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कंगना के दफ्तर पर हुई कार्रवाई में मुंबई हाईकोर्ट के सवालों में घिरी बीएमसी

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो तथ्य कोर्ट के सामने आए हैं, उसमें डिमोलिशन की कार्रवाई की सही से एंट्री नहीं की गई है, जिससे कुछ तो गड़बड़ लग रहा है.

मुंबई: कंगना रनौत के दफ्तर पर हुई बीएमसी कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर कंगना की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एक बार फिर बीएमसी की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान बीएमसी से पूछा कि जब बाकी मामलों में इतनी त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो आखिर क्या वजह रही कि कंगना के दफ्तर पर 24 घंटे बाद ही कार्रवाई कर दी गई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने संजय राउत के वकील से भी पूछा कि क्या संजय राउत ने कंगना के लिए "हरा..."र जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था.

क्या कहा कंगना के वकील ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कंगना के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि मुंबई हाईकोर्ट ने अपने मार्च के एक आदेश में सभी सरकारी विभागों से कहा था कि कोरोना काल में किसी भी तरह की कार्रवाई जल्दबाजी में न की जाए, पर कंगना के मामले में बीएमसी ने उस निर्देश का भी उल्लंघन किया है.

जवाब में बीएमसी के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट का वह आदेश इस मामले में लागू नहीं होता, क्योंकि हाईकोर्ट ने पहले के मामलों में कार्रवाई नहीं करने को कहा था, लेकिन यह मामला पहले से लंबित नहीं था.

इस बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे पहले कोर्ट भी कई मामलों में बीएमसी से कार्रवाई करने को कहती रही है, लेकिन तब बीएमसी ने इतनी त्वरित कार्रवाई नहीं की.

कंगना के वकील ने हाइकोर्ट में दलील देते हुए कहा कि बीएमसी एक्ट में रेगुलराइजेशन की भी बात कही गई है. ऐसे में जिसके खिलाफ नोटिस जारी किया गया है, उसको रेगुलराइजेशन की अर्जी दायर करने का भी वक्त दिया जाना चाहिए था. ऐसे में जब तक रेगुलराइजेशन की अर्जी का निपटारा नहीं होता तब तक इस तरीके की डिमोलिशन की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी. इससे पहले भी कई मामले ऐसे रहे हैं, जहां पर बीएमसी ने अवैध निर्माण को रेगुलराइज किया है, लेकिन यहां पर तो कोई मौका ही नहीं दिया गया.

कंगना के वकील ने दलील देते हुए कहा कि कंगना के दफ्तर में जिस दौरान यह डिमोलिशन की कार्रवाई की गई, उस दौरान किसी भी तरीके का निर्माण कार्य नहीं चल रहा था, जबकि बीएमसी ने यही कहते हुए कार्रवाई की कि अवैध निर्माण चल रहा था. कंगना के वकील ने कहा कि अगर यह भी मान लिया जाए कि किसी भी तरह का अवैध निर्माण चल भी रहा था, फिर भी नोटिस देकर जवाब देने का मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन यहां पर तो वह मौका भी नहीं दिया गया. यहां तक कि नियमों के हिसाब से तो अवैध निर्माण को वैध करवाने की भी प्रक्रिया है लेकिन कंगना के मामले में बीएमसी द्वारा उस प्रक्रिया और नियम की भी अनदेखी की गई.

सुनवाई के दौरान कंगना के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक के अलग-अलग फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि उन फैसलों में भी कहा गया है कि अगर कहीं कोई अवैध निर्माण है तो उसमें नोटिस जारी कर अवैध निर्माण करने वालों को अपना पक्ष रखने का भी मौका दिया जाना चाहिए, लेकिन कंगना के मामले में उन आदेशों का भी उल्लंघन किया गया है. कंगना के वकील ने इसके साथ ही अदालत के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि अगर बीएमसी नियमों की अनदेखी कर इस तरह की कोई कार्रवाई करती है, तो ऐसे मामलों में मुआवजा देने का भी आदेश पहले भी दिया जा चुका है.

कंगना के वकील ने दलील देते हुए सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी तरह का अवैध निर्माण है तो उस मामले में अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने से पहले कम से कम 7 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी है, इसके साथ ही उस नोटिस के जवाब में वह फोटोग्राफ भी लगाई जानी चाहिए, जिसमें वह अवैध निर्माण दिखाई पड़ रहा हो.

बीएमसी के वकील ने इस तरह से रखा अपना पक्ष , कोर्ट ने पूछे सवाल कंगना के वकील की दलिलों के जवाब में बीएमसी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है, वो बीएमसी एक्ट की धारा 351 के मामले में दिया गया था ना कि 354a के मामले में. लेकिन कंगना के दफ्तर पर हुई कार्रवाई बीएमसी एक्ट की धारा 354 a के तहत की गई है. सुनवाई के दौरान कंगना के वकील ने कोर्ट से मांग की कि कंगना को थोड़ी राहत देते हुए कम से कम थोड़ा ही सही बिल्डिंग में फिर से काम करवाने के लिए अनुमति दी जाए. जिससे बिल्डिंग को रहने और काम करने योग्य बनाया जा सके.

इस दौरान कोर्ट ने कंगना के वकील से पूछा कि आपको ऐसा करने में कितना वक्त लगेगा? कंगना के वकील ने कहा ये कंगना से बात कर यह ही बता सकते हैं.

कंगना के वकील ने इसके साथ ही कोर्ट से मांग की कि कोर्ट कंगना को बीएमसी से मुआवजा दिलवाए. क्योंकि डिमोलिशन की कार्रवाई के दौरान करीबन 2 करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. कंगना के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने पहले के फैसले में कहा है कि अगर अवैध निर्माण भी किया गया है, लेकिन उसको हटाने के लिए नियमों की अनदेखी की जाती है तो ऐसे मामलों में मुआवजा दिया जाना चाहिए.

बीएमसी के वकील ने कोर्ट में कहा कि कंगना इस मामले में खुद को पीड़ित दिखा रही हैं, जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने अवैध निर्माण किया था, जिसके खिलाफ कार्रवाई की गयी. कंगना की तरफ से ये बताया जा रहा है कि क्योंकि उन्होंने कुछ ट्वीट और बयान दिए इस वजह से कार्रवाई हुई, जबकि यह सच नहीं है. बीएमसी के वकील ने कहा कि कंगना इस मामले को राजनीतिक विवादों का मामला बना कर खुद के प्रति सहानुभूति हासिल करने की भी कोशिश कर रही हैं, जबकि कंगना ने आज तक खुद ये नहीं बताया कि उन्होंने अपनी बिल्डिंग में क्या क्या बदलाव किए थे.

बीएमसी के वकील की दलील है कि पहले कंगना की तरफ से कहा गया कि किसी तरह का कोई काम नहीं करवाया गया, लेकिन बाद में कोर्ट में कहा कि वाटर प्रूफिंग का छोटा-मोटा काम करवाया गया. कंगना ने यह भी नहीं बताया कि जो अंदर बदलाव किया था, वह कब किया गया था, जबकि नियमों में सबसे जरूरी है कि अगर कोई बदलाव किया जा रहा है, तो उसके लिए अनुमति ली जाए. बीएमसी के वकील ने कहा कि कंगना अगर मोहाली में बैठकर ट्वीट कर सकती हैं, तो वह अपने वकील को भी यह जरूर बता सकती हैं कि अंदर जो निर्माण कार्य या बदलाव हुआ था, वह कब करवाया गया था. बीएमसी के वकील ने कहा कि यह कंगना को भी पता है कि उन्होंने अवैध निर्माण करवाया था.

बीएमसी के वकील ने कहा कि अगर सैंक्शन प्लान के अलावा कोई बदलाव किया जाता है तो उसके बारे में अनुमति लेना जरूरी है फिर चाहे वह बदलाव छोटा हो या बड़ा हो.

कोर्ट ने बीएमसी से सवाल पूछा कि अगर कोई निर्माण कार्य चल रहा था तो क्या बीएमसी उसको रोक नहीं सकती थी?

बीएमसी के वकील ने कहा कि कंगना तो मान ही नहीं रही थीं कि अंदर कोई निर्माण कार्य हुआ है.

हालांकि सुनवाई के दौरान बीएमसी के वकील ने कोर्ट में यह भी माना कि बाकी मामलों की तुलना में कंगना के मामले में त्वरित कार्रवाई जरूर हुई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई अवैध निर्माण करता चला जाए. अगर कंगना बीएमसी को यह बताती कि वाटर प्रूफिंग का काम किया जा रहा है, तो उनको वक्त दिया जा सकता था. लेकिन उन्होंने तो किसी भी तरह के काम से ही साफ इंकार कर दिया था. इस दौरान बीएमसी के वकील ने कहा कि जिस तरीके से कंगना ने जवाब दिया और चीजों को छुपाया उसी वजह से मुमकिन है कि गलत धारा के तहत नोटिस जारी हुआ. अगर कंगना ने कुछ छुपाया नहीं होता तो कंगना के खिलाफ धारा 354a नहीं बल्कि 351 के तहत नोटिस जारी किया गया होता..

यानि एक तरह से सुनवाई के दौरान बीएमसी अपनी दलीलों में सीधे तौर पर ना सही लेकिन यह खुद ही मान लिया कि जिस धारा के तहत कंगना के दफ्तर पर कार्रवाई हुई वह सही नहीं थी. लेकिन इसका इल्जाम कंगना के ऊपर यह कहते हुए लगाया कि कंगना ने चीजें छुपाई थीं, इस वजह से इस धारा के तहत कार्रवाई हुई.

इस बीच बीएमसी के वकील ने दलील देते हुए कहा कि बीएमसी के ऊपर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं क्योंकि अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करना पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता. कंगना की तरफ से नहीं कहा जा सकता कि क्योंकि उन्होंने सरकार या रसूख वाले लोगों के खिलाफ बयान दिया, इस वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई हुई. इसका मतलब तो यह हुआ कि वो अवैध निर्माण करते रहे और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो ही ना.

कोर्ट के सवालों से घिरी बीएमसी दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई को लेकर ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि वह पक्षपातपूर्ण रवैया से की गई थी.

कोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि आखिर डिमोलिशन की कार्रवाई के दौरान पुलिस क्यों ले गए थे? बीएमसी ने जवाब दिया जब भी कोई गंभीर मामला होता है तो हम पुलिस की सहायता लेते हैं.

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या किसी सेलिब्रिटी के खिलाफ कार्रवाई करना गंभीर मामले में आता है?

कोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि एक दूसरे मामले में जिसमें 4 सितंबर को नोटिस जारी किया था, उसमें कार्रवाई नहीं की और उस मामले में जिसके खिलाफ नोटिस जारी किया गया था उसको निचली अदालत से फौरी तौर पर राहत मिल गई तो क्या बीएमसी ने उसको राहत मिलने का इंतजार किया?

कोर्ट ने इसके बाद एक बार फिर बीएमसी से सवाल पूछा कि सितंबर 4 और 5 को कुछ और मामलों में भी नोटिस जारी हुआ था. लेकिन उन मामलों में उतनी त्वरित गति से कार्रवाई नहीं हुई जितना कि कंगना के मामले में, आखिर ऐसा क्यों?

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो तथ्य कोर्ट के सामने आए हैं, उसमें डिमोलिशन की कार्रवाई की सही से एंट्री नहीं की गई है, जिससे कुछ तो गड़बड़ लग रहा है.

कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक मामले में बीएमसी ने 4 तारीख को नोटिस दिया तो कार्रवाई 8 तारीख को हुई. दूसरे मामले में बीएमसी ने 5 तारीख को नोटिस दिया तो कार्रवाई 14 तारीख को हुई. लेकिन कंगना के मामले में नोटिस 8 तारीख को दिया और कार्रवाई 9 तारीख को हुई.

सोमवार को करीबन 5:30 घंटे तक इस मामले की सुनवाई चली, जिसके बाद कोर्ट ने आगे की सुनवाई मंगलवार को करने की बात कही. लेकिन सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के रुख से साफ है कि कोर्ट बीएमसी के जवाब से संतुष्ट नहीं है और कोर्ट को भी फिलहाल पूरे मामले में कुछ गड़बड़ जरूर लग रही है. हालांकि मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद ही हाईकोर्ट का इस मामले में अंतिम आदेश आएगा, जिससे पता चलेगा कि कोर्ट बीएमसी की कार्रवाई को सही मानती है या नहीं और क्या बीएमसी ने बदले की कार्रवाई से कंगना के दफ्तर पर यह तोड़फोड़ की.

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अंकित गुप्ता abp न्यूज़ में सीनियर स्पेशल कॉरेस्पॉन्डेंट हैं. इनका अनुभव 18 से अधिक सालों का है. abp न्यूज़ से पहले ये न्यूज 24 और सहारा समय जैसे बड़े संस्थानों में भी काम कर चुके हैं. अंकित लीगल और राजनीतिक बीट कवर करते हैं. इसके अलावा इन्होंने कई अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टोरीज़ को भी को कवर किया है.
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