आम जनता के लिए खुला राष्ट्रपति भवन! यहां क्या है खास और आप भी ऐसे पा सकते हैं एंट्री
राष्ट्रपति भवन के दरवाजे 1 दिसंबर से आम जनता के लिए खुले हुए हैं. यहां जाने के लिए पहले आपको आधिकारिक वेबसाइट पर स्लॉट बुक करना होगा. आइए इसकी भव्यता को जानते हैं.

Rashtrapati Bhavan: यह तो सभी जानते हैं कि भारत के राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक कहा जाता है. भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली में बने राष्ट्रपति भवन में रहते हैं. यह भवन काफी आलिशान है. राष्ट्रपति भवन बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक है. अगर आप भी आपको जानकर खुशी होगी कि 1 दिसंबर से राष्ट्रपति भवन का दरवाजा आम लोगों के लिए भी खुल गया है. आम लोगों के लिए यह हफ्ते में 5 दिन बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को खुला रहेगा. अब सवाल उठता है कि आखिर राष्ट्रपति भवन में ऐसा क्या है जो लोग इसे देखने जाते हैं. आइए जानते हैं यह कितना भव्य और ऐतिहासिक है...
23 हजार मजदूरों ने किया काम
राष्ट्रपति भवन को बनाने का काम साल 1913 से शुरू होकर 17 साल में पूरा हुआ था. इसको बनाने में करीब 23,000 मजदूरों ने काम किया था, जिनमें से 6,000 हजार मजदूर सिर्फ पत्थर तरासने वाले थे. राष्ट्रपति भवन को आर्किटेक्ट को लूटियंस ने डिजाइन किया था. इसलिए दिल्ली को लूटियंस दिल्ली भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि लूटियंस का चश्मा गोल था इसलिए वह ज्यादातर गोलाकार डिजाइन बनाता था. राष्ट्रपति भवन में भी आपको गोलाकार आकृतियां देखने को मिलेंगी.
दरबार हॉल
राष्ट्रपति से मिलने वाले पुरस्कारों जैसे भारत रत्न, पद्मभूषण, पद्मविभूषण, खेल रत्न पुरस्कार आदि कार्यक्रमों का आयोजन इसी हॉल में होता है. इस हॉल में 1500 साल पुरानी गुप्तकालीन भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है. दरबार हॉल के ठीक सामने एक गेट भी है. इसे कुछ खास अवसरोंं पर ही खोला जाता है जैसे 26 जनवरी या फिर 15 अगस्त को. इस हॉल में एक बार में 400 से ज्यादा लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां लगी हुई हैं.
अशोका हॉल
राष्ट्रपति भवन के अशोका हॉल हॉल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. इस हॉल में खूबसूरत वॉल पेंटिग्स भी हैं जो कि कैनवास पर बनी हुई हैं और उसे छत में लगाया गया है. इसकी छत में जो पेंटिंग है, वह शिकार खेलते हुए ईरान के राजा की तस्वीर है. जिसे की लॉर्ड इरविन के कहने पर लगया गया था.
बैंक्वेट हॉल
इस हॉल में 100 से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था है. राष्ट्रपति इस हॉल में दूसरे देश से आये हुए प्रतिनिधियों के साथ डिनर करते हैं. इस हॉल की दोनों दीवारों पर पहले रह चुके राष्ट्रपतियों की कैनवास पर बनाई हुई पोट्रेट तस्वीर लगी हुई हैं. इन तस्वीरों के ऊपर तीन तरह की लाइटें भी लगी हुई हैं जो इस बात का संकेत करती हैं कि कब प्लेटे सजानी हैं और कब समेटनी हैं. एक खास बात जो कि बहुत कम लोग जानते हैं वह है कि पहले इस हॉल की दीवारों पर विभिन्न तरह के हथियारों की तसवीर बनी हुई थी. लेकिन, भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कहने पर हॉल की दीवारों पर बेहद खूबसूरत सोनाजड़ित कलाकृतियांं बनाई गई. बैंक्वेट हॉल की खिड़की से आप मुगल गार्डन भी देख सकते हैं.
मार्बल म्यूजियम हॉल
इस हॉल में राष्ट्रपति को मिले उपहारों को सजाया गया है. इसमें आपको कश्मीरी बुनकरोंं की बनाई हुई जरदोजी यानी सोने के धागों से बनी हुई खूबसूरत कालीन देखने को मिलेंगी. मार्बल म्यूजियम हॉल को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी ने साल 2016 में घूमने और देखने के लिए खुलवाया था.
भगवान बुद्ध की सहस्त्रबाहु प्रतिमा
राष्ट्रपति भवन के अंदर सीढ़ी पर चढ़ते ही प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनीं बहुत आकर्षक सफेद रंग की भगवान बुद्ध की सहस्त्र-बाहु मूर्ति लगी हुई है. यह मूर्ति तीन हिस्सों में बंटी हुई है, जिसके सबसे नीचे वाले हिस्से में ड्रैगन है, उसके ऊपर कमल के पुष्प पर विराजमान बुद्ध भगवान और फिर तीसरे भाग में बुद्ध के 12 सिर हैं. सिर के पीछे एक विशालकाय चक्र है में 1000 हांथे बनें हुए हैं.
अतिथि गृह या गेस्ट विंग
इसमें दूसरे देशों से आये हुए वहां के राष्ट्रपति को ठहराया जाता है.
नॉर्थ ड्रॉइंग रूम
अशोका हॉल के दोनों तरफ दो कमरे बने हुए हैं. दाईं तरह के कमरे में राष्ट्रपति अपने विदेशी मेहमानों से औपचारिक मुलाकात और फोटोग्राफी करते हैं. इस रूम को नार्थ ड्रॉइंग रूम कहा जाता है.
लॉन्ग ड्रॉइंग रूम
दूसरी तरफ वाले कमरे का इस्तेमाल राष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ मीटिंग करने के लिए करते हैं.
बुकिंग से मिलेगी एंट्री
अगर आप भी राष्ट्रपति भवन घूमना चाहते हैं तो इसके लिए पहले आपको बुकिंग करनी होगी. आप राष्ट्रपति भवन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. आम जनता के लिए राष्ट्रपति भवन बुधवार से लेकर रविवार तक हफ्ते में पांच दिन खुला होता है. पांचों दिनों में आपके पास सुबह में 10 और 11 बजे, दोपहर में 12, 2 और फिर शाम में 3 बजे के एक-एक घंटे के स्लॉट्स के विकल्प हैं. आप अपनी सहूलियत और स्लॉट की उपलब्धता के हिसाब से दिन और समय का चुनाव कर इस भव्य भवन के दर्शन कर सकते हैं.
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Source: IOCL























