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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
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NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)
गैजेट्स पहुंचा रहे युवाओं की रीढ़ को नुकसान, करें ये उपाय
अगर आप भी दिनभर अपने गैजेट्स, कंप्यूटर स्क्रीन और ट्रैवल में व्यस्त रहते हैं तो ये खबर आपके लिए है.
नई दिल्लीः जो युवा गैजेट्स का इस्तेमाल अधिक करते हैं और लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते हैं, उन्हें 'रिपिटिटिव इन्जरी' होने की आशंका बढ़ जाती है. इस प्रकार के 80 प्रतिशत मामलों का समाधान जीवनशैली में बदलाव से किया जा सकता है, जैसे अच्छा पोषण और भरपूर व्यायाम आदि अपनाकर.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- दिल्ली के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के स्पाइन सर्विस के प्रमुख डॉ. अरुण भनोट का कहना है कि 20 से 40 साल की उम्र वाले प्रोफेशनल्स के बीच रीढ़ से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जा रही हैं. रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी (आरएसआई) को बार-बार एक ही प्रकार की गतिशीलता और ओवर यूज की वजह से मांसपेशियों, टेंडंस और नर्व्स में दर्द के रूप में जाना जाता है. इस स्थिति को ओवरयूज सिंड्रोम, वर्क रिलेटेड अपर लिंब डिसॉर्डर या नॉन-स्पेसिफिक अपर लिंब के रूप में भी जाना जाता है. क्या है कारण-- 40 साल की उम्र वाले अधिकतर लोग वर्किंग प्रोफेशनल होते हैं जो ऑफिस पहुंचने के लंबी दूरी तक यात्रा करके, ड्राइव करके पहुंचते हैं और इसके बाद पूरा दिन अधिकतर समय एक जगह बैठकर काम करते रहते हैं. वे कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं, लंबी मीटिंग के लिए बैठते हैं और अपने मोबाइल पर उपलब्ध हो चुके सोशल मीडिया पर व्यस्त रहते हैं. घर पहुंचने के बाद ये लोग किताबें पढ़ने के लिए गैजेट का इस्तेमाल करते हैं और पढ़ते-पढ़ते सो जाते हैं.
- स्क्रीन का इतना लंबा और अनावश्यक एक्सपोजर स्पाइन पर बेकार का तनाव डालता है और इससे लिगामेंट में स्प्रेन का खतरा बढ़ जाता है जो वर्टिब्रा को बांधकर रखता है, ऐसे में मांसपेशियों में कड़ापन आने लगता है और डिस्क में समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है.
- इंसान की रीढ़ को मूवमेंट के सपोर्ट के लिए डिजाइन की गई है और अगर यह इस्तेमाल में रहती हैं तो स्वस्थ्य बनी रहती है. आज के युवाओं को समस्या इसलिए हो रही है, क्योंकि वे निष्क्रिय जीवनशैली जी रहे हैं, जिसमें गैजेट पर निर्भरता काफी ज्यादा बढ़ गई है. अधिकतर युवाओं में देखी जा रही आम समस्या है सर्विकल स्पाइन और पीठ की, जैसे कि स्लिप डिस्क, रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी, सोर बैक और लिमामेंट की चोट.
बचाव के लिए क्या करें- इस मामले में सबसे जरूरी है समय पर समस्या की पहचान, जिससे मेडिकल और सर्जिकल इंटर्वेशन की जरूरत कम पड़ती है और समस्या का समाधान जीवनशैली में बदलाव लागू किया जा सकता है. इसके तहत अच्छा पोषण, हल्का व्यायाम और नियमित अंतराल में थोड़ी-थोड़ी देर तक टहलकर सिटिंग टाइम को कम करके दिक्कतों को दूर किया जा सकता है.
ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.Check out below Health Tools-
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शशि शेखर, स्वतंत्र पत्रकारJournalist
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