संतकबीरनगर: जूताकांड के बाद यहां चलेगा बीजेपी के ट्रंप कार्ड का जादू, या फिर काम आएगी बीएसपी की 'कुशल' नीति
संतकबीरनगर सीट पर साल 2009 में बीजेपी और बीएसपी यानी ब्राह्मण और ब्राह्मण प्रत्याशी के बीच लड़ाई रही है. बीजेपी ने शरद त्रिपाठी और बीएसपी ने भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में भीष्म शंकर तिवारी की जीत हुई थी. वे पूर्व काबीना मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी के पुत्र हैं.
संतकबीरनगर: संत कबीर की धरती पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मुकाबला काफी रोचक हो गया है. यहां पर बीजेपी ने प्रवीण निषाद जैसा ट्रंप कार्ड निकाला है. वहीं बीएसपी ने पूर्व काबीना मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे पूर्व सांसद कुशल तिवारी को टिकट दिया है. यहां रोचक मुकाबले में देखना होगा कि जीत का सेहरा बीजेपी के ट्रंप कार्ड यानी प्रवीण निषाद के सिर बंधता है. या फिर बीएसपी की कुशल नीति काम आती है.
संतकबीरनगर सीट पर साल 2009 में बीजेपी और बीएसपी यानी ब्राह्मण और ब्राह्मण प्रत्याशी के बीच लड़ाई रही है. बीजेपी ने शरद त्रिपाठी और बीएसपी ने भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में भीष्म शंकर तिवारी की जीत हुई थी. वे पूर्व काबीना मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी के पुत्र हैं. उन्होंने साल 2008 में भालचंद यादव को बीएसपी ने निकाले जाने के बाद हुए उप-चुनाव में भी जीत हासिल की थी. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 25 प्रत्याशी मैदान में थे. 19,04,327 मतदाताओं में से 10,11,649 (53.1%) लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिसमें, बीजेपी के शरद त्रिपाठी विजयी रहे. उन्होंने 97,978 (9.7%) मतों के अंतर से बीएसपी के भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को हराया था.
जूताकांड के बाद अपना टिकट कटवा चुके सांसद शरद त्रिपाठी की जगह बीजेपी ने सपा से बीजेपी में आए गोरखपुर के सांसद प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है. निषाद समाज के लोगों की अच्छी संख्या और वोटर को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने काफी मंथन के बाद ये फैसला लिया है. उनके पिता डा. संजय निषाद की निषाद पार्टी भी मगहर के पास कसरवल कांड के बाद से चर्चा में आई थी. इस बड़े आंदोलन में पश्चिमी यूपी के युवा आंदोलनकारी अखिलेश निषाद की गोली लगने से मौत हो गई थी. इसके बाद इसे काफी राजनीतिक रंग दिया गया. डा. संजय निषाद ने पुलिस की गोली लगने से मौत होने की बात कही थी. लेकिन, सपा सरकार ने आंदोलनकारियों के बीच से गोली चलने का मुकदमा दर्ज किया था.
ऐसे में संतकबीरनगर में बीजेपी को निषाद समाज का अच्छा समर्थन मिल सकता है. जो प्रवीण निषाद के लिए यहां पर जड़ी-बूटी का काम करेगा. वहीं वे अपनी रैलियों में कसरवलकांड की याद दिलाकर इमोशनली वहां के लोगों को अपने पक्ष में कर सकते हैं. ऐसे में निषाद समाज का एक बड़ा तबका उनके साथ हो सकता है. लेकिन, सवर्ण खासकर ब्राह्मण वोटरों को यहां पर हल्के में लेना महंगा पड़ सकता है. क्योंकि जूताकांड की आग अभी भी ठंडी नहीं हुई है. ऐसे में निषाद बिरादी के प्रवीण निषाद को स्वीकार कर सवर्ण बीजेपी के साथ जाने के मूड में हैं कि नहीं ये बड़ा सवाल है. क्योंकि बीएसपी उम्मीदवार भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी को कम नहीं आंका जा सकता है. क्योंकि जूताकांड से खिन्न वोटर उनके साथ जा सकते हैं. वहीं वे साल 2009 के चुनाव में जीतकर सांसद भी रह चुके हैं.
सूत्रों की मानें तो काफी विरोध के कारण कांग्रेस उम्मीदवार परवेज खान का टिकट शीर्ष नेतृत्व काट सकता है. वहीं उनकी जगह पर भालचंद यादव को पार्टी में शामिल कर मैदान में उतारा जा सकता है. ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. क्योंकि भालचंद यादव भी साल 2004 में बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. 5 सितंबर 1997 को बस्ती से अलग करते हुए संत कबीर नगर प्रदेश के नए जिलें के रूप में अस्तित्व में आया. 2014 के लोकसभा के हिसाब से देखा जाए तो यहां पर मतदाताओं की संख्या 19,04,327 है. जिसमें, 10,45,430 पुरुष मतदाता और 8,58,897 महिला मतदाता शामिल हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, संसदीय सीट संत कबीर नगर की आबादी 17.2 लाख है.
जिसमें 8.7 लाख (51%) पुरुषों की और 8.5 लाख (49%) महिलाओं की आबादी है. इसमें 78 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग की है और 22% आबादी अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. धर्म के आधार पर देखा जाए तो 76% आबादी हिंदुओं की है. जबकि मुस्लिमों की आबादी 24% है. लिंगानुपात के लिहाज प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाएं हैं. यहां की साक्षरता दर 67% है, जिसमें 78% पुरुष और 55% महिलाओं की आबादी साक्षर है. सपा-बीएसपी के गठबंधन और कांग्रेस में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद प्रदेश की राजनीति में नया रोमांच आ गया है. देखना होगा कि बीजेपी इन नए समीकरणों का सामना करते हुए अपनी सीट बचाती है.