क्या 2019 लोकसभा चुनाव में देश भर में कश्मीर नीति को भुनाएगी बीजेपी?
जम्मू-कश्मीर में जितनी तेजी से आतंकी मारे जाएंगे देश भर में बीजेपी 'राष्ट्रहित' की धारणा को बल देगी. बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान में किये गये सर्जिकल स्ट्राइक की तरह सेना को मिली खुली छूट को प्रचारित करेगी. जिसका सियासी फायदा उसे मिल सकता है.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ तीन सालों तक चला गठबंधन कल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अचानक तोड़ लिया. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दल अपने-अपने एजेंडे पर लौट चुके हैं. सैन्य अभियान की पक्षधर बीजेपी ने कहा कि घाटी में आतंकवाद व हिंसा बढ़ी है और कट्टरता तेजी से फैल रही है. इसपर नियंत्रण जरूरी है. वहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने साफ कर दिया की राज्य में मस्कुलर (जोर-जबरदस्ती) पॉलिसी नहीं चलेगी. अब महबूबा मुफ्ती सरकार से इस्तीफा दे चुकी हैं और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. यानि साफ है कि अब कश्मीर की सरकार दिल्ली से चलेगी.
केंद्र की मोदी सरकार कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन की पक्षधर रही है. हालांकि रमजान के दौरान सीजफायर का ऐलान करने से बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. अब गठबंधन की मजबूरियों से बीजेपी मुक्त हो चुकी है. एक बार फिर पहले की तरह केंद्र की बीजेपी सरकार ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए सेना को खुली छूट दे दी है. राज्य पुलिस का नियंत्रण राज्यपाल के पास है.
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान पत्थरबाजी में भी बढ़ोतरी होगी, जैसा की पैटर्न रहा है. आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पत्थरबाजी में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी. बड़े पैमाने पर स्कूली बच्चों के हाथों में पत्थर देखा गया. अलगाववादियों ने इसे और हवा दी. अब राज्यपाल शासन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को पत्थरबाजी से रोकना है.
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जम्मू-कश्मीर की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां सेना पर अत्याचार का आरोप लगाती रही है. अब एक बार फिर सैन्य ऑपरेशनों में तेजी देखने को मिलेगी तो राज्य में सियासी गहमागहमी बढ़ेगी इसमें कोई शक नहीं है. विपक्षी दल सरकार नहीं बनाने की स्थिति में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग कर सकती है. हालांकि केंद्र की कोशिश फिलहाल चुनाव टालने की होगी. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग सीट पर पिछले डेढ़ साल से चुनाव नहीं हो पाया है. इसकी बड़ी वजह सुरक्षा है.
नजर में 2019 जम्मू-कश्मीर में जितनी तेजी से आतंकी मारे जाएंगे देश भर में बीजेपी 'राष्ट्रहित' की धारणा को बल देगी. बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान में किये गये सर्जिकल स्ट्राइक की तरह सेना को मिली खुली छूट को प्रचारित करेगी. जिसका सियासी फायदा उसे मिल सकता है.
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कुछ लोगों के मन में एक और सवाल है कि बीजेपी ने अमरनाथ यात्रा शुरू होने से ठीक पहले गठबंधन तोड़ने का एलान क्यों किया? बीजेपी चाहती तो अमरनाथ यात्रा को अच्छे से संपन्न कराकर उसका क्रेडिट ले सकती थी फिर बीजेपी भागती नजर क्यों आई? इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार अनिल आनंद का कहना है कि गठबंधन में रहने के दौरान अमरनाथ यात्रा डिस्टर्ब होती है तो बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को नुकसान पहुंचेगा.
भारतीय जनता पार्टी अनुच्छेद 370 को भी हवा देगी. गठबंधन की मजबूरियों में बीजेपी ने इसी दरकिनार कर दिया था. हिंदी भाषी प्रदेशों में धारा 370 को लेकर लोगों की भावनाएं जुड़ी रही है.
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