छात्रों में बढ़ रहा है तनाव, चीन इससे निजात दिलाने के लिए करेगा ये कोशिश
प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में मनोवैज्ञानिक सलाहकारों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है.
आज के दौर में तनाव व अवसाद की समस्या से अधिकांश लोग परेशान हैं. युवाओं और छात्रों के बीच भी यह परेशानी बढ़ती जा रही है. चीन में छात्रों को कड़ी प्रतिस्पर्धा आदि कारणों से तनाव का सामना करना पड़ता है. यहां के संबंधित मंत्रालय व विभाग छात्रों में हो रही मानसिक परेशानी से निजात दिलाने की कोशिश में लगे हैं. इसी संदर्भ में नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. चीनी शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि वह छात्रों की नियमित स्वास्थ्य जांच में अवसाद के लिए स्क्रीनिंग को भी शामिल करेगा. इसके लिए मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों से सभी छात्रों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर अनिवार्य पाठ्यक्रम की पेशकश करने के लिए भी कहा है. जबकि स्कूली छात्रों और विश्वविद्यालय के नए छात्रों को वार्षिक मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन से गुजरने की आवश्यकता होगी.
इतना ही नहीं संबंधित मंत्रालय ने जोर देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालयों को कम से कम दो योग्य पूर्णकालिक मनोवैज्ञानिक सलाहकारों को नियुक्त करना होगा. साथ ही प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में इससे जुड़े सदस्य की नियुक्ति करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. यह भी कहा जा रहा है कि प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में मनोवैज्ञानिक सलाहकारों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है.
इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों के पढ़ाई के बोझ को और कम करने की जरूरत है. इसके अलावा छात्रों में उनकी रुचि और शौक को विकसित करने में मदद करने के लिए स्टडी के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. चाइना वोकेशनल एजुकेशन एसोसिएशन की शांगहाई शाखा के राष्ट्रीय राजनीतिक सलाहकार और कार्यकारी उप निदेशक हू वेई के मुताबिक स्कूलों और अभिभावकों को छात्रों को उनकी इच्छानुसार चीजें चुनने के लिए पर्याप्त खाली समय देना अहम है. उन्होंने कहा कि छात्रों के परिजनों और शिक्षकों को उन पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए, छत्रों के पास खाली समय होना चाहिए, ताकि वे तनावमुक्त रहें.
यहां बता दें कि छात्रों के हेल्थ इंश्योरेंस पर भी ध्यान देने की बात कही गयी है. जिन छात्रों को मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं, उन्हें अक्सर लंबे समय तक चिकित्सा और दवा लेने की आवश्यकता होती है. हालांकि, इस तरह के उपचार को चिकित्सा बीमा द्वारा कवर नहीं किया जाता है और परिवार अक्सर खर्च नहीं उठा सकते हैं इसलिए वे इलाज बंद कर देते हैं.
ये भी पढ़ें –
मां की मौत से अनजान था बच्चा, शव के साथ बिताए चार दिन, फिर हुआ कुछ ऐसा
IND vs SL: रोहित शर्मा के छक्के ने तोड़ दी दर्शक की नाक, हॉस्पिटल में लगाने पड़े टांके
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets