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Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव ने महादेव से मिलने से किया था इनकार, दूत नंदी को बंदी बनाने पर शुक्राचार्य से छिड़ा युद्ध
Mahima Shani Dev Ki: दंडनायक शनि की देवताओं के प्रति बदले की आग देवलोक समेत सृष्टि समाप्त कर देने को बेताब थी. ये देखकर देवताओं ने महादेव से गुहार लगाई.
![Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव ने महादेव से मिलने से किया था इनकार, दूत नंदी को बंदी बनाने पर शुक्राचार्य से छिड़ा युद्ध Mahima Shani Dev Ki dandnayak refuse shivji order to come kailash with nandi Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव ने महादेव से मिलने से किया था इनकार, दूत नंदी को बंदी बनाने पर शुक्राचार्य से छिड़ा युद्ध](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/09/16/16cc76b169be2f4b19c22a0829dd21be_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव ने माता छाया और काकोल की मैया को खोने के बाद दंडनायक स्वरूप में आकर आक्रामक रूप दिखाया. उन्होंने माता की मौत के पीछे देवताओं की साजिश मानते हुए उन्हें दंड देने के लिए युद्ध में परास्त कर देवलोक जीत लिया. खुद देवराज सूर्यदेव और इंद्र, यम को बंदी बनाकर काकलोक के कारागार में डाल दिया. इसके बाद वह सूर्यलोक में देवी संध्या के छल में फंस गए और संध्या ने उन्हें पति सूर्य से मिले तप के जरिए जलाने का प्रयास किया, मगर तभी छाया ने अपनी चादर तान कर शनि के प्राण बचा लिए.
वहीं दंडनायक शनि के आक्रामक व्यवहार से डरे सहमे देवताओं ने महादेव से गुहार लगाई. खुद भगवान विश्वकर्मा कैलाश पहुंचे और शिवजी से शनि को शांत करने की प्रार्थना की. इस पर महादेव ने अपने वाहन और दूत नंदी बैल को शनि को कैलाश पर लाने का आदेश देकर सूर्यलोक भेजा. उन्होंने शनि को शिवजी का संदेश बताते हुए हुए कैलाश पर प्रस्तुत होने का आदेश सुनाया तो शनि एक बार शांत पड़ गए और नंदी के साथ कैलाश चलने के लिए राजी हो गए.
राहु ने फिर डाली बाधा
शनि महादेव का आदेश मानते हुए नंदी के साथ कैलाश चलने के लिए राजी हो गए, जिसका पता चलते ही राहु ने शनि से कहा कि वह महादेव के पास जरूर जाएं, लेकिन पूछें कि आखिर माता छाया को जीवनदान देकर भी प्राण क्यों लिए, एक ही पिता सूर्यदेव की संतान यम को राजसी ठाटपाट और शनि को कष्टों का ताज क्यों मिला, क्या यही विधान है. यह सुनकर शनि देव भड़क उठे और उन्होंने नंदी को वापस जाने का आदेश देते हुए महादेव के पास जाने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर महादेव को जरूरत है तो वह स्वयं आना होगा. यह सुनकर सभी दंग रह गए.
नंदी को बंदी बनाया
भगवान विश्वकर्मा और देवर्षि नारद ने भी शनि को समझाने का प्रयास किया, लेकिन शनि अडिग रहे. नंदी के नाराजगी जताने पर आक्रोशित शनि ने उन्हें बंदी बना लिया और बांधकर कारागार में डालने के लिए घसीटकर लेकर जाने लगे तो दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने उन्हें रोक दिया और महादेव के अपमान के लिए उनसे युद्ध झेड़ने का ऐलान कर दिया.
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