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El Nino: क्या है अल नीनो, जिस पर ये निर्भर करता है कि ठंड बढ़ेगी या नहीं

राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में ठंड का कहर लगातार जारी है. विशेज्ञषों का कहना है ये मौसम अल नीनो इफेक्ट की वजह से हो रहा है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि अल नीनो क्या होता है. 

राजधानी दिल्ली समेत कई मैदानी इलाकों में पिछले 10 दिन से ठंड का कहर लगातार जारी है. सर्द हवाओं के साथ गलन बढ़ गई है. बता दें कि दिल्ली का न्यूनतम तापमान सोमवार (8 जनवरी) को 5.3 डिग्री सेल्सियस पर दर्ज किया गया. दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी शीतलहर का कहर जारी है. विशेज्ञषों का कहना है मौसम में बदलाव अल नीनो इफेक्ट की वजह से आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि अल नीनो क्या होता है? 

क्या है अल नीनो इफेक्ट?

अल-नीनो एक जलवायु संबंधी घटना है, जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने का प्रतिनिधित्व करती है. भूमध्य रेखा के पास प्रशांत क्षेत्र में पानी के तापमान में बदलाव के कारण अल-नीनो मौसम संबंधी एक जटिल घटना है. बता दें कि अल-नीनो की घटनाएं एक साल तक चल सकती हैं, लेकिन ये अक्सर नौ से दस महीने तक चलती हैं.

अल नीनो ने बिगाड़ा पहाड़ का मौसम

इस बदलते हुए मौसम के बारे में गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि विश्वविद्यालय पन्तनगर के मौसम विभाग के हेड और मौसम वैज्ञानिक डॉ. आर.के सिंह ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया कि इस अल नीनो के प्रभाव में भूमध्य सागर का तापमान बढ़ने के कारण पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहे हैं. पश्चिमी विक्षोभ चलने से उष्णकटिबंधीय तूफान की हवा ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करती है. इसकी वजह से नवंबर से फरवरी तक पहाड़ी क्षेत्र में वर्षा और बर्फबारी होती है.

मौसम में होता है यह बदलाव

उन्होंने बताया कि इन चार महीनों के दौरान हर महीने औसतन 4 से 5 पश्चिमी विक्षोभ बनते हैं. इससे पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, कश्मीर, हिमाचल में बर्फबारी और बारिश होती है. इससे पहाड़ी राज्यों में दिन और रात के तापमान में गिरावट होती है. हालांकि, अल नीनो के कारण पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहे हैं. इसके कारण पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी और बारिश का उपयुक्त मौसम नहीं बन पा रहा है, जिसके चलते भी ठंड बढ़ रही है. 

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