तो इसलिए 31 मार्च को ही होती है फाइनेंशियल ईयर की क्लोजिंग, अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही है परंपरा
Financial Year Closing: हर साल 31 मार्च को फाइनेंशियल ईयर की क्लोजिंग होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों इसी महीने वित्त वर्ष खत्म होता है? इसके पीछे एक बड़ी वजह है.

Financial Year Closing: आज 31 मार्च, 2025 को वित्त वर्ष 2024-25 की क्लोजिंग होनी है. फिर 1 अप्रैल से नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो जाएगा. इस दौरान टैक्सपेयर्स के आय-व्यय का लेखा-जोखा तैयार किया जाता है. 31 मार्च ITR फाइल करने का भी अंतिम दिन है. अब आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि क्यों 31 मार्च को ही फाइनेंशियल ईयर की क्लोजिंग होती है? आइए आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं.
अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा नियम
आपको बता दें कि 1 अप्रैल से वित्त वर्ष शुरू होने की परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है. यह उनके लिए सुविधापूर्ण था. देश आजाद होने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया और संविधान में भी वित्त वर्ष की समयावधि मार्च-अप्रैल तक की रखी गई है. 1867 में भारत में शुरू हुई इस परंपरा को लेकर कहा जाता है कि ब्रिटिशर्स अकाउंटिंग के ग्रेगरियन कैलेंडर को फॉलो करते थे और अप्रैल-मार्च के हिसाब से चलते थे. भारत में उनके शासनकाल के दौरान भी यही रूल फॉलो हुआ.
लगान से जुड़ा है पूरा मामला
इसके पीछे एक और बड़ी वजह फसल चक्र भी है. हम सभी जानते हैं कि अंग्रेज भारत में किसानों से लगान वसूलते थे. उस जमाने में टैक्स खेती के रूप में वसूले जाने के कारण फसलों की बुआई और कटाई के सीजन को ध्यान में रखा जाता था. भारत में आमतौर पर मार्च के महीने में गेहूं, चना, सरसों और मसूर के फसलों की कटाई मार्च में होती है. रबी की फसलों की कटाई के लिए मार्च का महीना काफी अहमियत रखता है और फिर अप्रैल से नई फसलें लगाई जाती हैं.
ये भी हैं वजहें
इसके अलावा, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 1 अप्रैल से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है इसलिए वित्त वर्ष की शुरुआत भी 1 अप्रैल से ही होती है. अब कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल आता होगा कि दिसंबर में क्यों नहीं फाइनेंशियल ईयर की क्लोजिंग होती है? दरअसल, दिसंबर का महीना त्योहारी सीजन होने के चलते लोगों का बिजी शेड्यूल होता है इसलिए इस महीने में क्लोजिंग नहीं होती है.
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Source: IOCL





















