Fireflies- Parth Aur Jugnu Review: ये एक अच्छी कोशिश है लेकिन वो नहीं हो पाया जो करने की कोशिश की गई
Fireflies : Parth Aur Jugnu Review: जी 5 बच्चों के लिए एक वेब सीरीज लेकर आया है. अपनी नई बेव सीरीज 'फायरफ्लाइज- पार्थ और जुगनू' से...ये कोशिश कितनी कामयाब हुई है आपको बताते हैं.
हेमंत गाबा
मीत मुखी ,एकम बिंजवे, प्रियांशू चटर्जी,मधु शाह
Fireflies : Parth Aur Jugnu Review: इन दिनों ओटीटी पर हर किसी के लिए कंटेट बन रहा है. बच्चे एक ऐसा टार्गेट ऑडियंस है जिनके लिए काफी कंटेट बनाया जाता है. जी 5 ने भी ऐसी ही एक कोशिश की है. अपनी नई बेव सीरीज 'फायरफ्लाइज- पार्थ और जुगनू' से...ये कोशिश कितनी कामयाब हुई है आपको बताते हैं.
कहानी
ये सीरीज 10 एपिसोड की है और हर एपिसोड लगभग 40 मिनट का है. कहानी हिमाचल प्रदेश के शिमला की है, जहां रहने वाला 14 साल का पार्थ नौवीं क्लास में फेल हो जाता है. हर रोज होने वाली बेइज्जती से पार्थ काफी दुखी हो जाता है और अपना घर छोड़कर हिमाचल की पहाड़ियों में चला जाता है. जहां उसकी दोस्ती जुगनू से होती है, जो एक रहस्यमयी बच्चा है. ये दोनों दोस्त मिलकर जंगल में राक्षसों से भिड़ते हैं और कई राक्षसों का काम तमाम करते हैं और इन राक्षसों से लड़ने में इनकी मदद करती हैं नानी की कहानियां,वो कहानियों जो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं.
एक्टिंग
ये सीरीज बच्चों के लिए है और बच्चे ही इस सीरीज के हीरो हैं. सब बच्चोंं ने इस सीरीज में अच्छा काम किया है. मीत मुखी (Meet Mukhi) ने पार्थ के किरदार में और एकम बिंजवे (Aekam Binjwe) ने जुगनू के किरदार में अच्छी एक्टिंग की है. पार्थ के पापा के किरदार में प्रियांशू चटर्जी ने अच्छा काम किया है मधु शाह ने नानी का किरादर निभाया है जो कहानियां सुनाती हैं और इनकी कहानियां और अंदाज आपके दिल को छूती हैं. इसके अलावा बाकी किरदारों की एक्टिंग भी ठीक ठाक है.
कैसी है सीरीज
ये सीरीज ठीकठाक टाइम पास तो कही जा सकती है लेकिन ग्रेट नहीं. आज जब कंटेट इतना आगे बढ़ गया है तो वहां ये सीरीज पुरानी टाइप की लगती है. विजुअल इफेक्ट्स में उतना दम नहीं लगता. आज जब बच्चों के पास भी एंटरटेनमेंट के काफी सारे ऑप्शन्स हैं. ऐसे में ये सीरीज ऐसी कोई वजह नहीं देती है कि बच्चे इसके 10 एपिसोड देखें. हां अगर मम्मी पापा उन्हें नानी की कहानियों के बारे में बताना चाहें और देखने को कहें तो अलग बात है. लेकिन ये सीरीज और बेहतर और ग्रैंड बन सकती थी. इसे एक अच्छी कोशिश कहा जा सकता है लेकिन ये कोशिश पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाई.
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