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जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन बूस्टर से क्या है उम्मीद? डेल्टा वेरिएन्ट के खिलाफ असर को जानें

जॉनसन एंड जॉनसन की तरफ से जारी डेटा दो सवालों के जवाब देता है. बहुत सारे लोग उसकी वैक्सीन के बारे में सोच रहे होंगे कि डेल्टा वेरिएन्ट के खिलाफ ये कितनी अच्छी है और क्या बूस्टर की जरूरत होगी?

खतरनाक कोरोना से लड़ते हुए डेढ़ साल से ज्यादा हो चुके हैं. इस दौरान उभरते हुए नए वेरिएन्ट्स ने जिंदगी और जीविका दोनों पर बुरा असर डाला है. संकट के नाजुक समय में हमारी उम्मीद की किरण सिर्फ कोविड-19 वैक्सीन है. हालांकि, घटती हुई कोविड-19 इम्यूनिटी पर चिंता बढ़ रही है, जिससे बूस्टर डोज की आवश्यकता को बल मिल रहा है.

क्या जॉनसन एंड जॉनसन का सिंगल डोज प्रभावी है?

हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन ने डेटा जारी किया. उससे पता चला कि कंपनी का बूस्टर डोज जब अमेरिका में पहले डोज के दो महीनों बाद दिया गया, तो 94 फीसद असरदार साबित हुआ, जबकि शुरुआती रिसर्च में जॉनसन एंड जॉनसन की कोविड-19 वैक्सीन गंभीर बीमारी को रोकने में 85 फीसद प्रभावी थी. इस साल जनवरी में जारी शुरुआती मानव परीक्षण के डेटा से खुलासा हुआ कि पहले डोज को लगाने के 4 सप्ताह बाद सिंगल डोज वाली वैक्सीन कोरोना संक्रमण को रोकने में मात्र 63 फीसद प्रभावी साबित हुई. डेल्टा वेरिएन्ट की शुरुआत से पहले किए गए परीक्षण के नतीजे देख विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि वैक्सीन इस वेरिएन्ट के खिलाफ अभी भी असरदार है, मगर मूल स्ट्रेन के खिलाफ सुरक्षा के मामले में प्रभावकारिता कम है. 

21 सितंबर को जॉनसन एंड जॉनसन ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन पर तीसरे चरण के मानव परीक्षण के नतीजों का एलान किया. 1 मार्च 2020 से 31 जुलाई 2021 के डेटा पर विचार करने के बाद पाया गया कि रिसर्च की अवधि में वैक्सीन की प्रभावकारिता कम नहीं हुई, अमेरिका में डेल्टा वेरिएन्ट के हावी होने के बाद भी. एक डोज वाली वैक्सीन 79 फीसद तक कोरोना संक्रमण के खिलाफ सुरक्षात्मक और कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती होने से 81 फीसद बचानेवाली थी. इससे संकेत मिलता है कि एक खुराक वाली जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन अच्छा प्रदर्शन करती है, डेल्टा और दूसरे वेरिएन्ट्स की उपस्थिति में भी. कोरोना वायरस से सेल की रक्षा करनेवाली एंटीबॉडीज टीकाकरण के बाद शुरुआती कई महीनों में सुरक्षा का सटीक उपाय है. रिसर्च बताते हैं कि जॉनसन एंड जॉनसन या एमआरएनए तकनीक की कोविड वैक्सीन टीकाकरण के बाद कम से कम छह महीनों तक एंटीबॉडीज के कुछ लेवल का उत्पादन करना जारी रखती हैं. लेकिन, एंटीबॉडीज के लेवल में आम तौर पर समय के साथ कमी आने लगती है और कुछ सबूत से पता चलता है कि फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन वैक्सीन से मिलनेवाली इम्यूनिटी वही करती है. 

हमें बूस्टर डोज की जरूरत क्यों हो सकती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस का रूप बदलने से टीकाकरण पूरा करा चुके लोग जोखिम में हैं. वैज्ञानिक ये निर्धारित करने के लिए डेटा इकट्ठा कर रहे हैं कि बूस्टर डोज के साथ या बिना बूस्टर के कब दोबारा संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. नतीजों के अलावा, जॉनसन एंड जॉनसन ने 21 सितंबर 2021 को बूस्टर डोज के बारे में भी डेटा जारी किया. परीक्षण में लोगों को वैक्सीन का या तो दूसरा डोज या दोनों या पहले डोज के छह महीनों बाद दिया गया. दोनों मामलों में उसने कोविड-19 के खिलाफ लोगों की सुरक्षा बढ़ाई. जब पहले डोज के दो महीनों बाद दिया गया, तो मध्यम से गंभीर बीमारी के खिलाफ सुरक्षा 85 फीसद से बढ़कर 94 फीसद हो गई और एंटीबॉडीज लेवल चार गुना बढ़े. ये नतीजे जाहिर करते हैं कि हालांकि जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन मजबूत, टिकाऊ सुरक्षा देती है, लेकिन लोगों को अभी भी बूस्टर डोज से फायदा हो सकता है क्योंकि ये वैक्सीन की प्रभावकारिता में सुधार करता है.

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