सेक्स के बारे में ये 6 बातें बिल्कु्ल गलत सोचते हैं लोग!
सेक्स से जुड़ी इन 6 बातों पर क्या आप भी करते हैं यकीन?

नई दिल्लीः कोई भी सेक्स थेरेपिस्ट आपको सेक्स के बारे में आपकी जानकारी से तो ज्यादा ही बता देगा. दरअसल, लोगों को सेक्स को लेकर कई तरह के मिथ्स होते हैं. कई बार इन मिथ्स के कारण सेक्स को आप और आपका पार्टनर एन्जॉय नहीं कर पाता. सेक्स थेरेपिस्ट ने ऐसी ही कुछ कॉमन बातों के बारे में बात की है. आज हम आपको सेक्स से जुड़ी उन 6 बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में लोग बहुत गलत सोचते हैं.
अच्छे रिलेशनशिप में मास्टररबेशन गलत है- मास्टबेशन यानि सेल्फ प्लेजर हर किसी के लिए जरूरी होता है. खासतौर पर महिलाओं के लिए जो कि सेक्स इच्छा कम होने के कारण स्ट्रगल करती हैं. कई लोगों के लिए मास्टरबेशन चुनौतिपूर्ण होता है क्योंकि वे इसे डर्टी, सेल्फिश और धोखे के रूप में लेते हैं. होनोलूलू, हवाई के मनोवैज्ञानिक और सेक्स चिकित्सक जेनेट ब्रिटो कहते हैं कि मैं जोडियों को सीखाता हूं कि एक-दूसरे को खुश कैसे किया जाए. पार्टनर्स को किस तरह का टच ज्यादा पसंद आता है. उन्हें मैं मास्टरबेशन की जरूरत समझाता हूं.
इंटरकोर्स के दौरान ऑर्गेज़्म है जरूरी- 2005 की एक स्टडी के मुताबिक, एक तिहाई से भी कम महिलाओं को इंटरकोर्स के दौरान अकेले ऑर्गेज़्म होता है. इंटरकोर्स के दौरान ऑर्गेज़्म होना जरूरी है ये बहुत बड़ा मिथ है. अगर ऐसा ना हो तो ये शर्म की बात है और रिलेशनलशिप में फ्रस्टेशन होता है. नतीजन महिलाएं फेक ऑर्गेज़्म करती हैं. अधिकत्तर महिलाओं को ऑर्गेज़्म के लिए क्लीटोरल उत्तेजना चाहिए होती है जबकि इंटरकोर्स के दौरान ऐसा बहुत ही कम होता है. ऐसे में महिलाओं को उत्तेजना के लिए सेल्फ वाइब्रेशन की जरूरत होती है. कई महिलाओं को इंटरकोर्स के बजाय ओरल सेक्स, मैन्यू्अल सेक्स और वाइब्रेशन के दौरान ऑर्गेज़्म होता है.
क्लिटॉरिस छोटा होता है और इसे ढूंढना मुश्किल है- बहुत से महिलाओं और पुरुषों को इस बात का अंदाजा ही नहीं होता कि क्लिटोरल ग्लैंस सिर्फ एक शुरूआत है. हां क्लिटोरल ग्लैंस विशबोन शेप में होता है जो कि लेबिया के राइट साइड में होता है. यानि अगर आप क्लिटॉरिस को मिस कर रहे हैं तो सेक्सुअल उत्तेाजना को मिस कर रहे हैं. आपको ये समझना होगा कि डारेक्ट क्लिटॉरिस से महिलाओं को सबसे ज्यादा उत्तेजना होती है.
दो लोगों के बीच प्यार होता है तभी सेक्स का आनंद है- ये सही है कि इंटरकोर्स के लिए दो लोगों को आपसी ट्रस्ट ,रिस्पेक्ट और प्यार होना जरूरी है लेकिन ये भी सही है कि सेक्सुअल रिलेशनशिप आगे बढ़ाने के लिए माइंड गेम की जरूरत नहीं होती. सेक्स को आप तभी एन्जॉय कर सकते हैं जब दूसरे पार्टनर को आप खुद से खेलने दें. अगर आपको पार्टनर से किसी तरह का डर है तो आप उस मोमेंट को एन्जॉय नहीं कर पाएंगे.
दोनों ही उत्तेजित हैं तो सेक्स का मजा होता है दोगुना- अगर महिला वैट नहीं है या फिर पुरुष इरेक्ट नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं कि वे सेक्स को लेकर उत्तेजित नहीं है. आप मानसिक तौर पर उत्तेजित हो सकते हैं बेशक शारीरिक तौर पर नहीं भी हैं तो. कई बार बॉडी को माइंड से तालमेल होने में वक्त लगता है ऐसे में इसे कोई समस्या, डिस्फंक्शन या इश्यू नहीं बनाना चाहिए. बॉडी उत्तेजित नहीं है तो इसे इरेक्टारइल डिस्फंक्शन की कैटेगिरी में शामिल नहीं करना चाहिए. ये ह्यूमन नेचर का नैचुरल पार्ट है.
रिलेशनशिप पर डिपेंड करता है गुड सेक्स- बेहतर सेक्स के लिए आपको बेस्ट लवर होने की जरूरत नहीं. आपका पार्टनर आपको हमेशा लव करता है हर समय उसे ये जताने की जरूरत नहीं. बहुत से लोग सोचते हैं कि सेक्स का असली मजा तभी आ सकता है जब दो लोग एक-दूसरे को टूट कर प्यार करते हैं. लेकिन ये सब सिर्फ एक मिथ ही है.
नोट: आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
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Source: IOCL






















