J&K: महबूबा के बयान पर बीजेपी का पलटवार, कहा- असली चेहरा सामने आ गया
मुफ्ती के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके बयान से असली चेहरा सामने आ गया.बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के पार्टी तोड़ने के आरोप को भी खारिज कर दिया.

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा के बयान ने आज सियासी तूफान खड़ा कर दिया. तीन साल बीजेपी की सहयोगी रहने के बाद महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी में हो रही फूट पर कहा कि अगर दिल्ली ने पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की तो कश्मीर में कई और सलाउद्दीन पैदा होंगे. मुफ्ती के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके बयान से असली चेहरा सामने आ गया.बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के पार्टी तोड़ने के आरोप को भी खारिज कर दिया.
क्या कहा महबूबा मुफ्ती ने? उन्होंने कहा, '''हर घर में दिक्कत होती है. लेकिन अगर दिल्ली ने 1987 की तरह यहां के आवाम के वोट के ऊपर डाका डाला और तोड़-फोड़ की कोशिश की तो मैं समझती हूं कि 1987 में जैसे एक सलाउद्दीन और एक यासिन मलिक ने जन्म लिया. इस बार पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की गई तो हालात उससे भी ज्यादा खराब होंगे.'' महबूबा के इस बयान को नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हताशा भरा बताया है.
बीजेपी ने क्या पलटवार किया? महबूबा मुफ्ती के बयान के जवाब में बीजेपी के नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा, ''यह बहुत ही गैरजिम्मेदाराना बयान है. एक महिला जो राज्य की मुख्यमंत्री भी रही है उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. जहां तक पार्टी टूट की बात है तो यह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है, इसमें हामारा कोई हाथ नहीं है. ये निराधार आरोप है.''
हाल ही में हुई पीडीपी में बगावत हाल ही में पीडीपी के छह विधायकों ने बागवत की है. सभी नाराज विधायकों का कहना है कि पीडीपी 'फैमिली डेमोक्रेटिक पार्टी' बन चुकी है. बागी विधायकों में जावेद बेग, यासिर रेशी, अब्दुल मजीद, इमरान अंसारी, अबीद हुसैन अंसारी और मोहम्मद अब्बास वानी शामिल हैं.
बीजेपी ने छोड़ा था पीडीपी का साथ पिछले महीने 19 जून को बीजेपी ने पीडीपी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए खुद को गठबंधन की सरकार से अलग कर लिया था. बीजेपी के इस कदम के बाद महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद से सूबे में राज्यपाल शासन लागू है. बीजेपी ने आरोप लगाया था कि महबूबा सरकार में जानबूझ कर लद्दाख और जम्मू के इलाकों को विकास से वंचित रखा जा रहा है.
1984 में आखिर हुआ क्या था? सलाउद्दीन ने 1987 विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गया. उसका दावा था कि उसे धोखा दिया गया. जिसके बाद उसने बंदूक उठा ली. उसने अपना नाम 5 नवंबर 1990 को यूसुफ शाह से बदलकर सैयद सलाउद्दीन कर लिया. उस वक्त सलाउद्दीन ने कहा था, ''हम शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा में जाना चाहते थे, लेकिन हमें ऐसा नहीं करने दिया गया, हमें गिरफ्तार किया गया और हमारी आवाज को दबाने की कोशिश की गई. कश्मीर मुद्दे के लिए हथियार उठाने के अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.'' हथियार उठाने के बाद उसने घाटी में कई बड़े आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है.
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