ब्रिटेन कैसे पहुंचे थे गौतम बुद्ध के 127 साल पुराने अवशेष, क्या है इन अवशेषों के पीछे की कहानी?
Gautam Buddha Relics Returned To India: गौतम बुद्ध के 127 साल पुराने अवशेष भारत आ चुके हैं, जो कि ब्रिटेन में थे. पीएम मोदी ने भी इसको लेकर एक्स पर पोस्ट किया है और इन अवशेषों के बारे में बताया है.

अंग्रेज से जब भारत से लौटकर अपने देश पहुंचे तो वे यहां से हमारे इतिहास, धर्म और विरासत से जुड़ी कई चीजों को अपने साथ अपने वतन लेकर चले गए थे. उन्होंने उसे सालों-साल तक विदेश में रखा और अपना दावा करते रहे. कुछ चीजों को तो अंग्रेजों ने नीलाम भी किया था. लेकिन अब भारत विदेश से अपनी धरोहरों को एक-एक करके वापस लेकर आ रहा है. इसी क्रम में भगवान बुद्ध के पवित्र 127 साल पुराने अवशेष भारत लाए जा चुके हैं. भारत सरकार ने उन्हें ब्रिटेन से वापस मंगाया है.
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
भगवान बुद्ध के ये अवशेष उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के पिपरहवा बुद्ध मंदिर में श्रद्धा और सम्मान के साथ स्थापित किए गए. यहां तक कि पीएम मोदी ने इन अवशेषों की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की और लिखा, भारत की संस्कृति, विरासत और बुद्ध के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है यह क्षण. हर भारतीय के लिए यह गर्व का दिन है. कुछ दिन पहले इन अवशेषों की नीलामी होने वाली थी, लेकिन भारत सरकार अड़ गई और नीलामी रुकवा दी. आज भारत इन अवशेषों को अपने देश वापस लेकर आ गया है.
A joyous day for our cultural heritage!
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2025
It would make every Indian proud that the sacred Piprahwa relics of Bhagwan Buddha have come home after 127 long years. These sacred relics highlight India’s close association with Bhagwan Buddha and his noble teachings. It also… pic.twitter.com/RP8puMszbW
कैसे मिले थे ये अवशेष
1898 में इन अवशेषों की कहानी शुरू हुई थी. उस दौरान एक ब्रिटिश इंजीनियर विलियम पेपे ने पिपरहवा में एक पुराने बौद्ध स्तूप की खुदाई की तो उसमें एक भारी-भरकम पत्थर का पात्र मिला. इस पात्र में भगवान बुद्ध की हड्डियों के अवशेष, क्रिस्टल और सोपस्टोन की पवित्र कलशियां और रत्न व आभूषण थे. इसमें से ज्यादातर रत्न और आभूषण जैसे कि 1800 से ज्यादा मोती, माणिक, टोपाज, नीलम और सुनहरी चादरें कोलकाता के म्यूजियम में रखी हुई थीं.
इतिहासकारों की मानें तो जिस स्तूप के नीचे से ये अवशेष मिले थे, उसे भगवान बुद्ध के दाह संस्कार के बाद शाक्य वंशजों ने बनवाया था.
ब्रिटेन कैसे पहुंचे ये अवशेष
उस दौर में ब्रिटिश सरकार ने इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट के तहत खुदाई मिले ज्यादातर कीमती अवशेष भारतीय म्यूजियम कोलकाता भेज दिए थे. लेकिन ब्रिटिश इंजीनियर और खुदाईकर्ता विलियम पेपे को कुछ चीजें अपने पास रखने की अनुमति दीगई थी, जो कि बाद में भी उनके परिवार के पास ही रहे. जब पेपे के वंशज क्रिस पेपे इन रत्नों को सोथेबी नाम की संस्था के जरिए नीलाम करने जा रहे थे, तो भारत सरकार को पता चल गया.
नीलाम होने जा रहे थे अवशेष
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने तुरंत कानूनी नोटिस जारी कर दिया. भारत सरकार का कहना था कि इन धरोहरों की नीलामी करना भारतीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र के समझौते का उल्लंघन है. इसके बाद नीलामी करने वाली संस्था ने भी नीलामी से मना कर दिया और भारत सरकार इस अमूल्य संपत्ति को 127 साल के बाद अपने देश में वापस लेकर आ गई है.
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Source: IOCL























