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चीन से तनातनी के बीच चार दिवसीय आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस आज से, रक्षा मंत्री भी करेंगे सम्मेलन को संबोधित

रक्षा मंत्री, सीडीएस, वायुसेना प्रमुख और नौसेनाध्यक्ष भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे. पहली बार अंडमान निकोबार की संयुक्त कमान के प्रमुख भी शिरकत करेंगे.

नई दिल्ली: सीमा पर चीन से चल रही तनातनी के बीच सोमवार से आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शुरू हो रहा है. थलसेना प्रमुख की अगुवाई में चार दिनों तक चलने वाले इस सम्मलेन में कॉलेजिएट-प्रणाली के जरिए सेना के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर पॉलिसी तैयार जाएगी. खुद रक्षा मंत्री और सीडीएस सहित वायुसेना प्रमुख और नौसेनाध्यक्ष भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे. पहली बार अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख भी इस सम्मलेन में शिरकत करेंगे और पूरा एक दिन बॉर्डर पर चल रहे निर्माण-कार्यों की समीक्षा के लिए निश्चित किया गया है.

साल में दो बार होने वाली आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (एसीसी) सोमवार से शुरू हो रही है. जिसमें सेना के सह-सेनाध्यक्ष सहित सभी सातों कमान के प्रमुख (आर्मी कमांडर्स), सेना-मुख्यालय में तैनात प्रिंसिपल स्टॉफ ऑफिसर्स (पीएसओ) और वरिष्ट सैन्य अधिकारी शामिल होंगे. इन चारों दिनों में थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के नेतृत्व में सेना की ऑपरेशन्ल तैयारियों सहित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक साथ मिलकर नीति निर्धारण की जाएगी. इन विषयों में चीन से एलएसी पर चल रहा तनाव, एलओसी पर सेना की तैयारी और कश्मीर सहित आंतरिक सुरक्षा शामिल है. इस दौरान पूरा एक दिन सैनिकों से जुड़ें मानव संसाधन प्रबंधन शामिल है.

पहला दिन (26 अक्टूबर)- आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस की शुरूआत थलसेना प्रमुख के भाषण से होगी. पहला दिन पूरी तरह से सैनिकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी. इनमें सबसे खास होगा सैनिकों एचआरएम यानि ह्यूमन रिर्सेस मैनेजमेंट. क्योंकि पूरी सेना इस वक्त हाई-अलर्ट पर है ऐसे में सर्दियों के दौरान सैनिकों की स्पेशल क्लोथिंग से लेकर टेंट और स्पेशल राशन को लेकर भी खास तौर से बातचीत होगी. इस मीटिंग में सेना मुख्यालय में तैनात क्यूएमजी यानि क्वॉर्टर मास्टर जनरल (थ्री स्टार जनरल) मौजूद रहेंगे. क्यूएमजी ब्रांच ही सेना की सभी ऑपरेशन्ल कमांड्स के साथ मिलकर ऑप्स-लॉजिस्टिक का इंतजाम करती है.

दूसरा दिन (27 अक्टूबर)- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना के सभी कमांडर्स को संबोधित करेंगे और सेना को सरकार की नीति से अवगत कराएंगें. इसके अलावा देश (और सरकार) को सेना से क्या अपेक्षाएं हैं उसके बारे में बताएंगे. रक्षा मंत्री के संबोधन से पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया और नौसेनाध्यक्ष, एडमिरल करमबीर सिंह भी थलसेना के वरिष्ट कमांडर्स को संबोधित करेंगे. इस दौरान तीनों सेनाओं के एकीकरण, संयुक्त ऑपरेशन्स और भविष्य में बनने वाली थियेटर कमांडस पर चर्चा होगी.

तीसरा दिन (28 अक्टूबर)- ये पूरी तरह से सेना के सभी सात कमांडर्स और सेना मुख्यालय में तैनात पीएसओज़ का दिन होगा. इसमें सेना के सभी सातों कमांर्ड्स अपनी अपनी कमान  के बारे में ऑपरेशन्ल तैयारियों से लेकर सभी प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करेंगे. खुद थलेसना प्रमुख सभी की तैयारियों की समीक्षा भी करेंगे. आपकों बता दें कि थलसेना की सात कमान हैं.

उधमपुर स्थित उत्तरी कमान,  जो पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी और पाकिस्तान से सटी एलओसी और करगिल, द्रास और सियाचिन सेक्टर की रखवाली करती है. इसी कमान के अंतर्गत कश्मीर घाटी की आंतरिक सुरक्षा भी है.

फोर्ट विलियम (कोलकता) स्थित पूर्वी कमान, जो सिक्किम, डोकलम और अरूणाचल प्रदेश से लेकर उत्तर-पूर्व में काउंटर-इनसर्जेंसी में भी तैनात है.

चंडी मंदिर (चंडीगढ़) स्थित पश्चिमी कमान—हिमाचल प्रदेश से सटी चीन सीमा और जम्मू से लेकर पंजाब तक तैनात है. इस कमान के अंतर्गत एक स्ट्राइक कोर भी है (जो अंबाला में तैनात है).

लखनऊ स्थित मध्य कमान—उत्तराखंड से सटी चीन सीमा और नेपाल के ट्राइ-जंक्शन पर स्थित कालापानी और लिपूलेख वाला विवादित इलाका इसी कमान की जिम्मेदारी है.

जयपुर स्थित दक्षिण-पश्चिमी कमान—इस कमान के अंतर्गत पाकिस्तानी सीमा से सटे थार रेगिस्तान की जिम्मेदारी है.

पुणे स्थित दक्षिणी कमान—गुजरात के रण ऑफ कच्छ के अलावा इस कमान के अंतर्गत ही भोपाल स्थिति सुदर्शन स्ट्राइक कोर है.

आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के तीसरे दिन ही ड़ीजीएमओ यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स भी देश की सरहदों की सुरक्षा के बारे में एक प्रेजेंटेशन देंगे.

चौथा दिन (29 अक्टूबर)- आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का चौथा और आखिरी दिन बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर चल रहे निर्माण कार्यों (सड़क, पुल और सुंरग इत्यादि) सहित दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर की समीक्षा का होगा. इसके अलावा  इस बात पर चर्चा होगी कि किस कमांड (कमान) को कितने सैनिकों की आवश्यकता है और तैनाती के दौरान सैनिकों की क्या क्या जरूरतें होंगी. क्योंकि इस वक्त चीन से सटी पूरी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर तनातनी चल रही है. साथ ही पाकिस्तानी से सटी एलओसी पर किसी भी तरह से तैनाती को कम नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा कश्मीर और उत्तर-पूर्व में काउंटर-इनसर्जेंसी और काउंटर टेरेरिज्म ऑपरेशन्स में तैनात सैनिकों की कितनी तैनाती होगी.

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नीरज राजपूत वॉर, डिफेंस और सिक्योरिटी से जुड़े मामले देखते हैं. पिछले 20 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया का अनुभव है. एबीपी न्यूज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अनकट के 'फाइनल-असॉल्ट' कार्यक्रम के प्रेजेंटर भी हैं.
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