औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी के जिस पोते को 18 साल कैद में रखा, उसने मुगल बादशाह को क्यों दी थी श्रद्धांजलि?
मुगलों के और मराठाओं के बीच लंबे संघर्ष के इतिहास के बावजूद मराठा शासकों ने मुगलों के स्मारकों के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाया और मंगल स्मारकों को संरक्षण भी प्रदान किया गया.

Aurangzeb Controversy: मुगल शासक औरंगजेब को 'महान' बताने से शुरू हुआ सियासी घमासान अब महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में उसकी कब्र को गिराने तक पहुंच गया है. तमाम हिंदूवादी संगठनों के साथ-साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भी इस मांग का समर्थन किया है. कुछ संगठनों ने औरंगजेब की कब्र पर कारसेवा की भी चेतावनी दी है. हाल ही में आई बॉलीवुड फिल्म 'छावा' के बाद भले ही औरंगजेब की कब्र को लेकर यह विवाद खड़ा हो गया, लेकिन मराठा साम्राज्य के दौरान ऐसा नहीं था.
इतिहास के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि मुगलों के और मराठाओं के बीच लंबे संघर्ष के इतिहास के बावजूद मराठा शासकों ने मुगलों के स्मारकों के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाया और 1674 से 1818 तक चले मराठा संघ में मुगल स्मारकों को संरक्षण भी प्रदान किया गया, जिसमें औरंगजेब की कब्र भी शामिल है.
25 साल तक मराठाओं से संघर्ष करता रहा औरंगजेब
मुगल बादशाह औरंगजेब ने 49 साल तक शासन किया, जिसमें अपने जीवन के अंतिम 25 साल वह मराठाओं से युद्ध ही लड़ता रहा. उसकी मृत्यु भी मराठाओं से संघर्ष के बीच में हुई और 3 मार्च, 1707 को उसने अहमदनगर (महाराष्ट्र) में हुई, जिसके बाद खुल्दाबाद में उसे दफना दिया गया. बता दें, औरंगजेब ने अपनी वसीयत में इच्छा जताई थी कि उसे खुल्दाबाद में ही दफन किया जाए.
शिवाजी के पोते ने दी थी श्रद्धांजलि
इतिहासकार रिचर्ड ईटन की किताब 'A Social History Of the Deccan' में शिवाजी के पोते शाहू प्रथम के औरंगजेब की कब्र पर जाने और उसे श्रद्धांजलि देने का जिक्र मिलता है. इसके मुताबिक, संभाजी की मौत के बाद औरंगजेब ने उनके बेटे शाहू प्रथम को कैद करवा लिया था. इस समय उनकी उम्र सिर्फ 7 साल थी और वह 18 साल तक मुगलों की कैद में रहे. 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शहू प्रथम को रिहा किया गया, जिसके बाद वह औरंगजेब की कब्र पर गए और श्रद्धांजलि दी.
क्यों दी थी श्रद्धांजलि
बहुत से कम लोग जानते हैं कि शाहूजी प्रथम ने औरंगजेब को श्रद्धांजलि क्यों दी थी. ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि शाहू प्रथम के रिहा होने के बाद उनके और ताराबाई के बीच सत्ता संघर्ष शुरू हो गया. ताराबाई ने आरोप लगाए कि मुगलों के शिविर में 18 साल बिताने के बाद शाहूजी प्रथम पर मुगलों का प्रभाव पड़ा है और वह भी सांस्कृति रूप से मुगल हो गए, इसलिए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. शाहू प्रथम जब औरंगजेब की कब्र पर गए तो यह बात सच भी साबित हुई.
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Source: IOCL






















