COVID-19: स्वास्थ्यकर्मियों के लिए क्यों जरूरी है PPE किट, कैसे करती है सुरक्षा?
पीपीई किट में खास तरह के मास्क, दस्ताने, शू कवर और गाउन होते हैं जो स्वास्थ्यकर्मियों को वायरस से बचाते हैं. इसे एक तरह का सुरक्षा कवच कहा जा सकता है.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश के स्वास्थ्यकर्मी पहली पंक्ति में खड़े हैं. वो अपनी जान को जोखिम में डालकर इस खतरनाक वायरस से लड़ रहे हैं. जहां एक तरफ डॉक्टर लोगों को इस बीमारी से बचाने की अपनी पूरी मेहनत और ताकत लगा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस दौरान पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) उनकी सुरक्षा करता है.
आसान भाषा में कहा जाए तो जिस तरह से किसी देश की सेना लड़ाई से पहले खुद को तैयार करती है और खास तरह का ड्रेस पहनती है, कुछ इसी तरह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में पीपीई किट यानी एक खास तरह की ड्रेस स्वास्थ्य सेनानी पहनते हैं.
पीपीई किट जरूरी क्यों है?
पीपीई किट खास तौर पर स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ही बनाया गया है. ये किसी तरह के वायरस या बायोलॉजिकल एजेंट को फैलने से रोकता है. इसे एक तरह का ‘सुरक्षा कवच’ कहा जा सकता है.
इस किट में क्या-क्या होता है?
इन दिनों कोरोना से बचाव में लगे स्वास्थ्यकर्मियों की तस्वीरों में उन्हें मास्क, चश्मे, ग्लव्स (दस्ताने) और खास तरह के जूतों में देखा जा सकता है. पीपीई किट में चेहरा ढंकने के लिए फेस शील्ड और चश्मा होता है. इसके अलावा मास्क, ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क, N-95 मास्क, दस्ताने, गाउन, शू कवर और हेड कवर होते हैं.
फेस शील्ड
फेस शील्ड और चश्मे स्वास्थ्यकर्मियों को छींक और खांसी की बूंदों (ड्रॉपलेट) से बचाते हैं. यहां ये बता दें कि कोरोना वायरस हवा से नहीं बल्कि छींक और खांसी के ड्रॉपलेट से फैलता है. ये स्वास्थ्यकर्मियों के आंख, नाक और चेहरी की सुरक्षा करती है.
मास्क
मास्क भी ड्रॉपलेट और एरोसॉल (किसी ठोस या तरल औषधि या अन्य पदार्थ के कणों का किसी गैस में निलंबन जिसका बारीक छिड़काव के रूप में रोगी पर प्रयोग किया जाता है) से बचाता है. ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क और N-95 मास्क, मास्क के ही अलग-अलग प्रकार हैं. एन-95 मास्क में एयरबॉर्न पार्टिकल यानी हवा में मौजूद कणों से बचाने की क्षमता होती है.
दस्ताने
अगर कोई व्यक्ति किसी कोरोना वायरस से संक्रमित शख्स के छुए हुए चीजों या सतह को छूने के बाद अपने आंख, नाक और चेहरे को छूता है तो उसे संक्रमण हो सकता है. इसलिए कोरोना वायरस या उसके संदिग्धों के इलाज या देख रेख करने के दौरान दस्ताने का इस्तेमाल किया जाता है.
गाउन
गाउन भी वायरस को फैलने से रोकता है. ये स्वास्थ्यकर्मियों के पूरे शरीर को ढंकता है. ये स्वास्थ्यकर्मियों की पीठ और कभी कभी सिर और पैर को भी ढंकता है. इसे 360 डिग्री प्रोटेक्शन कह सकते हैं.
पीपीई की 1.7 लाख किट चीन से भारत को सोमवार को मिल गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में निर्मित 20 हजार पीपीई की आपूर्ति होने के साथ ही अब अस्पतालों को 1.90 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी जाएगी. देश में पीपीई की मौजूदा उपलब्धता 387473 हो गई है. मंत्रालय के अनुसार राज्यों को केन्द्र सरकार की ओर से अब तक 2.94 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी गई.
Source: IOCL






















