आखिर कितनी बारिश पर मानी जाती बादल फटने की घटना, क्या है इसका गुणा-गणित?
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पड्डर सब डिवीजन में बादल फटने से अचानक बाढ़ जैसे हालात हो गए. जिसमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. चलिए जानते हैं कितनी बारिश पर मानी जाती बादल फटने की घटना.

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अब जम्मू कश्मीर एक के बाद एक प्राकृतिक आपदा ने जन-जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटना ने भारी कहर बरपाया है. जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार को बादल फटने से करीब 50 लोगों की मौत हो गई है जिसमें सीआईएसएफ के दो जवान भी शामिल हैं. वहीं 200 से भी ज्यादा लोग लापता हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर बादल फटने की घटना क्या है और आखिर कितनी बारिश पर मानी जाती है बादल फटने की घटना, इसका गुणा-गणित क्या है? चलिए इसे समझते हैं.
क्या है बादल फटने की घटना?
बादल फटना कोई सामान्य बारिश नहीं है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बहुत कम समय में किसी सीमित क्षेत्र में अत्यधिक भारी बारिश होती है. यह बारिश इतनी तेज होती है कि नदियां उफान पर आ जाती हैं, भूस्खलन होता है और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है. भारत में पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में यह घटना आमतौर पर देखी जाती है.
कितनी बारिश बनती है बादल फटने का कारण?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, बादल फटने की स्थिति तब मानी जाती है जब 100 मिलीमीटर प्रति घंटा या उससे अधिक बारिश हो. यह बारिश आमतौर पर 2 से 3 घंटे तक सीमित क्षेत्र में लगातार होती रहती है तो उसे बादल फटने की घटना माना जाता है.
कैसे होता है बादल फटना?
बादल फटने की घटना तब होती है, जब गर्म और नम हवाएं ऊपर उठती हैं तो ये बादल ठंडी हवा के संपर्क में आकर तेजी से ठंडे होते हैं. इससे बादल में मौजूद जलवाष्प तेजी से पानी की बूंदों में बदल जाती है जिससे भारी बारिश होती है. पहाड़ी क्षेत्रों में यह स्थिति अधिक खतरनाक हो जाती है, क्योंकि ढलान और संकरे रास्ते पानी को तेजी से नीचे लाते हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है.
बचाव के उपाय
पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने से बचने के लिए मौसम चेतावनियों पर ध्यान देना जरूरी है. लोगों को नदी-नालों से दूर रहना चाहिए और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी चाहिए. सरकार और स्थानीय प्रशासन को बेहतर जल निकासी और आपदा प्रबंधन की व्यवस्था करनी चाहिए.
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Source: IOCL
























