क्या पुलिस के अफसर भी युद्ध में हो सकते हैं शामिल, जानें इसके लिए क्या हैं नियम?
भारत और पाकिस्तान के बीच जंग की संभावना बनी हुई है. पाकिस्तान भारत के निर्दोष लोगों को निशाना को निशाना बना रहा है. चलिए, आपको बताते हैं कि क्या पुलिस जंग पर जा सकती है.

भारत और पाकिस्तान की सीमा पर इस समय विवाद काफी बढ़ गए हैं. पूरी दुनिया की निगाहें भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पूरी तरह बौखला गया है और जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब के जो जिले सीमा के पास नजदीक हैं उनपर मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर रहा है.
हालांकि, भारत की एयर डिफेंस सिस्टम पाक के हर नापाक इरादों को मिट्टी में मिलाने का काम कर रही हैं. भारत में लोग आर्मी में जाकर देश की सेवा करने के लिए काफी उत्साहित दिख रहे हैं, इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ट्वीट वॉयरल हो रहा है. ट्वीट में एक लेटर हैं जिसमें पुलिस ऑफिसर ने युद्ध मे भाग लेकर देशभक्ति करने की इच्छा व्यक्ति की है. चलिए, आपको बताते हैं कि क्या पुलिस के अफसर भी युद्ध में हो सकते हैं शामिल.
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क्या पुलिस अफसर भी युद्ध में शामिल हो सकते हैं
पुलिस की जिम्मेदारी आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने की होती है, पुलिस सीमा की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय युद्धों में शामिल नहीं होती है. पुलिस में सीनियर रैंक के अधिकारी कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे कि जंग जैसे हालात में अपना योगदान दे सकते हैं. BSF, CRPF, ITBP, CISF और SSB आदि अर्धसैनिक बलों या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के अधिकारी IPS कैडर से आते हैं. ये फोर्स सीमा की सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियानों और तनावग्रस्त क्षेत्रों में अपना अहम योगदान देते हैं.
अगर किसी देश में आपातकाल जैसे हालात बनते हैं तो वहां की सरकार, पुलिस को सेना में भेज सकती है हालांकि, इसके लिए इमरजेंसी स्थिति बननी चाहिए. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो, अगर कोई इमरजेंसी नहीं होती तो पुलिस को जंग में नहीं भेजा जाता है. पुलिस का अधिकारी सेना के लिए अगर खुली भर्ती हो रही है तो उसमें शामिल होकर जंग में जा सकता है.
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