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क्या होता है नेट जीरो एमिशन? कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में रीसाइक्लिंग कितना कारगर

Net Zero Emissions: आज के समय में सबसे अधिक चिंता कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए नई तरीकों को पता लगाने और उसे इस्तेमाल में लाने को लेकर है, क्योंकि यह प्रदूषण का एक बड़ा कारण है.

Net Zero Emissions: नेट जीरो उत्सर्जन का मतलब है कि कोई देश जितना कार्बन उत्सर्जन करता है, उतना ही कार्बन खत्म करने की व्यवस्था भी करे. नेट जीरो का मतलब यह नहीं है कि कार्बन का उत्सर्जन शून्य हो जाएगा. नेट जीरो उस स्थिति को नोटिफाई करता है, जिसमें वायुमंडल में जाने वाली ग्रीनहाउस गैसों को वायुमंडल से बाहर निकालकर संतुलित किया जाता है. नेट जीरो शब्द बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि कम से कम CO2 के लिए यही वह स्थिति है जिस पर ग्लोबल वार्मिंग रुक जाती है. 

नेट जीरो को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

उत्सर्जन (emissions) में कमी और उत्सर्जन निष्कासन (emissions removal) के ताल मेल के माध्यम से वृक्षारोपण या टेक्नोलॉजियों को सही तरीके से नियोजित करके हवा में जारी होने से पहले कार्बन को पकड़ सकते हैं. नवंबर 2022 तक लगभग 140 देशों ने नेट जीरो एमिशन के लक्ष्यों की घोषणा की थी या उन पर विचार कर रहे हैं, जो वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 90% कवर करते हैं.

नेट जीरो क्यों महत्वपूर्ण है?

जीरो एमिशन प्राप्त करने के लिए रिसाइक्लिंग को भी बड़े पैमाने पर प्रोसेस करना होगा. कार्बन एमिशन पर लंबे समय से काम कर रहे और रिसाइक्लिंग पर आधारित कंपनी इकोसोल के को-फाउंडर राहुल सिंह बताते हैं कि वर्तमान में 1800 के तुलना में पृथ्वी पहले से ही लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है, और उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है. पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित 1.5°C लक्ष्य के भीतर बने रहने के लिए वर्ष 2030 तक एमिशन में लगभग 45% की कमी होनी चाहिए और 2050 तक शुद्ध शून्य तक पहुंचना चाहिए.

मानवता के लिए यह बड़ी चुनौती

नेट जीरो दुनिया की ओर संक्रमण मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. हम कैसे ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, संसाधनों का उपभोग करते हैं और अपने दैनिक जीवन को कैसे संचालित करते हैं, इसमें व्यापक बदलाव की आवश्यकता नहीं है. ऊर्जा क्षेत्र एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, जो वर्तमान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग तीन-चौथाई के लिए जिम्मेदार है. इसमें जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों को कम करने की कुंजी है. कोयले, गैस और तेल से प्राप्त जीवाश्म-ईंधन-आधारित बिजली के स्थान पर पवन और सौर जैसे नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कार्बन उत्सर्जन को महत्वपूर्ण रूप से कम करने का एक परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करता है.

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