5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट के पीछे क्यों पड़ी है दुनिया, क्या है इसकी 'स्टेल्थ टेक्नोलॉजी' जो बनाती है इसे घातक?
दुनिया में सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट हैं, जिनकी स्पीड, मारक क्षमता और रडार सिस्टम दुनिया में सबसे एडवांस है. अब भारत भी इस पर काम कर रहा है.

5th Generation Fighter Jets: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष के बाद 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की चर्चा तेज हो गई है. फिलहाल फिफ्थ जनरेशन के स्टील्थ फाइटर जेट न तो पाकिस्तान के पास हैं और न भारत के पास. दुनिया में सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, रूस और चीन के पास ही इस तरह के फाइटर जेट हैं, जिनकी स्पीड, मारक क्षमता और रडार सिस्टम दुनिया में सबसे एडवांस है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान 2029 तक चीन से J-35A जेट लेने की योजना बना रहा है. यह एक पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. उधर, चीन के पास पहले से ही इस तरह का फाइटर जेट है, जो भारत के लिए बड़ी टेंशन है. ऐसे में भारत ने भी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. भारत अपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर काम कर रहा है और इसका डिजाइन तैयार हो चुका है.
अब सवाल यह है कि जब दुनिया के कई देशों के पास पहले से ही एडवांस फाइटर जेट्स हैं तो पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत क्यों है? भारत की ही बात करें तो IAF में राफेल जैसा 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान शामिल है. ऐसे में चलिए जानते हैं कितनी खास है पांचवीं पीढ़ी के विमानों की स्टेल्थ टेक्नोलॉजी?
तीन बड़े देशों के पास 5th जनरेशन के लड़ाकू विमान
भारत दुनिया के उन चार ताकतवर देशों में शामिल हैं, जिनका सैन्य मुकाबला करना किसी के लिए भी मुश्किल है. इन चार देशों में अमेरिका, रूस और चीन ने पहले से ही पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान तैयार कर लिए हैं. अमेरिका के पास लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लाइटनिंग 2 जैसा पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है तो रूस के पास सुखोई सू-37 फेलन जैसा लड़ाकू विमान है. इसके अलावा चीन के पास भी जे-20 माइटी ड्रैगन जैसा पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. ऐसे में भारत को अगर इस रेस में टिके रहना है तो उसे भी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को अपने वायु सेना के बेड़े में शामिल करना होगा.
कौन सी खासियत बनाती है लाखों में एक?
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की सबसे बड़ी खासियत है उनकी स्टेल्थ तकनीक. यानी, एक ऐसी तकनीक जो इन विमानों को रडार की पकड़ से दूर करती है. अपनी इसी तकनीक के दम पर पांचवीं पीढ़ी की विमान रडार से बच सकते हैं. इन विमानों को खासतौर पर इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि रडार के सिग्नल इससे टकराकर दूसरी दिशा में चले जाते हैं, जिससे दुश्मन कंफ्यूज हो जाता है. इसके अलावा इन विमानों में इंटरनल वेपन्स बे होता है, जिसमें हथियार विमान के अंदर ही छिपे होते हैं, जिससे यह भी रडार की पकड़ में नहीं आते. इसके अलावा ये विमान काफी तेज गति से उड़ान भर सकते हैं.
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Source: IOCL























