इसरो ने कहा- लैंडर से संपर्क टूटने के कारणों का विश्लेषण कर रही है कमेटी
चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया था.
बेंगलुरूः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरूवार को कहा कि कुछ एक्सपर्ट और एजेंसी के विशेषज्ञों की एक टीम मिलकर चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग करने से पहले उससे संपर्क टूट जाने के कारणों का अध्ययन कर रही है. इसरो ने यह भी कहा कि भारत के दूसरे चंद्र मिशन का ऑर्बिटर निर्धारित वैज्ञानिक प्रयोगों को संतोषजनक तरीके से अंजाम दे रहा है और इसके सभी पेलोड का कामकाज संतोष के लायक है.
एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, ''ऑर्बिटर के सभी पेलोड चल रहे हैं। इसके शुरूआती परीक्षण पूरी तरह सफल रहे हैं. सभी पेलोड का प्रदर्शन संतोषजनक है.'' इसरो ने कहा, ''जानकारों और इसरो विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की समिति लैंडर से संपर्क टूटने के कारणों का अध्ययन कर रही है.''
#Chandrayaan2 Orbiter continues to perform scheduled science experiments to complete satisfaction. More details on https://t.co/Tr9Gx4RUHQ Meanwhile, the National committee of academicians and ISRO experts is analysing the cause of communication loss with #VikramLander
— ISRO (@isro) September 19, 2019
सात सितंबर को चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान से लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन अंतिम चरण में चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका इसरो से संपर्क टूट गया था. तभी से लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन कोई सफलता मिलती नहीं दिख रही.
इसरो ने आठ सितंबर को कहा था कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे से चंद्रमा की सतह पर लैंडर देखा गया है. इसरो ने बताया कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी.
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