2020 की शुरुआत में ही जो लोग आए थे कोरोना की चपेट में, उनको फिर संक्रमण का है खतरा
विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि जो लोग 2020 के शुरुआती महीनों में महामारी की पहली लहर के दौरान बीमारी की चपेट में आ चुके थे, उनको अब फिर संक्रमण का खतरा हो सकता है.
कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोग दोबारा संक्रमण के खिलाफ उतने ही सुरक्षित हैं जितना कोविड-19 वैक्सीन हासिल कर चुके लोग. ये खुलासा 20 हजार ब्रिटिश हेल्थकेयर वर्कर्स के सर्वेक्षण से हुआ है. दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा रिसर्च होने का दावा किया गया है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के वैज्ञानिकों की शुरुआती खोज से पता चला है कि पहले के संक्रमण से कोविड-19 एंटी बॉडीज वाले लोगों में दोबारा संक्रमण का मामला दुर्लभ है.
कोरोना का संक्रमण पांच महीने तक देता है इम्यूनिटी
शोधकर्ताओं ने बताया कि रिसर्च में पहले से संक्रमित 6 हजार 614 लोगों के बीच सिर्फ 44 मामला पाया गया. लेकिन, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि खोज का मतलब है कि जो लोग 2020 के शुरुआती महीनों में महामारी की पहली लहर के दौरान बीमारी की चपेट में आ चुके थे, उनको अब फिर संक्रमण का खतरा हो सकता है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने जून और नवंबर के बीच वॉलेंटियर के दो ग्रुप को नियमित तौर पर जांचा. 6 हजार हेल्थ वर्कर्स इससे पहले ही कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके थे. दोनों ग्रुप में संक्रमण की तुलना करने पर पाया गया कि पूर्व की कोविड-19 इम्यूनिटी से दोबारा संक्रमण के खिलाफ 83 फीसद सुरक्षा मिली.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के रिसर्च में किया गया खुलासा
गुरुवार को जारी किए गए परिणामों में विस्तार से बयान किया गया है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की वरिष्ठ मेडिकल सलाहकार सुशान हॉपकिन्स ने कहा, "मैं खोज से 'बहुत ज्यादा उत्साहित हूं' कि संक्रमण ने मजबूत सुरक्षा कम से कम पांच महीनों के लिए दोबारा संक्रमण से दिया." उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संक्रमण वैक्सीन के जैसा अच्छा दिखाई देता है जो लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है. हालांकि, रिसर्च में पांच महीने के बाद का संभावित सुरक्षा पर डेटा मुहैया नहीं हो सका है. बयान में कहा गया कि खोज से एंटीबॉडी या वैक्सीन के अन्य इम्यून रिस्पॉन्स का पता नहीं चला और न ही इस बात का पता चला कि वैक्सीन कितनी प्रभावी होगी.
वैक्सीन के रिस्पॉन्स का विचार इस साल बाद में किया जाएगा. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि संक्रमण से 'प्राकृतिक सुरक्षा' हासिल कर चुके लोग अभी भी नाक और गले में कोरोना वायरस ले जाने में सक्षम हो सकते हैं और गैर इरादतन उसे दूसरों तक फैला सकते हैं. सीरेन सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं का मंसूबा रिसर्च को जारी रखने का है, जिससे पता लगाया जा सके कि प्राकृतिक इम्यूनिटी पांच महीने से ज्यादा रह सकती है या नहीं. फिलहाल, जरूरी है कि हर शख्स नियमों का पालन करना जारी रखे, चाहे पूर्व में कोविड-19 की चपेट में ही क्यों ना आ गया हो. हॉपकिन्स ने लोगों का आह्वान किया है कि 'उनके शुरुआती खोज को गलत न समझा जाए.'
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