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क्या जाट रेजिमेंट में सिर्फ जाट ही भर्ती हो सकते हैं... रेजिमेंट का कैसे होता है अलॉटमेंट?

जमीनी बलों की एक इकाई, जिसमें दो या दो से ज्यादा बटालियन या युद्ध समूह, एक मुख्यालय इकाई और कुछ सहायक शामिल होते हैं उन्हें रेजिमेंट कहा जाता है. चलिए आज हम सेना की जाट रेजिमेंट के बारे में समझते हैं.

भारत में कुल 9 रेजिमेंट हैं, जिनकी बहादुरी के बारे में जानकर दुश्मन भी खौफ खाते हैं, ब्रिटिश इंडिया में बनाई गई रेजिमेंट व्यवस्था आज़ादी के बाद भी भारतीय इंफेंट्री सेना में लागू रही. हालांकि देखा जाए तो आज़ादी के बाद अब तक जाति के आधार पर किसी भी नई रिजमेंट का निर्माण जाति के आधार पर नहीं किया गया है, लेकिन रिक्रूटमेंट प्रोसेस को लेकर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. इस बीच चलिए जानते हैं कि आख़िर जाट रेजिमेंट है क्या और क्या सिर्फ़ इसमें जाटों की ही भर्ती हो सकती है?

किस आधार पर होता है जाट रेजिमेंट में अलॉटमेंट?

जाति के आधार पर बनी किसी रेजिमेंट में जाति के आधार पर रिक्रूटमेंट होता तो है, हालांकि ऐसा भी नहीं है कि किसी विशेष जाति के लोग ही एक जाति की रेजिमेंट में भर्ती हो सकते हैं. दरअसल ये मिक्स्ड रेजिमेंट होती हैं. जैसे देखा जाए तो राजपूताना राइफल्स में राजपूत के अलावा जाट भी हो सकते हैं उसी तरह जाट रेजिमेंट में जाट के अलावा अन्य समाज के लोग भी हो सकते हैं. हालांकि इन रेजिमेंट में जाटों की संख्या अधिक होती है. जाट रेजिमेंट का नारा जाटवान, जय भगवान है. जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है.

जाति के आधार पर क्यों बनाई गई रेजिमेंट?

सेना में जाति के आधार पर रेजिमेंट की व्यवस्था अंग्रेज़ी शासन के समय से ही है. इसकी वजह अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ़ होने वाला विद्रोह था. बता दें कि आज जिस भारतीय सेना को हम देखते हैं वो अंग्रेजों के शासन में बनी थी. जब इंग्लैंड से अंग्रेज आए थे तो कम अधिकारियों को लेकर आए थे. उनका उद्देश्य भारत में व्यापार करना था. फिर जब उन्होंने यहां आपस में लोगों राजाओं के बीच असंतोष और फूट देखी तब उन्होंने इस देश में राज करने के लिए फूट डालो और राज करो की कूटनीति अपनाई. उस समय उन्होंने भारत में ब्रिटिश इंडियन आर्मी बनाई. इस सेना में उन्होंने भारतीय सैनिकों की भर्ती शुरू की थी.

जाति के आधार पर रेजिमेंट की ज़रूरत अंग्रेजों को साल 1857 में महसूस हुई. इसे प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नाम से जाना गया. जब अंग्रेजों ने भारतीयों की एकजुटता देखी तो उन्हें जाति के आधार पर बांटने का विचार किया. ऐसे में उन्होंने उन क्षेत्रों से कुछ विशेष जाति के लोगों का चयन किया जहां से लोग लड़ाई में हिस्सा लेते आ रहे हैं. इस दौरान ब्रिटिश उपनिवेशवादी जाटों के मार्शल गुणों से प्रभावित हुए और उन्होंने उन्हें बंगाल सेना की सभी शाखाओं में बढ़ती संख्या में भर्ती करना शुरू कर दिया. फिर इसके बाद जाट रेजिमेंट की शुरुआत की गई थी.

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