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डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था होगी मजबूत, विकसित राष्ट्र बनने के लिहाज से समझें मायने

Digital India: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम मिलेगा. भारत के जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान 2026 तक 20% से ज्यादा होने का अनुमान है.

Digital Economy: भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. किसी भी देश के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था की मजबूती आज के वक्त में प्राथमिकता वाला मुद्दा है. डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करके ही भारत विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल कर सकता है.

डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत ने 8 साल पहले एक ऐसा फैसला लिया था, जिसकी बदौलत हम आज वैश्विक अर्थव्यवस्था के चमकते सितारे बन चुके हैं. एक जुलाई 2015 को देश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इस अभियान को और भी मजबूती देने की जरूरत है. इसी पहलू को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार का फैसला किया है.

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का विस्तार

केंद्रीय कैबिनेट ने 16 अगस्त को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार मंजूरी दे दी. इस पर 14, 903 करोड़ रुपये खर्च होंगे. डिजिटल इंडिया विस्तार के तहत पहले से जारी कार्यों को आगे बढ़ाया जाएगा. कुछ नए पहल भी होंगे. बजट खर्च को वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल के लिए स्वीकार किया गया है.

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार का फैसला कुछ लाभ को रखकर किया गया है.  डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत कुछ लक्ष्य तय किए गए हैं. ये इस प्रकार हैं:

  • फ्यूचर स्किल प्राइम कार्यक्रम के तहत 6.25 लाख आईटी पेशेवरों को आधुनिक टेक्नोलॉजी के हिसाब से प्रशिक्षित कर उनके स्किल को बेहतर किया जाएगा.
  • सूचना सुरक्षा और शिक्षा जागरूकता चरण (ISEA) कार्यक्रम के तहत 2.65 लाख लोगों को सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में ट्रेनिंग दी जाएगी.
  • राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) के आधुनिकीकरण के तहत इसमें 1,787 शिक्षण संस्थानों को जोड़ा जाएगा.
  • डिजीलॉकर के तहत डिजिटल दस्तावेज सत्यापन की सुविधा अब  सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ दूसरे संगठनों के लिए भी होगी.
  • यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस (UMANG) ऐप पर फिलहाल 1,700 से ज्यादा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. अब इस निःशुल्क मोबाइल ऐप उमंग पर इनके अलावा 540 अतिरिक्त सेवाएं भी मुहैया कराई जाएंगी.
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत  टियर 2/3 शहरों में 1,200 स्टार्टअप्स को  वित्तीय मदद दी जाएगी.
  • तीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाएंगे, जो स्वास्थ्य, कृषि और टिकाऊ शहरों की ज़रूरतों पर आधारित होंगे.
  • साइबर-जागरूकता पाठ्यक्रम चलाकर 12 करोड़ कॉलेज छात्रों को साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूक किया जाएगा.
  • साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नई पहल शुरू की जाएगी. इसके तहत उपकरणों के विकास और राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र के साथ 200 से अधिक साइटों का एकीकरण किया जाएगा.
  • राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन के तहत फिलहाल 18 सुपर कम्प्यूटर काम कर रहे हैं. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत अब इस मिशन में 9 और सुपर कंप्यूटर जुड़ जाएंगे. भारत सरकार ने मार्च, 2015 में राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटर मिशन के तहत 4,500 करोड़ रुपये की लागत से 2022 तक 70 सुपर कंप्यूटर स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बहु-भाषा अनुवाद उपकरण 'भाषिणी'  को सभी 22 अनुसूची और 8 भाषाओं में शुरू किया जाएगा. फिलहाल ये 10 भाषाओं में उपलब्ध है.

हर नागरिक तक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित

देश के हर नागरिक तक सरकारी सेवाओं की पहुंच हो, ये सिर्फ़ डिजिटल तरीके से ही संभव है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से इसमें मदद मिलेगी. इसके साथ ही देश में बेहतर और वैश्विक स्तर का आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम हो, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से ये भी सुनिश्चित हो सकेगा. ओवरऑल डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार का मकसद देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है.

हर क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन की उपयोगिता

मौजूदा वक्त में ऐसा कोई भी क्षेत्र या सेक्टर नहीं है, जिसमें डिजिटलाइजेशन की उपयोगिता न हो. चाहे शिक्षा जगत हो या फिर मेडिकल फील्ड, चाहे विनिर्माण उद्योग हो या फिर आधुनिक युद्ध तकनीक हो..हर सेक्टर में डिजिटाइजेशन सबसे महत्वपूर्ण हो गया है. ऐसे में देश के नागरिकों के लिए डिजिटल सशक्तिकरण अब बुनियादी ज़रूरतों में शामिल हो चुका है.

जुलाई 2015 में डिजिटल इंडिया की शुरुआत

इसी को ध्यान में रखते हुए मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने भविष्य के लिहाज से भारत को डिजिटल सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने का लक्ष्य तय किया. अगस्त 2014 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी दे दी गई. डिजिटल इंडिया के विजन का मकसद भारत को डिजिटल सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करना..रखा गया. उसके बाद एक जुलाई 2015 को देश में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

डिजिटल अर्थव्यवस्था में पिछड़ा होना किसी भी देश के लिए विकास की राह में सबसे बड़ी चुनौती है. देश के मानव संसाधनों को डिजिटल कौशल से युक्त होना चाहिए. भारत अब दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. उसके पास युवाओं की एक ऐसी फौज है, जिसकी बदौलत भारत दुनिया का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है. इसको और मजबूती देने के लिए डिजिटल सशक्तिकरण का बदलते टेक्नोलॉजी के हिसाब से तालमेल होना चाहिए. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार से इसमें मदद मिलेगी. इसमें साइबर सुरक्षा पर ख़ास ध्यान दिया गया है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के तहत साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नए कार्यक्रम चलाए जाएंगे.

डिजिटल कौशल में कमी का असर

डिजिटल कौशल में कमी किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है. डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, साइबर सुरक्षा और डिजिटल कौशलता में अगर कोई देश पीछे रहता है तो उस देश की अर्थव्यवस्था को व्यापक पैमाने पर मौद्रिक नुकसान हो सकता है. इस बात को नैसकॉम के साथ ही यूनेस्को ने भी माना है. इन दोनों का मानना है कि डिजिटल कौशल में कमियों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2028 तक 11.5 ट्रिलियन डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

डिजिटल कनेक्टिविटी की बढ़ती भूमिका

जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होते जाएगा, उसमें डिजिटल कनेक्टिविटी की भूमिका और बढ़ती जाएगी और इसमें पांचवीं पीढ़ी की प्रौद्योगिकी सबसे अहम साबित होगी. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. आने वाले 4 सालों में ही भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी. जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होते जाएगा, उसमें डिजिटल कनेक्टिविटी की भूमिका और बढ़ती जाएगी.  इसके लिए हमें बेहतर तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरत है.  इस लिहाज से भारत ने पिछले कुछ सालों में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं. उसी का नतीजा है कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने की रफ्तार तो तेज है ही, डिजिटल नेटवर्क का विस्तार भी उसी रफ्तार से हो रहा है.

भारत जिस तरह से आने वाले 25 सालों में विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, उस नजरिए से टेक्नोलॉजी की भूमिका काफी बढ़ जाती है. ये हम सब जानते हैं कि दुनिया में जिस तरह का टेक इकोसिस्टम तैयार हो रहा है, उसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है. भारत के टेक-इकोसिस्टम का विस्तार करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता अपार है. भारत युवा आबादी वाला देश है और 21वीं सदी डिजिटल क्रांति की सदी है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार में इस पहलू का भी ख़ास खयाल रखा गया है.

डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ते कदम

पूरी दुनिया डिजिटल वर्ल्ड का रूप लेते जा रही है. भारत का कदम डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है.  भारत सरकार के एक अनुमान के मुताबिक मार्च, 2021 तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की वजह से सकल घरेलू उत्पाद के करीब 1.1 फीसदी खर्च की बचत हो पाई. इस साल अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी माना था कि भारत ने  व्यापक उपयोग वाला एक विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा कर लिया है. आईएमएफ का ये भी कहना था कि भारत ने जिस तरह का विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया है, उससे दूसरे देश सबक ले सकते हैं.

डिजिटल सार्वजनिक ढांचे के तहत विशिष्ट पहचान (Aadhaar), यूपीआई और आधार-समर्थित भुगतान सेवा के साथ डिजिलॉकर और खाता एग्रीगेटर जैसे डेटा विनिमय की व्यवस्था को आईएमएफ ने महत्वपूर्ण बताया था. आईएमएफ का कहना था कि भारत में तीनों तरह के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे मिलकर सार्वजनिक और निजी सेवाओं तक ऑनलाइन, कागज-रहित, नकदी-रहित और निजता को अहमियत देने वाली डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करते हैं.  डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से भारतीय अर्थव्यवस्था को संगठित बनाने में मदद मिली. इसी का नतीजा था कि जुलाई, 2017 से लेकर मार्च, 2022 की अवधि में करीब 88 लाख नए करदाताओं के पंजीकृत होने से सरकारी राजस्व में भी इजाफा हुआ.

भारत एक ऐसा देश है. जिसने पिछले एक दशक में प्रौद्योगिकी को बहुत तेजी से अपनाया है. इसकी वजह से भारत की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब वो इस क्षेत्र में दुनिया के सामने मौजूद समस्याओं का आगे बढ़कर हल निकाल रहा है.

डिजिटल अर्थव्यवस्था का बड़ा होता आकार

भारत के लिए आने वाला दशक 'टेकेड' है. टेकेड से तात्पर्य है..प्रौद्योगिकी का दशक. भारत के सकल घरेलू उत्पाद में डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान 2026 तक 20 फीसदी से ज्यादा होने का अनुमान है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर भी इस बात को मानते हैं. बेंगलुरु में 17 अगस्त को ‘जी-20 डिजिटल नवोन्मेष गठबंधन शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जानकारी दी कि 2014 में डिजिटल अर्थव्यवस्था का जीडीपी में योगदान चार से साढ़े चार प्रतिशत था. वर्तमान में आंकड़ा 11% हो गया है.

भारत अगले तीन से चार वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को 300 अरब डॉलर से ऊपर ले जाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है. इसी का नतीजा है कि भारत अब चिप लेने वाले से चिप देने वाला देश बनना चाहता है. इसके लिए देश में सेमीकंडक्टर का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारी निवेश पर ज़ोर दिया जा रहा है.

डिजिटल इंडिया की वजह से नागरिकों तक घर बैठे ही कई सरकारी सेवाएं पहुंच रही हैं. इसके साथ ही सरकार की पहुंच भी नागरिकों के दरवाजे और फोन तक सुनिश्चित हो पाया है. डिजिटल इंडिया की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत चौथी औद्योगिक क्रांति, इंडस्ट्री 4.0 में दुनिया को दिशा दे रहा है.  डिजिटल इंडिया की भूमिका भ्रष्टाचार रोकने में काफी महत्वपूर्ण रही है. तकनीक के जरिए से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के तहत पिछले 8 वर्षों में 23 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंची है. तकनीक की वजह से ही देश के 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि गलत हाथों में जाने से बच गई है.

 

डेटा सुरक्षा है सबसे बड़ी चुनौती

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार के बीच एक बड़ी चुनौती है, जिस पर और भी मुस्तैदी से फोकस करने की ज़रूरत है. ये डेटा सुरक्षा से संबंधित है. इसके तहत नागरिकों की निजता के संरक्षण और डेटा सेंधमारी की स्थिति में सरकार और  कंपनियों को जवाबदेह ठहराने की व्यवस्था काफी मायने रखता है.

इस दिशा में संसद के मानसून सत्र से पारित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (Digital Personal Data Protection Bill) काफी मायने रखता है. अब इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है. इस तरह से देश में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून अस्तित्व में आ चुका है. सरकार को उम्मीद है कि इस कानून को 10 महीने के भीतर लागू कर दिया जाएगा.

नए कानून में व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और उपयोग को लेकर कई प्रावधान किए गए हैं. इस कानून में नागरिकों के व्यक्तिगत डिजिटल डेटा का दुरुपयोग या उसकी रक्षा नहीं कर पाने पर जिम्मेदार इकाई पर 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. उपयोगकर्ताओं के डेटा का इस्तेमाल कर रहीं कंपनियों की ये जिम्मेदारी होगी कि वे व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करें. अगर व्यक्तिगत डेटा के उल्लंघन का कोई मामला बनता है तो कंपनियों को मामले की सूचना डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) और उपयोगकर्ता को देनी होगी.

फ्यूचर डिजिटल टेक का विस्तार

भारत में फ्यूचर डिजिटल टेक का विस्तार हो, इसमें स्पेस, मैपिंग, ड्रोन, गेमिंग और एनिमेशन की भूमिका काफी ज्यादा रहने वाली है. यही कारण है कि केंद्र सरकार इन क्षेत्रों में इनोवेशन को लगातार बढ़ावा दे रही है. इसके लिए नीतिगत कदम के साथ आर्थिक सहायता भी मुहैया कराया जा रहा है.  IN-SPACe और नई ड्रोन पॉलिसी जैसे कदमों से अगले 10 साल में भारत के टेक पोटेंशियल को नई ऊर्जा मिलने की भरपूर संभावना है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के विस्तार में इन बातों का भी ख्याल रखा गया है.

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