कौन था दुनिया का पहला कथावाचक और किसने सुनी थी कथा? इटावा विवाद के बाद उठ रहे सवाल
देश में कथा वाचन का इतिहास कोई 100-200 साल पुराना नहीं है. यह परंपरा सनातन काल से चली आ रही है और पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र भी मिलता है. चलिए जानते हैं दुनिया के पहले कथा वाचक के बारे में.

उत्तर प्रदेश के इटावा में ब्राह्मण परिवार में कथा कराने पहुंचे यादव युवक को लेकर बवाल मचा हुआ है. यहां युवक की न सिर्फ चोटी काट दी गई, बल्कि उसका सिर भी मुंडवा दिया गया, जिसके बाद से राज्य की सियासत गर्म है. ऐसे में ब्राह्मण कथावाचकों को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और कथावाचकों के इतिहास को भी खंगाला जा रहा है. ऐसे में चलिए जानते हैं दुनिया में कथा वाचन का इतिहास कितना पुराना है? यह परंपरा कबसे चली आ रही है? और दुनिया का पहला कथावाचक कौन था? और पहली बार कथा किसने सुनी थी?
बहुत पुरानी है कथा वाचन की परंपरा
देश में कथा वाचन (सुनाने) का इतिहास कोई 100-200 साल पुराना नहीं है. यह परंपरा सनातन काल से चली आ रही है और पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र भी मिलता है. कहा जाता है कि भारत में लोग पौराणिक काल से ही कथा सुनते थे. हालांकि, आजकल की तरह पौराणिक काल में लोग मंडप सजाकर कथा का बहुत भव्य आयोजन नहीं करते थे, बल्कि ऋषि-मुनि अपनी कुटिया या वनों में अपने शिष्यों को कथा सुनाते थे. कथा का उद्देश्य लोक कल्याण हुआ करता था और इसके लिए किसी तरह का शुल्क भी नहीं लिया जाता था. वहीं, आजकल कई कथा वाचक आयोजकों से मोटी फीस भी लेते हैं.
कौन था पहला कथा वाचक?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भारत यहां तक कि प्रकृति के पहले कथा वाचक महाभारत काल में महर्षि वेदव्यास थे. वेदव्यास गुरु वशिष्ठ के परपौत्र और महर्षि पराशर के पुत्र थे. इन्होंने ने ही महाभारत और श्रीमद्भागवत की भी रचना की है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, संसार में सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश ने कथा सुनी थी. कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के आदेश पर महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश को कथा सुनाई थी और गणेश जी ने इसे लिपिबद्ध भी किया था.
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