एक्सप्लोरर

सनातन धर्म पर निशाना साधने के पीछे की राजनीति, हिंदी का विरोध, पेरियार और द्रविड़ राजनीति का इतिहास समझिए

तमिलनाडु की राजनीति में सनातन धर्म के विरोध में उदयनिधि के बयान ने हलचल पैदा कर दी है, वहीं I.N.D.I.A के कई नेता भी असहज हो गए हैं.

तमिलनाडु की राजनीति में ब्राह्मणवाद और हिंदी का विरोध हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है. पिछले कुछ समय से इसपर लगातार बहस जारी है. इस बीच तमिलनाडु सरकार के मंत्री और डीएमके चीफ एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टॉलिन ने 'सनातन धर्म' पर एक विवादित बयान दे दिया है. इसके बाद से कांग्रेस और विपक्ष के गठबंधन में I.N.D.I.A में शामिल कई नेता भी असहज हो गए हैं. बता दें कि डीएमके भी लोकसभा चुनाव को लेकर बने इस गठबंधन का हिस्सा है.

दरअसल, तमिलनाडु में ब्राह्मणवाद और हिंदी का विरोध 50 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसके पीछे द्रविड़ राजनीति की भी पृष्ठभूमि है जिसकी शुरुआत ई.वी. रामासामी नायकर पेरियार की अगुवाई में हुई थी. अगर मंत्री उदयनिधि के बयान को देखें तो उसमें भी इसी राजनीति की छाप दिखाई देती है. उदयनिधि स्टालिन ने चेन्नई में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "कुछ चीजें हैं, जिन्हें हमें खत्म करना है और हम सिर्फ विरोध नहीं कर सकते. मच्छर, डेंगू, कोरोना और मलेरिया ऐसी चीजें हैं, जिनका हम विरोध नहीं कर सकते. हमें उन्हें खत्म करना है. सनातनम (सनातन धर्म) भी ऐसा ही है. सनातन का विरोध नहीं, बल्कि उन्मूलन करना हमारा पहला काम है."

उदयनिधि ने आ कहा, सनातन ने महिलाओं के साथ क्या किया? इसने उन महिलाओं को आग में धकेल दिया, जिन्होंने अपने पतियों को खो दिया था. इसने विधवाओं के सिर मुंडवा दिए और उन्हें सफेद साड़ी पहनाई… द्रविड़म (द्रमुक शासन द्वारा अपनाई गई द्रविड़ विचारधारा) ने क्या किया? इसने बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा दी, छात्राओं को कॉलेज की शिक्षा के लिए 1,000 रुपये की मासिक सहायता दी."

उदयनिधि बोले, "आइए हम तमिलनाडु के सभी 39 संसदीय क्षेत्रों और पुडुचेरी के एक क्षेत्र (2024 के लोकसभा चुनाव) में जीत हासिल करने का संकल्प लें. सनातन को गिरने दो, द्रविड़म को जीतने दो." उन्होंने कहा वो पेरियार, अन्ना और कलाईगनार के फॉलोअर हैं. वो हमेशा सोशल जस्टिस के लिए लड़ेंगे और एक समान समाज का निर्माण करेंगे.

क्या है द्रविणनाडु और क्यों हो रहा इसका सपोर्ट?
द्रविड़नाडु, की मांग एक स्लोगन से निकली है. "तमिलनाडु तमिल लोगों के लिए है" ये वही स्लोगन है जो पेरियार ई.वी. रामासामी नायकर ने 1938 में पूरे देश में हिंदी शिक्षा अनिवार्य करने के विरोध में दिया था. शुरुआत में ये नारा सिर्फ तमिलभाषी क्षेत्रों तक सीमित था, लेकिन बाद में ये विरोध बढ़कर आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक में फैल गया. ये वो राज्य हैं जहां द्रविड़ भाषा (तेलुगु, मलयालम, कन्नड़) ज्यादा बोली जाती हैं.

कौन हैं पेरियार?
17 सितंबर 1879 को मद्रास में जन्मे पेरियार ने साल 1919 में कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने की थी और वो गांधीवादी विचारधारा को मानते थे, उन्होंने अपनी पत्नी नागमणि और बहन बालाम्बल को भी राजनीति में शामिल किया, जो उस समय ताड़ी (शराब) की दुकानों में अपनी आवाज बुलंद करने वाली महिलाओं में सबसे आगे थीं. हालांकि ये सिलसिला ज्यादा नहीं चला और पेरियार ने 1925 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. उनका मानना था कि पार्टी ब्राह्मणों को ज्यादा सपोर्ट कर रही है और पार्टी का प्राइमरी एजेंडा भी ब्राह्मण ही हैं.

1926 में की आंदोलन की शुरुआत
साल 1926 में पेरियार ने 'स्वाभिमान आंदोलन' की शुरुआत की जिसका उद्देश्य जाति, धर्म और भगवान से रहित एक तर्कसंगत समाज का निर्माण करना था. इस आंदोलन का उद्देश्य ब्राह्मणवादी सत्ता को खत्म करना, महिलाओं और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए रोजगार में समानता और तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और तमिल जैसी द्रविड़ भाषाओं को विकसित करना शामिल था. ये आंदोलन जाति व्यवस्था से बिल्कुल अछूता था.

पेरियार का कहना था कि जो आर्य ब्राह्मण संस्कृत बोलते थे और उत्तरी (नॉर्थ) भारत से आए थे, वही तमिल क्षेत्र में जातिवाद लाए. पेरियार ने हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करने के विरोध में एक मजबूत आंदोलन का समर्थन किया. साथ ही तमिल क्षेत्र में हिंदी को अनिवार्य करना 'उत्तर भारतीय साम्राज्यवाद' स्थापित करने की कोशिश भी बताया.

ब्राह्मण विरोधी आंदोलन को पार्टी में किया शामिल
पेरियार ई.वी. रामासामी नायकर जस्टिस पार्टी के सदस्य भी थे. ऐसे में 1938 में वो आत्मसम्मान आंदोलन और जस्टिस पार्टी को साथ ले आए. जिसे 1944 में द्रविड़ कषगम (DK) नाम दिया गया. डीके ब्राह्मण, आर्य और कांग्रेस का विरोध और तमिल राष्ट्र की मांग करती थी. हालांकि इसे जनता का ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला जिसके चलते धीरे-धीरे ये मांग कम हो गई.

आजादी के बाद पेरियार ने नहीं लड़ा चुनाव
आजादी के बाद पेरियार ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया. वहीं 1949 में पेरियार के सबसे करीबियों में से एक सीएन अन्नादुरई वैचारिक मतभेदों के कारण उनसे अलग हो गए. उन्होंने पार्टी को विभाजित कर 1949 में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) का निर्माण किया जो चुनावी प्रक्रिया में शामिल हुई. अन्नादुरई के बाद एम करुणानिधि ने डीएमके की कमान संभाली और दक्षिण भारत के प्रसिद्ध अभिनेता एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) भी इसी पार्टी में थे.

1977 में एमजीआर बने सीएम
 करुणानिधि और एमजीआर में मतभेद हो गए. एमजीआर ने अपनी नई पार्टी बनाई अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम बनाई.  एमजीआर ने अपनी पार्टी की विचारधारा के रूप में लोक-कल्याणवाद को चुना. इससे डीके का मूल तर्कवाद और ब्राह्मण विरोधी एजेंडा कहीं न कहीं कमजोर पड़ गया. 1977 में एमजीआर सीएम बने और उनको कोई हरा नहीं पाया.

एमजीआर के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में जयललिता सत्ता में आईं, जो पार्टी की नीतियों पर ही आगे बढ़ीं और तमिलनाडु की सीएम बनीं. 

तमिलनाडु में क्यों होती है ब्राह्मणवाद के विरोध में राजनीति?
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब 'मेकर्स ऑफ इंडिया' में दावा किया है कि कैसे महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ब्राह्मणों ने ब्रिटिश राज के शुरुआती दौर में सबसे ज्यादा फायदा उठाया. उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी और शिक्षक, वकील, डॉक्टर और सिविल सेवक बन गए. समाज में भी उन्हें ऊंचा ओहदा प्राप्त था. वहीं राजनीतिक दृष्टि से भी ब्राह्मणों की अच्छी पकड़ थी.

पेरियार ने अपने कुछ लेखों में भी समाज के कुछ वर्गों को हाशिए पर धकेलने वाली हिंदू धार्मिक प्रथाओं की आलोचना की. गुहा की किताब में पेरियार के कुछ भाषण भी लिए गए. जिसमें उन्होंने लिखा, "भारत में आने के कुछ ही समय बाद ईसाइयों ने हमारे लोगों को एकजुट किया, उन्हें शिक्षा दी और खुद को हमारा स्वामी बना लिया… दूसरी ओर हमारा धर्म, जिसे भगवान द्वारा बनाया गया और लाखों-करोड़ों साल पुराना कहा जाता है वो मानता है कि उसके अधिकांश लोगों को अपना धर्म ग्रंथ नहीं पढ़ना चाहिए. यदि कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो धर्मग्रंथ पढ़ने वाले की जीभ काटने, सुनने वाले के कानों में सीसा पिघलाकर डालने और सीखने वालों का हृदय निकाल लेने जैसे दंड दिए जाते हैं."

अब क्यों ब्राह्मण विरोधी राजनीति को मिल रही हवा?
तमिलनाडु में ब्राह्मण बहुल क्षेत्र के विधायक एस वी शेखर ने 2016 में बयान दिया था कि "तमिलनाडु में ब्राह्मण के घर पैदा होना श्राप है. राज्य में केवल 4 फीसदी ब्राह्मण हैं जिसकी वजह से उन्हें नजरअंदाज किया जाता है." 

बाकी सभी चीजों में से, पेरियार का हिंदी विरोधी रुख तमिलनाडु की पार्टियों ने सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया है. हर साल, तमिलनाडु भाषा शहीद दिवस मनाता है, जो राज्य में हिंदी विरोधी आंदोलन के दौरान अपनी जान देने वालों की याद में मनाया जाता है.

जनवरी 2023 में, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आरोप लगाया था कि, "एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक धर्म" की तरह, बीजेपी एक भाषा के साथ देश की विविध संस्कृति को खत्म करने की कोशिश कर रही है. स्टालिन ने कहा था कि केंद्र की भाजपा सरकार प्रशासन से लेकर शिक्षा तक में हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है और तमिलनाडु हमेशा इसका विरोध करेगा.

वहीं पिछले साल तमिलनाडु विधानसभा में हिंदी को "थोपने" के खिलाफ एक प्रस्ताव भी अपनाया था, जिसमें केंद्र सरकार से आधिकारिक भाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू नहीं करने के लिए कहा गया था. 

मुश्किल ये है कि भले ही पेरियार को याद किया जाता हो, लेकिन उनकी जाति-विरोधी सामाजिक संदेश धुंधलाता नजर आ रहा है. उनके आंदोलन का इस्तेमाल पार्टियां चुनाव लड़ने के लिए कर रही हैं. इसके साथ ही तमिलनाडु में अब ज्यादातर पार्टियां जाति-आधारित राजनीति करती है, लेकिन पेरियार के ब्राह्मणवाद का विरोध करने के सही तर्क को अब कम ही लोग जानते हैं.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Putin India Visit: PM मोदी ने पुतिन को दी रूसी में लिखी भगवद्गीता! 2011 में रूस में की जाने वाली थी बैन, मगर क्यों?
PM मोदी ने पुतिन को दी रूसी में लिखी भगवद्गीता! 2011 में रूस में की जाने वाली थी बैन, मगर क्यों?
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
'न तो मैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी....' पुतिन ने दिया ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें क्या है ये
'न तो मैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी....' पुतिन ने दिया ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें क्या है ये
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
Advertisement

वीडियोज

सुंदर बच्चियों की 'सीरियल किलर' LADY !  | Sansani | Crime News
India में दिख गया मोदी-पुतिन के 'दोस्ती का दम'...छा गई कार वाली 'केमेस्ट्री'
व्यापार से वॉर तक ये दोस्ती कितनी दमदार ?, देखिए सबसे सटीक विश्लेषण । Punit India Visit
Bharat ki Baat: भारत में दिखा 'दोस्ती का दम', पुतिन का जबरदस्त वेलकम! | Putin India Visit
पुतिन दौरे पर राहुल का 'डिप्लोमेसी बम'...दावे में कितना दम? । Sandeep Chaudhary । Putin India Visit
Advertisement

फोटो गैलरी

Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Putin India Visit: PM मोदी ने पुतिन को दी रूसी में लिखी भगवद्गीता! 2011 में रूस में की जाने वाली थी बैन, मगर क्यों?
PM मोदी ने पुतिन को दी रूसी में लिखी भगवद्गीता! 2011 में रूस में की जाने वाली थी बैन, मगर क्यों?
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
'न तो मैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी....' पुतिन ने दिया ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें क्या है ये
'न तो मैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी....' पुतिन ने दिया ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें क्या है ये
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
मिचेल स्टॉर्क ने हरभजन सिंह को भी पीछे छोड़ा, बनाया ये खास रिकॉर्ड
मिचेल स्टॉर्क ने हरभजन सिंह को भी पीछे छोड़ा, बनाया ये खास रिकॉर्ड
नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' की रिलीज टली, शो से कुछ घंटे पहले प्रीमियर भी हुआ कैंसिल, मेकर्स ने जारी किया बयान
नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' की रिलीज टली, शो से कुछ घंटे पहले प्रीमियर भी कैंसिल
स्टील के बर्तन में कभी न रखें ये फूड आइटम्स, हो सकता है फूड पॉइजनिंग का खतरा
स्टील के बर्तन में कभी न रखें ये फूड आइटम्स, हो सकता है फूड पॉइजनिंग का खतरा
कम अपराध, ज्यादा सम्मान… दुनिया के वे देश, जहां महिलाएं महसूस करती हैं सबसे ज्यादा सुरक्षित
कम अपराध, ज्यादा सम्मान… दुनिया के वे देश, जहां महिलाएं महसूस करती हैं सबसे ज्यादा सुरक्षित
Embed widget