हो रही है या युद्ध की तैयारी? हाथों में गन लिए दूल्हा दुल्हन ने मारी एंट्री- वीडियो हो रहा वायरल
शादी हो रही है या युद्ध की तैयारी? हाथों में गन लिए दूल्हा दुल्हन ने मारी एंट्री- वीडियो हो रहा वायरल
Embed widget