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प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए 'रुक जाना नहीं' का मंत्र दे रहे हैं UPSC टॉपर निशान्त जैन

गांवों-छोटे शहरों से मन में बड़ी उम्मीदें लिए बड़े शहरों का रुख करने वाले हिंदी पट्टी के लाखों युवाओं के मन में कुछ बड़ा कर गुज़रने का सपना पल रहा होता है. ऐसा ही एक बड़ा सपना निशान्त ने देखा और हिंदी मीडियम से होने के बाद भी ऊंची रैंक के साथ उस सपने को साकार कर दिखाया.

संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से हर साल आयोजित करायी जाने वाली सिविल सेवा की परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी अपने सपनों को साकार करने के लिए हिस्सा लेते हैं, मगर उनमें से चंद ही इस परीक्षा को पास कर पाते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, इस परीक्षा में सफल होने वाले ज्यादातर अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थी होते हैं. आज के दौर में सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी माध्यम को एक ऐसे ट्रेंड की तरह देखा जाता है, जो अभ्यर्थियों के सफलता की गारंटी है. हिंदी माध्यम से सिविल सेवा की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के मन में हमेशा अपने माध्यम और इस परीक्षा में सफलता को लेकर द्वन्द्व बना रहता है. मगर ऐसे में साल 2015 बैच के आईएएस अधिकारी निशान्त जैन की सफलता इन द्वन्द्वों को तोड़ने का काम करती है. उनकी सफलता की कहानी हिंदी माध्यम से सिविल सेवा के अभ्यर्थियों में एक ऐसा अलख जगाती है, जिसके चलते वे खुद पर, अपने माध्यम पर, अपनी मेहनत और संघर्ष पर विश्वास करने लगते हैं.

गांवों-छोटे शहरों से मन में बड़ी उम्मीदें लिए बड़े शहरों का रुख करने वाले हिंदी पट्टी के लाखों युवाओं के मन में कुछ बड़ा कर गुज़रने का सपना पल रहा होता है. ऐसा ही एक बड़ा सपना निशान्त ने देखा और हिंदी मीडियम से होने के बाद भी ऊंची रैंक के साथ उस सपने को साकार कर दिखाया. यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी मीडियम के टॉपर निशान्त जैन का जन्म यू.पी. के मेरठ में एक साधारण परिवार में हुआ. मेरठ कॉलेज से एम.ए. और डी यू से एम.फिल. के बाद दो साल लोक सभा सचिवालय में नौकरी भी की. 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्हें 13वीं रैंक मिली और वह हिंदी मीडियम के ‘यूथ आइकन’ बनकर उभरे.

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए 'रुक जाना नहीं' का मंत्र दे रहे हैं UPSC टॉपर निशान्त जैन

हालांकि, निशान्त जैन मानते हैं कि बात सिर्फ ‘निशान्त जैन’ बनने की नहीं है, बात है सिविल सेवा परीक्षा अच्छे स्कोर के साथ उत्तीर्ण करने की. रही बात अच्छा स्कोर लाने की या टॉपर बनने की, तो इसके लिए तीन-चार चीज़ें ज़रूरी हैं. पहला विस्तृत लेकिन सटीक अध्ययन, दूसरा बेहतर लेखन कौशल, तीसरा संतुलित दृष्टिकोण और सोच का व्यापक दायरा और चौथा परिदृश्य को समग्र रूप में देखना. इन आयामों को अपनाकर अभ्यर्थी तैयारी करें, तो उन्हें सफलता जरूर मिलेगी.

निशान्त जैन ने लोकसभा सचिवालय में बतौर ट्रांसलेटर रहते हुए सिविल सेवा में उच्च स्थान हालिस किया है. इसके लिए वह नौकरी के दौरान की व्यस्तता को बाधा नहीं मानते हैं. उनके मुताबिक, नौकरी के साथ-साथ तैयारी करने वाले बहुत सारे अभ्यर्थी हर साल सफलता हासिल करते हैं. इसके लिए ‘टाइम मैनेजमेंट’ ज़रूरी है.

सिविल सेवा परीक्षा में वैकल्पिक विषय एक चुनौती रहती है, जिसे लेकर निशान्त का मानना है कि वैकल्पिक विषय चुनते वक़्त तीन-चार चीज़ें जरूर देखनी चाहिए- पहला, किस विषय में अभ्यर्थी ज़्यादा सहज है और उस विषय में कितनी रूचि रखता है. दूसरा, जिस माध्यम से अभ्यर्थी परीक्षा दे रहा है, यह विषय कितना लोकप्रिय है और क्या हाल के वर्षों में अभ्यर्थी उस विषय में सफल हुए हैं. तीसरा, उस विषय में औसतन कितना स्कोर मिल रहा है. और चौथा उस विषय पर क्या स्टडी मैटेरियल और मार्गदर्शन उपलब्ध है.

आईएएस जैसी प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करने वालों के लिए निशान्त जैन का खास सुझाव है कि अभ्यर्थी को आस-पास की घटनाओं और माहौल के प्रति सजग, संवेदनशील और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए. निरंतरता और सकारात्मकता किसी भी युवा अभ्यर्थी की पहचान हैं. दूसरों की बातों को भी समझना और उनसे सीखने की प्रवृत्ति बहुत काम आती है. परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है.

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए 'रुक जाना नहीं' का मंत्र दे रहे हैं UPSC टॉपर निशान्त जैन

अपने संघर्ष की इस विकासयात्रा में किन-किन पड़ाव पर निशान्त को क्या-क्या कठिनाइयां आईं और उन्होंने खुद को किस तरह संभाला. 21 साल से लेकर 28 साल की उम्र तक विभिन्न नौकरियों की परीक्षाओं में सफलता तथा असफलता का स्वाद चखने वाले निशान्त ने अपने संघर्ष की कहानी को एक किताब की शक्ल में लोगों के सामने रखा है. 'रुक जाना नहीं' शीर्षक के तौर पर छपी किताब में निशान्त जैन ने सफलता की राह पर चलने के प्रेरक मंत्रों को एक रोचक किताब की शक्ल में पिरोने की कोशिश की है.

यह किताब सफलता की राह पर आगे बढ़ते जाने का सपना देखने वाले युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई है. ऐसे युवा, जो 10+2 और ग्रेजुएशन के बाद होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं- IIT-JEE, NEET, CLAT, CA, SSC, IBPS, RRB, NET-JRF, IAS-PCS, CAT आदि में सफलता प्राप्त कर जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं.

ऐसे युवाओं के लिए सफलता की राह अगर इतनी आसान नहीं, तो इतनी कठिन भी नहीं है. अक्सर ज़रूरत हार्ड वर्क के साथ-साथ निरंतरता और मोटिवेशन लेवल बनाए रखने की होती है. इस ज़रूरत को पूरा करने में यह रचना बहुत काम आएगी. साथ ही किताब में कुछ ऐसे जीवन मंत्र हैं, जो न केवल करियर बल्कि एक अच्छा जीवन जीने की राह में भी उतने ही कारगर हैं.

प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए 'रुक जाना नहीं' का मंत्र दे रहे हैं UPSC टॉपर निशान्त जैन

किताब की ख़ासियत है कि इसमें पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के प्रैक्टिकल नुस्ख़ों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट पर भी विस्तार से बात की गई है. चिंतन प्रक्रिया में छोटे-छोटे बदलाव लाकर अपने कैरियर और ज़िंदगी को काफ़ी बेहतर बनाया जा सकता है. विद्यार्थियों के रीडिंग और राइटिंग स्किल को सुधारने पर भी इस किताब में बात की गई है. कुल मिलाकर किताब में कोशिश की गई है कि सरल और अपनी सी लगने वाली भाषा में युवाओं के मन को टटोलकर उनके मन के ऊहापोह और उलझनों को सुलझाया जा सके.

निशान्त जैन ने इस बारे कहा है, ''मेरा युवा अभ्यर्थियों से कहना है कि वे संविधान के मूल कर्तव्यों में निहित भावना के अनुरूप जिस भी क्षेत्र में काम करें, उत्कृष्टता और बेहतरी के लिए हमेशा प्रयास करते रहें क्योंकि सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है.''

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