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Karnataka Election 2023: मठ से मिलेंगे 'मत'! संतों की शरण में क्यों पहुंचें राजनीतिक दल- जानें प्रसिद्द मठों के बारे में

Karnataka Elections: कर्नाटक में सभी राजनीतिक दल मठों में जाकर संतों का समर्थन जुटा रहे हैं. इसी क्रम में जेडीएस के विधायक गौरीशंकर ने स्वामी सिद्धगंगा मठ पहुंचकर सिद्धलिंग महास्वामी के दर्शन किए.

Karnataka Elections: कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनाव में सिर्फ 15 दिन का समय शेष है. कुल 224 विधानसभा सीटों पर 10 मई को वोटिंग होगी. इस बार राज्य के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है. वहीं, जेडीएस की कोशिश भी अपने वोटबैंक को बनाए रखने की है. इसके लिए सभी दल के नेताओं ने मठों और संतों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में सभी राजनीतिक दल मठों में जाकर संतों का समर्थन जुटा रहे हैं. इसी क्रम में चुनाव से पहले जेडीएस के मौजूदा विधायक गौरीशंकर ने स्वामी सिद्धगंगा मठ पहुंचकर सिद्धलिंग महास्वामी के दर्शन किए. गौरीशंकर तुमकुर ग्रामीण सीट से उम्मीदवार हैं. 13वीं शताब्दी में गोशाला सिद्धेश्वर के माध्यम से सिद्धगंगा मठ परिसर की स्थापना हुई थी. वहीं, राजनीतिक दल के नेताओं के मठ में आने को लेकर मठ के पदाधिकारियों का कहना है कि हम किसी के पक्ष में नहीं है. किसे वोट देना है और किसे नहीं, ये लोगों पर निर्भर करता है. सभी राजनीतिक दलों के लिए मठ एक समान है.

राजनीति में क्या है मठों का महत्व?
विपक्षी दलों की तरफ से राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी पर ज्यादातर आरोप लगाया जाता है कि वो अपनी राजनाति चलाने के लिए धर्म का इस्तेमाल करती है. राज्य में ऐसी धारणा बन चुकी है कि विचार-विमर्श के लिए संत और मठ के पुजारी अहम भूमिका निभाते हैं. हालांकि, ये कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि मठों से समर्थन पाने के लिए नेता काफी मेहनत करते हैं. कांग्रेस-जेडीएस सहित सभी राजनीतिक दलों के लिए सबसे प्रतिष्ठित मठ हैं. वहीं, धर्म की राजनीति करने वाली धारणा से जूझ रही बीजेपी ने लिंगायत वोट पर अपनी पकड़ खो दी है. जिसे वापस हासिल करने के लिए पार्टी के दीहगगांज नेता मठों का दौरा कर रहे हैं.

मठों का दौरा कर रहे दिग्गज
पीएम नरेंद्र मोदी ने सिद्धगंगा मठ का दौरा किया. अमित शाह ने श्री आदिचुंचनगिरी मठ का दौरा किया. वोकालिग्गा समुदाय में आदिचुंचनगिरी मठ का बहुत ही अहम स्थान है. वोकालिग्गा मतदातों को अपनी तरफ लाने की कोशिश में बीजेपी जुटी हुई है. जेपी नड्डा भी कई मठों में हाजिरी लगा चुके हैं, जिनमें तुमकुरु, दावणगेरे और चित्रदुर्ग जिलों के कई मठ शामिल हैं. अनुसूचित जाति, लिंगायत और वोकलिग्गा समुदायों पर नड्डा अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मठों में समर्थन हासिल करने के लिए रुके हैं. अगस्त, 2022 में राहुल गांधी ने चित्रदुर्ग में मुरुघा मठ में हाजिरी लगाई थी.

अगस्त, 2022 में ही बालेहोसुर मठ के डिंगलेश्वर स्वामीजी ने कहा था कि कर्नाटक में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है. मठों को भी 30% कमीशन के बाद अनुदान मिल रहा है. बीजेपी ने लिंगायत संत डिंगलेश्वर के इस बयान को तत्काल प्रभाव से खारिज कर दिया था. लेकिन, अंदर ही अंदर बीजेपी को चिंता थी कि आने वाले चुनाव में ये नुकसानदेह साबित हो सकता है. हालांकि, बीजेपी का मठों पर लगातार फोकस जारी है.

कर्नाटक में प्रसिद्द मठ
- कर्नाटक में सिद्धगंगा और सुत्तूर (मैसूर) मठों को काफी प्रभावशाली माना जाता है. वीरशिव और लिंगायत समुदाय के बीच इन मठों की काफी मान्यता है.
- हावेरी में कुरुबा समुदाय के लोगों में कनक गुरु पीठ को लेकर काफी मान्यता है. कुरबा समुदाय को कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है.
- चित्रदुर्ग में मुरुगा मठ की काफी मान्यता है. जो छोटी जातियों पर लगाए गए सामाजिक प्रतिबंधों को खत्म करने वालों की मांग में सबसे अधिक है.
- उडुपी में श्री कृष्ण मठ की काफी मान्यता है. राम मंदिर का समर्थन करने की वजह से बीजेपी के नेताओं के लिए बड़ा आकर्षण का केंद्र है.

हालांकि, ओबीसी, दलितों, वोक्कालिगा और लिंगायतों पर मठ काफी प्रभाव डालते हैं. इसलिए पार्टियों के लिए मठों का समर्थन जुटाना जरूरी हो गया है. मठ गैर राजनीतिक होने का कितना भी दावा कर लें, लेकिन विभिन्न मठों की तरफ से पार्टियों के लिए खुलकर समर्थन है.

ये भी पढ़ें- Karnataka Elections: कर्नाटक की राजनीति का जातीय समीकरण क्या है? किन समुदायों की है महत्वपूर्ण भूमिका? जानें यहां

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