सैम मानेकशॉ ने पाकिस्तान पर अटैक के लिए चुना था ये वाला महीना, फिर घुटने पर आया दुश्मन
War Hero Sam Manekshaw: सैम मानेकशॉ को 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध का हीरो माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने इस युद्ध के लिए कौन सा महीना चुना था. चलिए जानें.

सैम मानेकशॉ और उनकी सेना को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का हीरो माना जाता है. उनकी सूझबूझ, ताकत और रणनीति के जरिए ही भारत की पाक पर विजय हुई थी. जब पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला कर दिया तो भारत के पास भी उनको जवाब देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा. भारत और पाकिस्तान में 13 दिनों तक युद्ध चला और इस दौरान कई सैनिक घायल हुए, कुछ शहीद भी हो गए. आखिर 13 दिन के बाद पाक सेना के 90 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. कहा जाता है कि इस वीर शौर्य पराक्रम का श्रेय जनरल सैम मानेकशॉ को ही जाता है. आज हम यहां यह जानेंगे कि उन्होंने युद्ध के लिए कौन सा महीना चुना था और क्यों.
भारत पर बांग्लादेश की आजादी का था दबाव
7 मार्च 1971 को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान ढाका के मैदान में खड़े होकर पाकिस्तान को ललकार रहे थे, उस वक्त उन्होंने इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि नौ महीने के बाद बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बनकर उभरेगा. जब पाकिस्तानी सेना का पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के साथ दुर्व्यहार बढ़ने लगा तो इसका दबाव भारत पर बढ़ने लगा कि भारत इस मामले में हस्तक्षेप करे. इंदिरा गांधी ने इसको लेकर सैम मानेकशॉ से बात की. वो चाहती थीं कि हमला अप्रैल में हो, लेकिन सैम ने उनको इसके लिए साफ मना कर दिया था.
अप्रैल में युद्ध करने के लिए पूरी नहीं थी तैयारी
बीबीसी की मानें तो उस समय के पूर्वी कमान के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब ने कहा कि जनरल मानेकशॉ ने 1 अप्रैल को उनको फोन किया और कहा कि बांग्लादेश की आजादी के लिए पूर्वी कमान को तुरंत कार्रवाई करनी है. तब जैकब ने उनको कहा कि तुरंत ऐसा करना संभव नहीं है, क्योंकि हमारे पास पर्वतीय डिविजन सिर्फ एक है और उनके पास पुल बनाने की क्षमता नहीं है. क्योंकि कुछ नदियां तो पांच-पांच मील चौड़ी हैं और युद्ध के लिए हमारे पास पर्याप्त सामान भी नहीं है.
सैम मानेकशॉ ने युद्ध के लिए कौन सा महीना चुना
जैकब ने आगे कहा कि दूसरी बात यह है कि मानसून शुरू होने वाला है. अगर इस वक्त हम पूर्वी पाकिस्तान में घुसते हैं तो हम वहां फंस सकते हैं. मानेकशॉ ने उनकी बात को समझा और वे राजनीतिक दबाव में नहीं झुके. उन्होंने इंदिरा गांधी को साफ कर दिया कि वे पूरी तैयारी के साथ युद्ध में उतरना चाहते हैं, लेकिन अभी तैयारी पूरी नहीं है. तब मानेकशॉ की सलाह पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर दिसंबर में हमले का वक्त चुना. भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर से 16 दिसंबर के बीच युद्ध चला. इस युद्ध में भारत की विजय हुई और दूसरा मुल्क बांग्लादेश का उदय हुआ.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में परमाणु बम फटने से आया था भूकंप? जानें ऐसा होने पर कितनी कांपती है धरती
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























