(Source: ECI | ABP NEWS)
इतिहास हो चुकी हैं भारतीय डाक की ये सर्विसेज, नाम देख लेंगे तो याद आ जाएगा बचपन
भारत में हर साल 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है. यह दिन भारतीय डाक सेवा और देश को जोड़ने में इसकी जरूरी भूमिका को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है.

भारत में जब कोई खत आता था, तो पूरा घर उसे पढ़ने के लिए इकट्ठा हो जाता था. पोस्टमैन की सीटी या साइकिल की घंटी सुनते ही बच्चे दौड़ पड़ते थे कि किसका खत आया है. उस समय न मोबाइल थे, न इंटरनेट, न ही व्हाट्सऐप. बस एक कागज का टुकड़ा होता था जो सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे किसी अपने का हाल-चाल लेकर आता था. उस दौर में भारतीय डाक सेवा ही एकमात्र भरोसेमंद माध्यम थी, जो देश के कोने-कोने को आपस में जोड़ती थी.
इसी के चलते भारत में हर साल 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है. यह दिन भारतीय डाक सेवा और देश को जोड़ने में इसकी जरूरी भूमिका को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. इस दिन की शुरुआत 10 अक्टूबर 1854 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी, जब भारत में पहली बार डाक सेवा की स्थापना हुई थी. लेकिन समय के साथ तकनीक बदली, और लोगों के संवाद करने के तरीके भी. अब वही सेवाएं जो कभी हमारे जीवन का हिस्सा थीं, इतिहास बन चुकी हैं. तो आइए जानते हैं भारतीय डाक की कौन सी सर्विसेज इतिहास हो चुकी हैं. इनमें से कुछ नाम पढ़कर शायद बचपन की कोई याद ताजा हो जाए.
भारतीय डाक की कौन सी सर्विसेज इतिहास हो चुकीं?
1. टेलीग्राम: टेलीग्राम एक ऐसी सेवा थी जिसमें बहुत कम शब्दों में संदेश भेजा जाता था, और वह बेहद जरूरी या आपातकालीन संदेश होता था. आमतौर पर शादी, मृत्यु, जन्म या किसी बड़ी खबर को तुरंत पहुंचाने के लिए इसका यूज होता था. जब तार आता था, तो लोगों के दिल की धड़कनें तेज हो जाती थीं. लेकिन आज ये भारतीय डाक सर्विस इतिहास हो चुकी हैं.
2. मनीऑर्डर: मनीऑर्डर डाक विभाग की वो सेवा थी जिससे घर बैठे पैसे भेजे जा सकते थे. किसी भी शहर या गांव में बैठे व्यक्ति को पैसे भेजने का सबसे सुरक्षित तरीका यही माना जाता था. मनीऑर्डर भरने का फॉर्म, पोस्ट ऑफिस की लाइनें और फिर इंतजार करना पहले बड़ा काम माना जाता था. लेकिन आज यह सर्विस भी इतिहास हो चुकी हैं और इसकी जगर ऑनलाइन पेमेंट्स एप ने ले ली है.
3. पोस्टकार्ड: एक समय था जब सिर्फ 15 पैसे या 25 पैसे में एक पोस्टकार्ड मिलता था. इस छोटे से कार्ड पर लोग अपने दिल की बात लिखते थे. रिश्तेदारों को त्योहारों की शुभकामनाएं, दोस्तों को चिट्ठियां या किसी ऑफिस का नोटिस, सब कुछ पोस्टकार्ड से भेजा जाता था. 19वीं सदी के अंत में पोस्टकार्ड का आविष्कार हुआ था. उस समय पोस्टकार्ड को एक क्रांतिकारी आविष्कार माना जाता था. 20वीं सदी के अंत में टेलीफोन और इंटरनेट के आने के साथ पोस्टकार्ड युग खत्म हो गया.
4. इनलैंड लेटर: इनलैंड लेटर एक नीले रंग का पत्र होता था. इसमें कई पन्नों की बातें एक ही कागज में लिखी जाती थीं. यह उन लोगों के लिए अच्छा होता था जिन्हें लंबी चिट्ठी लिखनी होती थी, लेकिन साधन सीमित होते थे. अब ईमेल और मोबाइल मैसेज ने इस सेवा को खत्म कर दिया है.
5. फैक्स: फैक्स मशीन का यूज डॉक्यूमेंट्स और चिट्ठियों की कॉपी तुरंत भेजने के लिए किया जाता था. पोस्ट ऑफिस में जाकर कोई डॉक्यूमेंट फैक्स करवाना एक आम बात थी. खासकर सरकारी दफ्तरों और कंपनियों में इसका बहुत यूज होता था. अब यह सेवा लगभग गायब हो चुकी है क्योंकि स्कैनर और ईमेल इसका बेहतर ऑप्शन बन चुके हैं.
6. टेलेक्स: टेलेक्स भी एक प्रकार की संचार सेवा थी जो मशीन के माध्यम से संदेश भेजती थी. यह सेवा टेलीफोन नेटवर्क का यूज करती थी और विशेष मशीनों के जरिए टाइप कर संदेश भेजे जाते थे.इंटरनेट और मोबाइल तकनीक आने के बाद यह पूरी तरह से बंद हो चुकी है.
7. फिलेटेली पासबुक और रजिस्टर्ड डाक: फिलेटेली एक जमाने में बच्चों और युवाओं का शौक हुआ करता था. इसके लिए डाक विभाग एक पासबुक देता था जिसमें खूबसूरत टिकटों को जमा किया जा सकता था. आज डिजिटल युग में यह शौक भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. वहीं जब कोई जरूरी डॉक्यूमेंट या सामान भेजना होता था, तो रजिस्टर्ड डाक का यूज किया जाता था.
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