कौन हैं मनोज जरांगे, जिनकी वजह से घुटनों पर आ गई महाराष्ट्र सरकार? जान लें यह कितने पढ़े-लिखे?
मनोज जरांगे पाटिल एक साधारण किसान परिवार से निकलकर आज मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं. आइए जानते हैं उनकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन...

महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम की हो रही है, वह है मनोज जरांगे पाटिल. एक साधारण किसान परिवार से निकलकर पूरे राज्य की सरकार को घुटनों पर लाने वाले जरांगे अब मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं. मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार ने उनकी 8 में से 6 मांगों को मान लिया. इसके साथ ही जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल और आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया.
जरांगे ने कहा हम जीत गए हैं. सरकार ने हमारी मांगें मान ली हैं. अब सरकार अगर आरक्षण पर आदेश जारी करती है तो हम रात 9 बजे तक मुंबई छोड़ देंगे. उनकी यह घोषणा न सिर्फ आंदोलनकारियों के लिए बल्कि उन लाखों मराठा युवाओं के लिए बड़ी राहत थी, जो लंबे समय से आरक्षण की मांग उठा रहे थे. ऐसे में आइए जानते हैं मनोज जरांगे कौन हैं और वह कितने पढ़े-लिखे हैं...
कौन हैं मनोज जरांगे?
मनोज जरांगे पाटिल का जन्म 1 अगस्त 1982 को बीड जिले की माटोरी गांव में हुआ. उनका परिवार बाद में शहागढ़ में बस गया. जरांगे मराठा जाति से आते हैं. जरांगे के परिवार में उनकी पत्नी सुमित्रा, तीन बेटियां और एक बेटा है. वे चार भाइयों में सबसे छोटे हैं और माता-पिता के साथ ही रहते हैं. किसान परिवार से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने सामाजिक आंदोलनों में खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया.
कितने पढ़े-लिखे हैं मनोज जरांगे?
रिपोर्ट्स के मुताबिक जरांगे ने अपनी पढ़ाई 12वीं कक्षा तक की है. इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और पूरी तरह से समाज और आंदोलन के लिए काम करना शुरू कर दिया. शिक्षा में भले ही वह ज्यादा आगे नहीं बढ़े, लेकिन सामाजिक मुद्दों को लेकर उनकी समझ और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें हजारों-लाखों लोगों की आवाज बना दिया.
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आंदोलन की शुरुआत और ‘शिवबा संगठन’
कई साल पहले मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण आंदोलन में कदम रखा. शुरुआत में वह स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन करते थे, लेकिन समय के साथ उनकी पकड़ बढ़ती गई. बाद में उन्होंने ‘शिवबा संगठन’ (Shivba Sanghatana) की स्थापना की. इस संगठन के जरिए उन्होंने मराठा समुदाय को एकजुट किया और लगातार शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी तरीके से आरक्षण की मांग उठाई.
सरकार पर पड़ा असर
पिछले दिनों जब उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की, तो देखते ही देखते पूरे महाराष्ट्र से लोग उनसे जुड़ गए. आंदोलन का दबाव इतना बढ़ा कि सरकार को उनकी ज्यादातर मांगें माननी पड़ीं. महाराष्ट्र सरकार की मंत्रिमंडल उपसमिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल और अन्य नेताओं ने उनसे मुलाकात की और उनकी 6 मांगें स्वीकार करने की बात कही. इस फैसले को जरांगे ने जनता की जीत बताया.
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Source: IOCL























