मातृ भाषा में पढ़ाई से लेकर जॉब क्रिएशन तक, शिक्षा मंत्री ने बताया NEP लागू होने के बाद क्या होंगे बदलाव
Education Conclave: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में कई तरह के बदलाव किए गए हैं, जिनसे स्कूली शिक्षा लेने के बाद बच्चों को कहीं भटकना नहीं पड़ेगा.

Education Conclave: हमारे देश में तमाम मुद्दों पर लगातार बहस होती है और ज्यादातर लोगों की इनमें दिलचस्पी भी होती है, हालांकि एजुकेशन सेक्टर पर बात करने वाले लोग काफी कम हैं. यही वजह है कि एबीपी न्यूज़ की तरफ से एजुकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमाम पहलुओं पर बात की और बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के लागू होने के बाद क्या कुछ बदल जाएगा.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि "मेरे लिए ये काफी सुखद संयोग है. मैं पिछले चार साल से शिक्षा विभाग के पद पर हूं, हम लोग नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने की दहलीज पर खड़े हैं. भारत एक पुराना सिविलाइजेशन है. लंबे समय से हमारे देश में अगर किसी सेक्टर में काफी कमी आई थी, वो है एजुकेशन सेक्टर... हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में लगातार कई चुनौतियां हमारे सामने आई हैं."
अर्ली चाइल्डहुड पर काम
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पर बोलते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, जो चीजें पिछले दिनों में नहीं हुए थे, उन्हें हमने प्राथमिकता दी. NEP में एक रिकमेंडेशन था कि बच्चे की मेंटल डेवलेपमेंट छठी क्लास तक हो जाती है. पहली बार इस पर काम हो रहा है, अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन पर पहली बार काम हो रहा है. पहले भी बाल वाटिका होती थी, प्ले स्कूल भी होते थे... लेकिन अब एक तीन साल के बच्चे को एक सिस्टम के साथ जोड़ा जाएगा. इसे अलग-अलग चरणों में लागू किया जाएगा.
ड्रॉपआउट सबसे बड़ी चुनौती
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सभी लोग आईआईटी नहीं जाएंगे, सब लोग नीट में परीक्षा देकर डॉक्टर नहीं बनेंगे, सब लोग रिसर्च की तरफ नहीं जाएंगे. ज्यादातर लोग वर्कफोर्स में जाएंगे, लेकिन आज जब हम स्कूल एजुकेशन के आउटपुट को देखते हैं तो लगभग 40 फीसदी ड्रॉपआउट है, यही एजुकेशन की सबसे बड़ी चुनौती है. इसीलिए अब नई एजुकेशन पॉलिसी से केजी से लेकर 12वीं तक के छात्रों को एक मिनिमम लेवल ऑफ अंडरस्टैंडिंग में जोड़ना पड़ेगा.
मातृ भाषा में शुरुआती पढ़ाई
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कमेटी की तरफ से कई तरह के फैसले लिए गए हैं. इसमें एक्सपर्ट, साइक्लॉजिस्ट और सभी अथॉरिटीज का कहना है कि अगर बच्चा अपने शुरुआती दिनों में अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करेगा तो उसके फंडामेंटल क्लियर होंगे. कक्षा 1 से लेकर 5 तक आपको दो भाषाओं में पढ़ना होगा. इसमें एक मातृभाषा होगी, जिसे पढ़ना ही पड़ेगा. दूसरी भाषा आप अपनी च्वाइस से ले सकते हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा- एनईपी कहता है कि हमारी एजुकेशन सिर्फ डिग्री के लिए नहीं हो, हमारी शिक्षा व्यवस्था आउटकम वाली हो, हम जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर बनने की तरफ बढ़ें.
दो बार बोर्ड एग्जाम को लेकर दिया जवाब
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दो बार बोर्ड एग्जाम को लेकर कहा, ये कोई प्रेशर को ईज आउट करने के लिए नहीं है, ये सभी छात्रों को डिस्ट्रेस करने के लिए है. बच्चा स्कूल की सेकेंडरी एजुकेशन में काफी ज्यादा प्रेशर में रहता है. तमाम तरह की परीक्षाएं दो बार होती हैं, ये इसलिए होता है क्योंकि जिस एग्जाम में स्टूडेंट अच्छा स्कोर करेगा, उसे ही माना जाएगा. दो बार बोर्ड परीक्षा एक तरह की सुविधा है, जो बच्चे पहली बार में किसी वजह से अच्छी तरह परीक्षा नहीं दे पाते हैं, उन्हें हम दूसरा मौका दे रहे हैं.
ये भी पढ़ें - पीएम मोदी की PS निधि तिवारी को कितनी मिलती है सैलरी, 8वें वेतन आयोग से यह कितनी बढ़ेगी?
Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















