संविधान और मनुस्मृति पर एक बार फिर छिड़ी बहस, जानिए इसमें लिखी कौन-कौन सी बातें हैं विवादित?
मनुस्मृति बनाम संविधान पर बहस कोई नया मुद्दा नहीं है. दशकों से इस पर बहस होती रही है और आरएसएस पर मनुस्मृति लागू करने के आरोप भी लगे हैं. दत्तात्रेय होसबाले के बयान के बाद एक बार फिर यह मुद्दा उठा है.

Indian Constitution vs Manusmriti: संविधान बनाम मनुस्मृति का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ रहा है, जिसकी शुरुआत आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के संविधान पर दिए बयान से हुई. होसबाले ने अपने बयान में संविधान से 'धर्मनिपरेक्ष' और 'समाजवाद' जैसे शब्दों को हटाने का समर्थन किया. इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा, आरएसएस और बीजेपी संविधान नहीं चाहते, वे देश में मनुस्मृति लागू करवाना चाहते हैं. बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनना चाहते हैं.
दरअसल, देश में मनुस्मृति बनाम संविधान पर बहस कोई नया मुद्दा नहीं है. दशकों से इस पर बहस होती रही है और आरएसएस पर मनुस्मृति लागू करने के आरोप भी लगे हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि ये मनुस्मृति है क्या? इसे किसने लिखा था? और इसकी कौन-कौन सी बातें विवादित हैं?
किसने लिखी थी मनुस्मृति?
मनुस्मृति को मनु ऋषि द्वारा लिखा गया था. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मनु इस पृथ्वी पर आने वाले पहले इंसान थे, इसलिए उन्हें आदिपुरुष भी कहा गया है. मान्यताओं के अनुसार, मनु ने ईसा से कई सौ साल पहले मनुस्मृति की रचना की थी. इस किताब में सामाजिक व्यवस्था, धर्म से लेकर मनुष्य के कर्मों, न्याय व्यवस्था और महिलाओं के अधिकारों की बात की गई है. मनुस्मृति में 12 अध्याय और 2684 श्लोक हैं. इसके कुछ संस्करणों में 2964 श्लोक भी मिलते हैं. इसके पहले अध्याय में ही चार वर्णों और उनके पेशे के बारे में बताया गया है, जिसमें ब्राह्मणों की महानता का भी जिक्र है.
किन-किन बातों पर होता है विवाद?
मनुस्मृति में लिखी कई बातों पर विवाद है और महात्मा ज्योतिबा फुले से लेकर संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भी इस किताब को सार्वजनिक तौर पर चुनौती दे चुके हैं. मनुस्मृति में वर्ण और जातीय व्यवस्था पर भी बात की गई है, जो सबसे बड़े विवाद की वजह है. इसे अलावा इस किताब पर महिलाओं के अधिकारों को सीमित करने के भी आरोप लगते हैं. इस किताब में वर्ण व्यवस्था के आधार पर ब्राह्मणों को सबसे महान बताया गया है, वहीं शूद्रों को शिक्षा के अधिकार से भी वंचित किया गया है, इसको लेकर भी काफी विवाद होता रहता है.
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Source: IOCL























