US-China Trade War: भारत के लिए खतरा बन सकता है अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर, Moody’s ने बढ़ाई चिंता
US-China Trade War: Moody’s ने भारत की 2025 की GDP ग्रोथ रेट को 6.4. से घटाकर 6.1. कर दिया है. इसके पीछे की जो वजह बताई जा रही है, वह ग्लोबल ट्रेड में अस्थिरता और अमेरिका के टैरिफ के असर हैं.

US-China Trade War: अमेरिका की नई ट्रेड पॉलिसी को लेकर एक बार फिर से पूरी दुनिया में हलचल है. ट्रंप प्रशासन के ताज़ा टैरिफ फैसलों ने एशियाई देशों के साथ-साथ भारत के लिए भी चिंता बढ़ा दी है. Moody’s Ratings का कहना है कि अगर ये ऐसे ही जारी रहा, तो एशिया की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है. यहां तक कि भारत भी इससे पूरी तरह अछूता नहीं रहेगा.
चीन पर सीधा वार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ देशों पर टैरिफ लगाने में फिलहाल 90 दिनों की मोहलत दी है, लेकिन चीन पर 125 फीसदी का भारी-भरकम टैरिफ पहले से ही लागू हो चुका है. इसके अलावा, 10 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क भी जारी रहेगा. Moody’s की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट निक्की डैंग ने पीटीआई से कहा, "अगर अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ा, तो उसका असर पूरे एशियाई क्षेत्र की विकास दर पर पड़ेगा."
भारत पूरी तरह सुरक्षित नहीं
भारत जैसी बड़ी घरेलू खपत वाली अर्थव्यवस्थाएं थोड़ी राहत में हैं, क्योंकि विदेशी कंपनियां अब लोकल मार्केट्स में निवेश का रुख कर सकती हैं. लेकिन Moody’s का मानना है कि ऐसे निवेशों में बड़ा बदलाव देखने में कई साल लग सकते हैं. Moody’s Analytics ने भारत की 2025 की GDP ग्रोथ रेट को 6.4. से घटाकर 6.1. कर दिया है. इसके पीछे की जो वजह बताई जा रही है, वह ग्लोबल ट्रेड में अस्थिरता और अमेरिका के टैरिफ के असर हैं.
अमेरिका-चीन टकराव
चीन पर जारी भारी शुल्क से वहां की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा. इस मौके को भारत और बाकी एशियाई देश अपने लिए अवसर में बदल सकते हैं. लेकिन Moody’s का साफ कहना है कि अमेरिका की व्यापार नीति में बढ़ती अनिश्चितता और 'de-globalisation' की दिशा में बढ़ते कदम ग्लोबल ट्रेड को पहले जैसी स्थिरता नहीं देंगे.
दे-ग्लोबलाइजेशन की तरफ बढ़ती दुनिया?
Moody’s की रिपोर्ट कहती है कि भले ही टैरिफ पर फिलहाल रोक लगी हो, लेकिन अमेरिका का रुख 'Reshoring' (यानि मैन्युफैक्चरिंग को देश में वापस लाना) की ओर है. इससे वैश्विक व्यापार की पारंपरिक संरचना जो अब तक भरोसे और नियमों पर टिकी थी, धीरे-धीरे टूटती दिख रही है.
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता
इस बीच, भारत में ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये 90 दिन की मोहलत एक “गोल्डन विंडो” है, जहां भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) को आगे बढ़ाया जा सकता है. फिलहाल भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 191 अरब डॉलर का है. दोनों देशों ने 2030 तक इसे 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है. उम्मीद है कि इस साल सितंबर-अक्टूबर तक BTA का पहला चरण पूरा हो सकता है.
Source: IOCL






















