इंजीनियरिंग कॉलेजेस में 50% सीटें खाली, अब दो साल तक नए कॉलेजेस पर AICTE की रोक
पिछले कुछ सालों से इंजीनियरिंग सेक्टर में आयी सुस्ती को देखते हुये ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन ने नये इंजीनियरिंग कॉलेजेस बनाने पर रोक लगा दी है. मौजूदा इंजीनियरिंग कॉलेजेस में 50 प्रतिशत सीट्स अभी भी खाली पड़ी हैं और 2015 से 2019 के बीच करीब 518 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद करने पड़े

मुंबईः AICTE Said No Engineering Colleges Till 2022: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन ने पहले से मौजूद इंजीनियरिंग कॉलेजेस और उनकी वर्तमान स्थिति को देखते हुये निर्णय लिया है कि वर्ष 2022 तक नये इंजीनियरिंग कॉलेज सेट करने की एप्लीकेशंस को स्वीकार नहीं किया जाएगा. दरअसल साल 2019-2020 सेशन में इस टेक्निकल स्ट्रीम में लगभग हर दूसरी इंजीनियरिंग सीट खाली रह गयी थी, किसी ने इन पर एडमीशन नहीं लिया था. इस बारे में बात करते हुए काउंसिल कमेटी के हेड बीवीआर मोहन रेड्डी जोकि आईआईटी हैदराबाद के चेयरमैन भी हैं, का कहना है कि दो साल के बाद इस बैन को हटाने के विषय में सोचा जायेगा, तब तक यह ऐसा ही रहेगा.
फैक्ट्स एंड फिगर –
अगर इंजीनियरिंग कॉलेजेस की वर्तमान स्थिति के बार में अंकों में बात करें तो भारत में 27 लाख इंजीनियरिंग सीट्स है. इनमें से 14 लाख अंडरग्रेजुएट, 11 लाख डिप्लोमा और 1.8 लाख पोस्टग्रेजुएट सीट्स आती हैं. पर साल 2019-2020 में केवल 13 लाख कैंडिडेट्स ने इंजीनियरिंग स्ट्रीम में एडमीशन लिया, जिसमें भी कुल 07 लाख ने अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम चुनें. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए एआईसीटीई ने आने वाले एकेडमिक ईयर की हैंडबुक की गाइडलाइन में लिखा है कि पिछले कई सालों से औऱ आने वाले सालों में भी यही संभावना देखते हुए, जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गयी हैं, काउंसिल ने यह निर्णय लिया है. इस निर्णय के तहत नये टेक्नीकल इंस्टीट्यूशंस को अप्रूवल नहीं दिया जायेगा.
एआईसीटीई का चौंका देने वाला डाटा ये है कि साल 2019 में मुश्किल से 6 लाख ग्रेजुएट इंजीनियर्स को प्लेसमेंट मिला था. इसके साथ ही 2015 से 2019 के बीच करीब 518 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद करने पड़े. एक समय था जब देश में इंजीनियरिंग कॉलेज की सीट कम पड़ती थी पर अब सीन बदल गया है. ऐसा इसलिये भी हुआ है क्योंकि कॉलेजेस में शिक्षा का स्तर घटा है, आवश्यक फैकल्टी नहीं है और कोर्स के अंत के बाद जॉब नहीं मिलती. अब तो अगर प्रवेश परीक्षा में किसी छात्र के शून्य अंक भी आयें तो भी उन्हें एडमीशन का न्यौता भेज दिया जाता है.
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Source: IOCL























