2047 में विकसित भारत, कैसे लगा पाएगा ओलंपिक्स में पदकों का शतक?
India at 2047: भारत में खेलों का एक बुनियादी ढांचा तैयार हो रहा है. क्या यह ढांचा भारत को ज्यादा मेडल लाकर दे रहा है, क्या 2047 तक भारत खेलों में भी विकसित हो पाएगा?

2030 कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी मिल चुकी है, अब 2036 ओलंपिक्स की मेजबानी पाना भारत का अगला लक्ष्य है. मेजबानी मिलना जाहिर तौर पर अच्छी बात है, इससे इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा और आयोजन अच्छे ढंग से हुआ तो दुनिया भर में भारत की वाहवाही होगी. मगर पदक कब आएंगे? देश का हर एक खेल प्रशंसक इस सवाल का जवाब जानना चाहता है. चीन और अमेरिका ओलंपिक्स में 100 से भी ज्यादा मेडल जीतते रहे हैं, लेकिन भारत का नाम ओलंपिक्स की पदक तालिका के पहले 50 स्थानों में भी दिखाई नहीं पड़ता.
अगले वर्ष कॉमनवेल्थ गेम्स स्कॉटलैंड में होने हैं. जैसे ही कॉमनवेल्थ गेम्स समाप्त होंगे, उसके डेढ़ महीने बाद ही जापान में एशियाई खेल शुरू हो जाएंगे. अगले साल भारतीय एथलीटों के पास नए-नए कीर्तिमान स्थापित करने का सुनहरा मौका होगा. फिर 2028 के ओलंपिक्स और पैरालंपिक्स में भी भारत को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी.
भारत 2047 में एक विकसित देश बनने का लक्ष्य साथ लेकर चल रहा है. इसी के साथ एक और सवाल उत्पन्न होता है कि क्या भारत खेलों में भी विकसित होने के प्रति ठोस कदम उठा रहा है? क्या बहुराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए भारत में एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार हो रहा है?
खेलो इंडिया गेम्स ने ढूंढ निकाली प्रतिभा
2018 में खेलो इंडिया गेम्स की शुरुआत हुई. एक साल बाद इसका नाम बदल कर खेलो इंडिया यूथ गेम्स कर दिया गया. स्कूल और कॉलेज लेवल के एथलीटों को पहले बहुत लंबा सफर तय करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त होती थी. लेकिन अब खेलो इंडिया गेम्स इन युवा एथलीटों के लिए रातों-रात सफलता दिलाने वाला सूत्र कहा जा सकता है. महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्य खेलों में पहले से अच्छा करते आए हैं, लेकिन खेलो इंडिया यूथ गेम्स ने खासतौर पर असम, मणिपुर और त्रिपुरा समेत अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के एथलीटों को भी आगे आने का अवसर प्रदान किया है. खेलो इंडिया गेम्स में उनकी सफलता इसका जीता जागता उदाहरण है.
अच्छा करने वाले एथलीटों के लिए स्कॉलरशिप, लगभग हर जिले में खेलो इंडिया सेंटर खोले गए और कोच भी उपलब्ध करवाए गए हैं. हर गांव, हर शहर के बच्चे को मौका मिल सके, इसके लिए 2021 में खेलो इंडिया गेम्स विविधीकरण किया गया. चार नए फॉर्मेट सामने आए. खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, खेलो इंडिया विंटर गेम्स, खेलो इंडिया पैरा गेम्स और भारत के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने हेतु 'खेलो इंडिया इंडिजिनस गेम्स' की शुरुआत भी हुई. बिना कोई शक देश के कोने-कोने से प्रतिभा ढूंढ निकालने का प्रयास जारी है.
ढूंढी प्रतिभा, अब उसे निखारने के लिए क्या हो रहा?
स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) और खेल मंत्रालय ने मिलकर भारतीय खेल संस्कृति में जमीनी स्तर पर बदलाव के प्रयास किए हैं. देशभर में कम से कम 10 ओलंपिक्स एंड हाई-परफॉर्मेंस सेंटर खोलने की योजना है. इनमेन विश्व स्तरीय कोचिंग, फिजियोथेरेपी, पोषण और खेल विज्ञान संबंधी सहायता प्रदान की जाएगी.
प्रतिभा को निखारने के लिए देश भर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले गए हैं. उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में छोटे और बड़े स्टार के 75 स्टेडियम तैयार होने शुरू हो गए हैं. बिहार में पटना सहित अन्य शहरों में इंडोर स्टेडियम और अन्य स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तैयार हो रहे हैं. तेलंगाना, ओडिशा और तमिलनाडु में 23 नए स्पोर्ट्स स्टेडियम तैयार किए जाएंगे. पूरे देशभर में खेल सुविधाओं को सुधारने और पदक विजेता एथलीट तैयार करने के प्रयास हो रहे हैं.
एथलीटों का क्या कहना है? बदलाव हुए या नहीं
2024 पेरिस पैरालंपिक्स की एफ41 जेवलिन थ्रो स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाले नवदीप सिंह का कहना था कि पहले की तुलना में अब बेहतर खेल सुविधाएं दी जा रही हैं. उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में अब एथलीटों को उनके करियर के शुरुआती दौर में ही सपोर्ट मिलने लगता है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कैसे भारत सरकार की टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के माध्यम से कैसे एथलीटों को वित्तीय मदद, गुजारा भत्ता और साथ ही उच्च स्तरीय ट्रेनिंग सुविधाएं मिल रही हैं.
नए एथलीटों को मिल रही मदद, देश में तैयार हो रहे खेलों के नए वातावरण की नीरज चोपड़ा भी तारीफ कर चुके हैं. उन्होंने खुद भी माना कि इसी बदलते वातावरण ने उन्हें हालिया इवेंट्स में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की है. इसके अलावा कई उभरते हुए सितारे क्षेत्रीय स्तर पर होने वाले खेल कार्यक्रमों और सहायक वातावरण का आभार जता चुके हैं.
क्या भारत खेलों में बेहतर कर रहा है?
नई स्कीम, विश्व स्तरीय कोचिंग और ट्रेनिंग सेंटर्स खोले जाने का परिणाम क्या निकल कर आया है. एशियाई खेलों का उदाहरण लें, तो 2014 इनचियोन गेम्स में भारत ने कुल 57 मेडल जीते थे. 2018 जकार्ता एशियन गेम्स में पदकों की संख्या बढ़कर 70 और फिर 2022 के खेलों में भारत ने 106 मेडल जीतकर एशियन गेम्स में पदकों का शतक लगाया था. पिछले 2 एशियाई खेलों में पदकों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है. भारत ओलंपिक पदकों की संख्या को बढ़ा नहीं पाया है. 2020 टोक्यो ओलंपिक्स में भारत ने 7 और पेरिस ओलंपिक्स में उसने 6 मेडल जीते थे. मगर एक अच्छा पहलू ये है कि भारत लगातार पिछली 3 बार से ओलंपिक्स में 100 से अधिक एथलीटों का जत्था भेज रहा है.
वहीं पैरालंपिक्स में भारत रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन कर रहा है. पिछले पांच सालों में भारत के पैरालंपिक एथलीटों द्वारा जीते गए पदकों की संख्या 7 गुना तक बढ़ी है. 2016 रियो पैरालंपिक्स में भारत ने 4 पदक जीते थे, लेकिन 2020 में 19 मेडल आए और 2024 पेरिस पैरालंपिक्स में भारत ने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. 2024 में भारतीय एथलीटों ने 7 गोल्ड सहित कुल 29 पदक जीते थे.
दिख रहे हैं अच्छे परिणाम?
भारत में तैयार हो रहे 'स्पोर्ट्स कल्चर' का एक अच्छा परिणाम 2025 के यूथ एशियाई खेलों में भी देखने को मिला. 2025 के यूथ एशियन गेम्स बहरीन में आयोजित हुए, जिनमें भारत ने रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करते हुए कुल 48 मेडल जीते थे. जबकि उससे पिछली बार भारत सिर्फ 14 पदक जीता था.
ओलंपिक्स में भी भारतीय एथलीट रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन कर रहे हैं. 2024 पेरिस ओलंपिक्स में मनु भाकर ऐसी पहली महिला भारतीय एथलीट बनीं, जिन्होंने एक ही ओलंपिक्स में दो अलग-अलग पदक जीते हों. वहीं पुरुष हॉकी टीम उसी लय में दिखी है, जिसने लगातार दो ओलंपिक्स में पदक जीतकर उस युग को वापस लाया है, जिसमें भारत ने हॉकी में 8 स्वर्ण पदक जीते थे.
अब 2026 एशियाई खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए चयन प्रक्रिया को बेहतर बनाया गया है. ये हालिया परिणाम दिखाते हैं कि भारत ना केवल बहुराष्ट्रीय खेल आयोजनों में ज्यादा पदक ला रहा है, साथ-साथ कोचिंग और ट्रेनिंग को बेहतर किए जाने के अलावा सपोर्ट सिस्टम को भी बेहतर बनाया जा रहा है.
खेलों का भारत को विकसित देश बनाने में योगदान
जिस तरह एथलीटों के लिए अच्छी ट्रेनिंग, कोचिंग की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं, नए स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तैयार हो रहे हैं. वह देश में नई नौकरी देने में अहम योगदान देगा. एथलीट, कोच, ट्रेनर, इवेंट मैनेजमेंट से लेकर टूरिजम को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद होगी.
जैसे-जैसे भारत में नए खेल गांव बनते जाएंगे, वैसे-वैसे वहां इनफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होने की उम्मीद होगी. विश्व स्तरीय स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के निर्माण से स्मार्ट सिटी की योजना को बल मिलेगा. खेलों में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिल सकेगा, जिसमें हेल्थ सेक्टर, मैनेजमेंट सेक्टर और मुख्यतः खेलों में बेहतर करने से भारत को विश्व में एक स्थान प्राप्त होगा.
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Source: IOCL
























