कहीं आप भी तो रात 11 बजे के बाद नहीं सोते हैं? बदल लें यह आदत, वरना छूट जाएगा इन चीजों का साथ
क्या आप भी रात 11 बजे के बाद सोते हैं? यह आदत आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है. जानिए, क्यों जरूरी है समय पर सोना.

आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में, हर कोई जल्दी सफल होना चाहता है और इस दौड़ में हम अक्सर अपनी नींद की अनदेखी कर देते हैं. स्मार्टफोन्स, टीवी, और अन्य तकनीकी गैजेट्स हमें देर तक जगाए रखते हैं, और हम सोचते हैं कि यह सब तो नॉर्मल है. मगर, क्या आप जानते हैं कि देर रात तक जागने से हमारी बॉडी क्लॉक जिसे सर्केडियन रिदम कहते हैं. बिगड़ जाती है? इससे हमारे शरीर और दिमाग दोनों की हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.
बॉडी क्लॉक का बिगाड़ जाना
हमारी बॉडी क्लॉक हमें बताती है कि कब सोना है, कब जागना है. जब हम देर रात तक जागते हैं, तो यह नेचुरल टाइमर बिगड़ जाता है, जिससे हमारी नींद और जागने के समय में गड़बड़ी आती है. इसका सीधा असर हमारी फिजिकल हेल्थ पर पड़ता है, जैसे कि थकान महसूस होना, वजन बढ़ना और बीमारियों का खतरा बढ़ना. साथ ही, हमारी मानसिक सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ता है, जैसे कि चिंता और अवसाद की समस्याएं बढ़ सकती हैं.
हेल्थ पर असर
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जनरल मेडिकल साइंस के मुताबिक, हमारी आंतरिक घड़ी हर 24 घंटे में सूर्य और अंधेरे के अनुसार चलती है. लेकिन, देर रात तक जागने से यह चक्र प्रभावित होता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च के अनुसार, इसका असर सीधा हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है और हमारी सीखने की क्षमता भी कम हो जाती है.
जानें रिपोर्ट क्या कहती है
वेकफिट की 'द ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड' रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 58% लोग रात 11 बजे के बाद सोते हैं. देर रात सोने की एक प्रमुख वजह है मोबाइल पर लगे रहना. एक अलग रिसर्च के अनुसार, सोने से पहले 88% भारतीय अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 62% थी. 54% लोग सोशल मीडिया की लत के कारण नींद नहीं ले पाते.
ये शहर है आगे
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, काम के बढ़ते दबाव के कारण देर रात तक जागना आम बात हो गई है, खासकर बड़े शहरों में. चेन्नई, गुरुग्राम, और हैदराबाद जैसे शहरों में लोग अक्सर देर रात तक काम करते हैं, जिससे उनकी नींद के घंटे कम हो जाते हैं. नाइट शिफ्ट की नौकरियां और मोबाइल फोन्स के इस्तेमाल से भी नींद में खलल पड़ता है.
शरीर पर पड़ रहा है असर
इस समस्या से न केवल कुछ लोग बल्कि भारत की लगभग 30% आबादी प्रभावित है, और ऐसा अनुमान है कि आने वाले समय में यह संख्या और भी बढ़ सकती है. जब हम देर रात तक जागते हैं या नियमित समय पर नहीं सोते हैं, तो हमारी बॉडी क्लॉक, जिसे सर्केडियन रिदम कहते हैं, बिगड़ जाती है. इसका सीधा असर हमारी फिजिकल और मानसिक सेहत पर पड़ता है.
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