Japanese Investment in India: भारत एक ओर दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अपनी मजबूत पहचान बना चुका है और दूसरी ओर उसने वैश्विक निवेशकों का भरोसा भी लगातार जीता है, जिसका नतीजा यह है कि चीन से कारोबार शिफ्ट करने वाली कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत को अपना नया ठिकाना बना रही हैं; इसी कड़ी में अब जापान के सबसे बड़े बैंकिंग समूह मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप (MUFG) ने भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में बड़ा दांव खेलते हुए श्रीराम फाइनेंस में करीब 40,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है.
इससे भारत की दूसरी सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) में MUFG की लगभग 20 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जाएगी, और यह डील न केवल भारतीय वित्तीय बाजार में विदेशी निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाती है बल्कि जापान के दीर्घकालिक निवेश दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है.
बढ़ रहा जापानी निवेश
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, MUFG घरेलू जापानी बाजार से बाहर निकलकर तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में स्थायी रिटर्न की तलाश कर रहा है, और यह निवेश उसी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि हाल के दिनों में भारत में जापानी वित्तीय संस्थानों की सक्रियता काफी बढ़ी है—चाहे मिजुहो द्वारा अवेंडस का अधिग्रहण हो या दाइवा सिक्योरिटीज ग्रुप का एम्बिट में निवेश.
वहीं मई में मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन द्वारा यस बैंक में 1.6 बिलियन डॉलर लगाकर 20 प्रतिशत हिस्सेदारी लेना भी इसी ट्रेंड का संकेत है. MUFG के लिए यह भारत के NBFC सेक्टर में दूसरा बड़ा प्रयास है, इससे पहले उसने HDB फाइनेंशियल सर्विसेज में 2 बिलियन डॉलर के निवेश की कोशिश की थी. जबकि DMI फाइनेंशियल प्राइवेट में 338.5 मिलियन डॉलर का निवेश कर अपनी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत तक बढ़ाना यह दर्शाता है कि समूह भारत में स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करने की रणनीति पर चल रहा है.
भारत के एनबीएफसी सेक्टर में बड़ी डील
श्रीराम फाइनेंस में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए प्रस्तावित लगभग 4.45 बिलियन डॉलर की यह डील भारत के NBFC सेक्टर के इतिहास की सबसे बड़ी डील्स में से एक मानी जा रही है, जो न सिर्फ भारतीय वित्तीय क्षेत्र को वैश्विक मंच पर और मजबूत बनाएगी बल्कि भविष्य में बड़े अधिग्रहण और रणनीतिक साझेदारियों के नए रास्ते भी खोल सकती है.























