सोना से ज्यादा चमक उठी चांदी, इंटरनेशनल मार्केट में ऑलटाइम हाई पर पहुंची, भारत में कीमत 2 लाख को छुआ
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी 61 डॉलर प्रति औंस के ऊपर निकल गई, जो ऐतिहासिक है. इससे पहले 8 दिसंबर को भी इसने 1,79,088 रुपये प्रति किलो का रिकॉर्ड बनाया था.

जब भी वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, तो निवेशक स्वाभाविक रूप से सुरक्षित निवेश साधनों में पैसा लगाने लगते हैं. इस साल सोने ने जहां मजबूत रिटर्न दिया, वहीं चांदी ने अपनी अप्रत्याशित चमक से न केवल गोल्ड को पीछे छोड़ा, बल्कि घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नया इतिहास रच दिया है. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के दाम 2 लाख रुपये प्रति किलो के करीब पहुंच चुके हैं, जो अब तक के सर्वोच्च स्तरों में से एक है. दिसंबर महीने में चांदी की तेजी इतनी जबरदस्त रही कि सिर्फ कुछ कारोबारी सत्रों में ही यह हजारों रुपये प्रति किलो चढ़ गई और निवेशकों व ट्रेडरों का ध्यान अपनी ओर खींच लाई.
चांदी की चमक के आगे फीका सोना
विशेषज्ञ बताते हैं कि चांदी की इस जबरदस्त चमक के पीछे कई कारण एकसाथ काम कर रहे हैं. सबसे बड़ी वजह औद्योगिक मांग में तेजी है—चांदी का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनल, सेमीकंडक्टर्स, डेटा सेंटर और विभिन्न हाई-टेक उपकरणों में तेजी से बढ़ रहा है. दुनिया हरित ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, और चांदी कई महत्वपूर्ण तकनीकों का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है. इसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर की मांग आने वाले कई वर्षों तक निरंतर बढ़ने की संभावना है. इसी बीच सप्लाई सीमित हो रही है और लीज रेट्स भी बढ़ रहे हैं, जिससे संकेत मिलता है कि बाजार में चांदी की उपलब्धता कम हो रही है—जो कीमतों में तेजी का एक बड़ा कारण है.
इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती ने भी चांदी की कीमतों को सहारा दिया है. ब्याज दरों में कटौती से डॉलर कमजोर होता है, और डॉलर के कमजोर पड़ते ही सोने व चांदी जैसे कीमती धातुओं की चमक और बढ़ जाती है. बुधवार को चांदी में एक ही दिन में 6,595 रुपये की बड़ी छलांग देखने को मिली और यह 1,85,488 रुपये प्रति किलो के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी 61 डॉलर प्रति औंस के ऊपर निकल गई, जो ऐतिहासिक है. इससे पहले 8 दिसंबर को भी इसने 1,79,088 रुपये प्रति किलो का रिकॉर्ड बनाया था.
क्यों बढ़ी चांदी की चमक?
घरेलू स्तर पर भी कई कारक चांदी की कीमतों को ऊपर धकेल रहे हैं. भारतीय रुपये में लगातार कमजोरी, त्योहारी सीजन में बढ़ी हुई खरीदारी, शादियों में भारी डिमांड और सिल्वर ETFs में मजबूत इनफ्लो—इन सभी ने मिलकर चांदी के दामों को तेजी से ऊपर धकेला है. साथ ही, बाजार में जोखिम टालने की प्रवृत्ति बढ़ने पर सुरक्षित निवेश साधन के रूप में भी चांदी आकर्षक विकल्प बन गई है.
अब जब चांदी 2 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर को छूने के करीब पहुंच चुकी है, निवेशकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में इसका रुझान कैसा रहेगा—क्या यह तेजी का सिलसिला जारी रहेगा या फिर मुनाफावसूली के कारण इसमें कुछ ठहराव आएगा. हालांकि, मौजूदा वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की चमक फिलहाल धीमी पड़ती दिखाई नहीं दे रही है.
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