1980 में भी चांदी के दामों में आया था भारी उछाल, जानें तब क्यों बढ़ी थी सिल्वर की डिमांड?
न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज के कॉमिक्स प्लेटफार्म पर जनवरी में चांदी करीब 30 डॉलर के आसपास थी. वहीं गर्मियों में यह 37 से 40 डॉलर के दायरे में रही लेकिन सितंबर के बाद इसमें तेज उछाल देखने को मिला.

चांदी की कीमतों में इस समय ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल रही है. भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर दिसंबर 2024 से दिसंबर 2025 के बीच चांदी ने करीब 144 फीसदी का रिटर्न दिया. इस दौरान इसका भाव 85,146 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 2,08,062 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. इंटरनेशनल मार्केट में भी हालत कुछ ऐसे ही रहे. 2025 की शुरुआत में चांदी करीब 30 डॉलर प्रति औंस पर थी, जो अब 69 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच चुकी है. यानी एक ही साल में इसकी कीमत दोगुनी से भी ज्यादा हो गई. इस साल चांदी की कीमतों में भारी उछाल के साथ ही 1980 में चांदी के दामों में आए उछाल की चर्चा भी तेज हो गई. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि 1980 में चांदी के दामों में भारी उछाल तो आया, लेकिन उसे समय क्यों चांद सिल्वर की डिमांड बढ़ी थी.
साल के आखिरी महीनों में आई सबसे बड़ी तेजी
न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज के कॉमिक्स प्लेटफार्म पर जनवरी में चांदी करीब 30 डॉलर के आसपास थी. वहीं गर्मियों में यह 37 से 40 डॉलर के दायरे में रही लेकिन सितंबर के बाद इसमें तेज उछाल देखने को मिला. वहीं साल के आखिरी 3 महीने में चांदी की कीमतों में सबसे ज्यादा तेजी दर्ज की गई. जिससे कुल मिलाकर अब तक 110 फीसदी से ज्यादा की बढ़त हो चुकी है. वहीं आमतौर पर तेजी के बाजार में सोना चांदी से आगे निकल जाता है, लेकिन इस बार तस्वीर उल्टी दिखी. जहां चांदी की कीमत 100 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी, वही सोने में करीब 60 फीसदी की तेजी ही देखने को मिली.
1980 में पहली बार दिखी थी ऐसी उछाल
चांदी के इतिहास में जनवरी 1980 एक बहुत अहम साल माना जाता है. इस साल अमेरिका के अरबपति भाई नेल्सन बंकर हंट और विलियम हंट ने चांदी के बाजार पर कब्जा करने की कोशिश की थी. हंट ब्रदर्स ने दुनिया की करीब एक तिहाई चांदी खरीद ली, जिसके चलते कीमत 6 डॉलर से बढ़कर 49 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई. दरअसल, हंट भाइयों को लगता था कि बढ़ती महंगाई के चलते करेंसी की वैल्यू गिरेगी और चांदी की कीमतें लगातार बढ़ेगी. इसी सोच के साथ उन्होंने बड़े पैमाने पर चांदी खरीदी, यहां तक की उधार लेकर फ्यूचर्स कांट्रैक्ट्स भी खरीद डालें, लेकिन जैसे ही अमेरिकी नियामकों ने दखल दिया और मार्जिन पर नए फ्यूचर्स कांट्रैक्ट्स पर रोक लगाई पूरा खेल पलट गया.
1980 में एक ही दिन में 50 प्रतिशत तक गिरी थी कीमत
27 मार्च 1980 को हंट ब्रदर्स मार्जिन कॉल पूरी नहीं कर पाए, जिसके बाद ब्रोकरों ने चांदी की जबरदस्त बिकावली शुरू कर दी. नतीजा यह हुआ कि एक ही दिन में चांदी की कीमत 50 प्रतिशत से ज्यादा गिर गई. हंट भाइयों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ और उन्हें दिवालिया तक होना पड़ा, हजारों निवेशक भी बर्बाद हो गई. इसी घटना के बाद चांदी को शैतान के धातु कहां जाने लगा. वहीं अब करीब चार दशक बाद चांदी ने फिर इतिहास रच दिया. पहली बार इसका भाव 2.5 लाख प्रति किलो के पार पहुंच गया. दिलचस्प बात यह है कि इस बार चांदी की कीमत कच्चे तेल से भी ऊपर निकल गई, जो 1980 के बाद पहली बार हुआ.
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Source: IOCL























